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मंगल ग्रह पर मिला 'अनोखा फूल', जानिए आखिर क्‍या है यह और कैसे बना

नासा (NASA) के क्यूरियोसिटी रोवर (Curiosity Rover) ने मंगल की सतह से एक अनोखे फूल की तस्वीर को कैमरे में कैद किया है. पहली नजर में वैज्ञानिकों ने इसे फूल ही समझा था, लेकिन जांच के दौरान पाया गया कि यह एक पत्‍थर है जो फूल जैसा दिख रहा है.

मंगल ग्रह पर मिला 'अनोखा फूल' (फोटोः केविन एम. गिल) मंगल ग्रह पर मिला 'अनोखा फूल' (फोटोः केविन एम. गिल)
हाइलाइट्स
  • क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल की सतह से एक अनोखे फूल की तस्वीर को कैमरे में कैद किया है.

  • जांच के दौरान पाया गया कि यह एक पत्‍थर है.

पृथ्वी से बाहर जीवन की संभावनाएं तलाशने में जुटे वैज्ञानिक आए दिन सौरमंडल के कई ग्रहों अध्ययन करते रहते हैं. इसी कड़ी में समय-समय मंगल ग्रह (Mars) से जुड़ी कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आती हैं. हाल ही में मंगल ग्रह से एक ऐसी तस्‍वीर आई है जिसे देखकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं. जी हां, इस बार मंगल ग्रह की सतह पर एक अनोखा फूल मिला है. पर क्या ये सच में फूल है? इस बात का पता लगाने में जुटे वैज्ञानिकों ने जांच के बाद पाया कि ये कोई फूल नहीं बल्कि एक पत्थर है. ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि इस तरह का फूल कैसे बनता है? वैज्ञानिक भाषा में इस घटना को क्‍या कहते हैं? तो चलिए जानते हैं मंगल की सतह पर मिले इस अनोखे फूल के बारे में. 

मंगल की सतह पर दिखा अनोखा फूल

नासा (NASA) के क्यूरियोसिटी रोवर (Curiosity Rover) ने मंगल की सतह से एक अनोखे फूल की तस्वीर को कैमरे में कैद किया है. पहली नजर में वैज्ञानिकों ने इसे फूल ही समझा था, लेकिन जांच के दौरान पाया गया कि यह एक पत्‍थर है जो फूल जैसा दिख रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका निर्माण बेहद दिलचस्प तरीके से हुआ है. इस फूल जैसे पत्थर का निर्माण खनिजों के जुड़ने की वजह से हुआ है. इस पत्थर को देखने पर ऐसा लगता है जैसे फूल की अलग-अलग पंखुड़ियां अलग-अलग दिशा में निकली हों. इस तरह की आकृतियों को डाइजेनेटिक क्रिस्टल क्लस्टर (Diagenetic Cystal Clusters) कहते हैं. डाइजेनेटिक मतलब अलग-अलग खनिजों के मिलने से जो थ्री-डायमेंशनल शेप बनता है. इस फूल में कई खनिजों का मिश्रण है. 

नाम मिला ब्लैकथॉर्न सॉल्ट

क्यूरियोसिटी मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट एबिजिल प्रेमैन के ट्वीट के मुताबिक, यह आकृतियां नमक से बनती हैं, जिन्‍हें सल्‍फेट्स कहते हैं. ये कुछ समय के बाद अपने आप  खत्‍म भी हो जाती हैं. ऐसा तब होता है जब किसी बड़े पत्‍थर पर अलग-अलग खनिज के छोटे-छोटे कण मिलते हैं. हवा की दिशा और गति बदलने के कारण इनका आकार भी बदलता रहता है. ऐसी आकृतियां बनती और बिगड़ती रहती हैं. वैज्ञानिकों ने इसे ब्लैकथॉर्न सॉल्ट नाम दिया है. इस फूल की तरह दिखने वाले पत्‍थर को नासा के वैज्ञानिकों ने पिछले हफ्ते  क्यूरियोसिटी रोवर पर लगे मार्स हैंड लेंस इमेजर की मदद से देखा था. 

हाल ही में क्यूरियोसिटी रोवर ने लाल ग्रह पर स्पर्म (Sperm) के आकार का पत्थर देखा था. मंगल पर कई बार बेहद खूबसूरत और विचित्र आकार के पत्थर मिलते हैं जो दुनियाभर के वैज्ञानिकों का ध्यान खींच लेते हैं. इससे पहले भी मंगल ग्रह पर हरा पत्थर दिखा था. साथ ही मछली के आकार और इंसानी चेहरे जैसी आकृतियां भी दिखाई दी थीं.