कुत्तों को इंसानों का सबसे अच्छा दोस्त कहा जाता है. ये सबसे वफादार जानवर होते हैं. इंसानों को खुश रखने के साथ-साथ ये कैंसर जैसी घातक बीमारी को ठीक करने में मदद कर सकते हैं. जी हां. दरअसल, एक शोध से पता चला है कि कुत्ते कैंसर का इलाज करने में मदद कर सकते हैं. वैज्ञानिकों ने पाया है कि कुत्ते में इंसानो के जैसे ही ट्यूमर पैदा करने वाले जीन होते हैं.
671 कुत्तों के ट्यूमर का लिया गया सैंपल
इसके लिए शोधकर्ताओं ने 23 कॉमन ट्यूमर टाइप वाले 96 नस्लों के लगभग 671 कुत्तों के ट्यूमर की तुलना मानव रोगियों से की. रिपोर्ट के मुताबिक, कैंसर तब होता है जब शरीर के किसी एक हिस्से में सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं. कैंसरग्रस्त सेल्स अंगों सहित आसपास के हेल्दी टिश्यू पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर सकती हैं. कैंसर कभी-कभी मेटास्टेसिस नाम की प्रक्रिया में दूसरे क्षेत्रों में फैलने से पहले शरीर के एक हिस्से में शुरू होता है.
कुत्तों और इंसानों में 18 म्यूटेशन हॉटस्पॉट होते हैं
एनएचएस के अनुसार, सभी लोगों में से आधे लोगों को किसी न किसी प्रकार का कैंसर जरूर होता है. शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि कुत्तों और इंसानों में 18 म्यूटेशन "हॉटस्पॉट" होते हैं जो कैंसर का संभावित कारण हैं. ऐसे में कुत्तों का इस्तेमाल संभावित कैंसर से लड़ने वाली दवाओं का टेस्ट करने के लिए किया जा सकता है. ये उनके ट्यूमर के साथ-साथ मनुष्यों को प्रभावित करने वाले ट्यूमर पर भी काम कर सकते हैं.
इस स्टडी से पता चला है कई चीजों के बारे में
पिछले दशक में, कुत्तों में कैंसर के अध्ययन ने कई सारी चीजों पर प्रकाश डाला है. जैसे लिम्फोमा (ब्लड), ओस्टियोसारकोमा (हड्डी), हेमांगीओसारकोमा (ब्लड वेसेल), मेलेनोमा (स्किन), और ग्लियोमा (ब्रेन). साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित पेपर के अनुसार, मानव कैंसर में सबसे आम तौर पर म्युटेटिड जीन TP53 है, और यह कुल मिलाकर 22.5 प्रतिशत कैनाइन ट्यूमर में पाया गया था. पेन मेडिसिन के अनुसार, TP53 म्यूटेशन विरासत में मिलने पर ली-फ्रामेनी सिंड्रोम का कारण बनता है. ये एक ऐसी बीमारी जो लोगों को उनकी जिंदगी में कैंसर विकसित होने की 90 प्रतिशत संभावना छोड़ देती है.