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मुर्दे भी बोल उठे! कैम्ब्रिज एग्जीबिशन में बेजान जानवर बता रहे हैं अपनी अपनी कहानी... कैसे हुआ ऐसा मुमकिन? 

AI की मदद से जानवर अलग-अलग आवाजें और भाषा का उपयोग करते हैं. ये विजिटर्स की उम्र के अनुसार बदलती रहती है. उदाहरण के लिए, डोडो अपनी डाइट के बारे में बात करने से लेकर, क्लोनिंग से उसकी प्रजाति को फिर से कैसे जीवित किया जा सकता है तक… ये सब जानकारी देता है.

Animals and AI (Photo: University of Cambridge) Animals and AI (Photo: University of Cambridge)
हाइलाइट्स
  • एआई की मदद से हो रही है बातचीत

  • जानवरों को आवाज देना है लक्ष्य

जरा सोचिए अगर मुर्दे भी बोल उठे तो? कुछ ऐसा ही हुआ है एक म्यूजियम में. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के जूलॉजी म्यूजियम में, एक नए प्रोजेक्ट में ऐसा किया जा रहा है. इसमें मरे हुए जानवरों के कंकाल बात कर रहे हैं और अपनी कहानी बता रहे हैं.  दरअसल, ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से मुमकिन हो पाया है. 

म्यूजियम में लोग आते हैं और इन जानवरों से बातचीत करते हैं. ये प्रोजेक्ट पिछले 1 महीने से चल रहा है. 

एआई की मदद से हो रही है बातचीत 
इस प्रोजेक्ट को नेचर पर्सपेक्टिव्स नाम की कंपनी ने बनाया है. कंपनी म्यूजियम में एआई का उपयोग कर रही है ताकि जानवरों को आवाज दी जा सके. ये तकनीक कैसे काम करती है? AI को पहले जानवरों की प्रजातियों, उनके रहने की जगह और वे म्यूजियम का हिस्सा कैसे बने, इस बारे में डिटेल में जानकारी दी जाती है. यह जानकारी के तरह से स्क्रिप्ट बनाने में मदद करती है.  फिर दर्शक जो भी सवाल इनसे करते हैं,  जानवर इनका जवाब दे देते हैं. 

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AI की मदद से जानवर अलग-अलग आवाजें और भाषा का उपयोग करते हैं. ये विजिटर्स की उम्र के अनुसार बदलती रहती है. उदाहरण के लिए, डोडो अपनी डाइट के बारे में बात करने से लेकर, क्लोनिंग से उसकी प्रजाति को फिर से कैसे जीवित किया जा सकता है तक… ये सब जानकारी देता है. 

कई भाषाओं में कर सकते हैं जानवर बात 
एआई एग्जीबिशन को ज्यादा इंटरएक्टिव बनाने के लिए इसे डिजाइन किया गया है. इस तकनीक की मदद से स्पेनिश, जापानी और अंग्रेजी सहित 20 भाषाओं में बातचीत की जा सकती है. साथ ही भाषा के साथ बोलचाल के लहजे को भी इसमें शामिल किया गया है. उदाहरण के लिए, प्लेटिपस ऑस्ट्रेलियाई उच्चारण के साथ बोलता है, लाल पांडा हल्के हिमालयी साउंड में बात करता है, बतख ब्रिटिश टोन में बात करती है. 

जानवरों को आवाज देना है लक्ष्य
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, म्यूजियम के असिस्टेंट डायरेक्टर जैक ऐश्बी कहते हैं कि इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य यह देखना है कि क्या इन जानवरों को आवाज देने से लोग उनके प्रति अपनी धारणा बदल सकते हैं? म्यूजियम ने अलग-अलग तरीकों से एआई का उपयोग किया है, लेकिन यह पहली बार है जब इसे जानवरों के दृष्टिकोण से बात करने के लिए इस्तेमाल किया गया है. इसकी मदद से शायद यहां आने वाले लोग इनसे अपना जुड़ाव महसूस कर सकेंगे. 

ट्रेडिशनल म्यूजियम से किस तरह अलग है 
ट्रेडिशनल म्यूजियम से ये काफी चीजों में अलग है. नॉर्मल म्यूजियम में सीमित जानकारी ही मिल पाती है, जैसे- प्रजातियों का नाम, भौगोलिक स्थान और एक छोटी सी डिटेल. जबकि AI म्यूजियम में लोग अपने सवाल खुद जानवरों से पूछ सकते हैं और वे खुद इसका जवाब भी देंगे

हालांकि मृत जानवरों का विजिटर्स से बात करना काफी अटपटा लग सकता है, लेकिन इससे उन्हें काफी जानकारी मिलेगी और लोगों और बच्चों के लिए ये ज्यादा मनोरंजक होगा.