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Drug Discovery: AI ने ढूंढा अब तक का सबसे ज्यादा पावरफुल एंटी-एजिंग मॉलिक्यूल, उम्र बढ़ने या इससे जुड़ी बीमारियों को कर सकता है कम 

सेनोलाइटिक्स सेन्सेंट सेल्स को टारगेट करके काम करती है. सेन्सेंट सेल्स मेटाबॉलिकली एक्टिव सेल होती हैं, लेकिन इनका कोई इस्तेमाल या फायदा नहीं होता है. इन्हें जॉम्बी सेल कहा जाता है. ये फैलती या बढ़ती नहीं हैं और पड़ोस की सेल्स पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं.

New Study on Anti-Ageing New Study on Anti-Ageing
हाइलाइट्स
  • AI ने ढूंढा पावरफुल एंटी-एजिंग मॉलिक्यूल

  • दावा है कि इससे उम्र बढ़ने को रोका जा सकेगा

नई दवाएं खोजना या जिसे हम ड्रग डिस्कवरी भी कहते हैं, काफी महंगा हो सकता ही. हालांकि, मशीन लर्निंग या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसे एक हद तक आसान और सस्ता बनाने की क्षमता रखती है. अब इसी कड़ी में AI ने अब तक का सबसे ज्यादा पावरफुल एंटी-एजिंग मॉलिक्यूल ढूंढा है.

एक हालिया अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने सेनोलाइटिक दवाओं (senolytic drugs) के लिए तीन संभावित सेल्स की पहचान करने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग किया है. ये ऐसी दवाएं हैं जो उम्र बढ़ने को धीमा कर सकती हैं (Anti-Ageing) और उम्र से संबंधित बीमारियों को रोक सकती हैं. 

कैसे काम करती है ये दवाई?

दरअसल, सेनोलाइटिक्स सेन्सेंट सेल्स को टारगेट करके काम करती है. सेन्सेंट सेल्स मेटाबॉलिकली एक्टिव सेल तो होती हैं लेकिन इनका कोई फायदा नहीं होता है. इन्हें जॉम्बी सेल कहा जाता है. ये फैलती या बढ़ती नहीं हैं, साथ ही दूसरी सेल्स पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं. इनमें से इन्फ्लेमेटरी प्रोटीन निकलता है जो पड़ोस की सेल्स को प्रभावित कर सकता है. इतना ही नहीं बल्कि सेन्सेंट सेल्स का रिश्ता अलग-अलग बीमारियों जैसे टाइप 2 डायबिटीज, कोविड​​​​-19, पल्मनरी फाइब्रोसिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस और कैंसर से है. 

चूहों पर की गई स्टडी 

लैब में चूहों पर किए गए अध्ययनों से पता चला है कि सेनोलाइटिक्स का उपयोग करके सेन्सेंट सेल को खत्म करने से स्वस्थ सेल्स को जीवित रखते से इन बीमारियों में सुधार किया जा सकता है. वर्तमान में, लगभग 80 सेनोलाइटिक्स हैं, लेकिन मनुष्यों में केवल दो, जिसमें डेसैटिनिब और क्वेरसेटिन शामिल हैं, का ही टेस्ट हो पाया है. 

नए सेनोलाइटिक्स उम्मीदवारों की पहचान करने के लिए, शोधकर्ताओं ने मशीन लर्निंग मॉडल को ट्रेन किया. इसके लिए उन्होंने सेनोलाइटिक्स और नॉन-सेनोलाइटिक्स को लेकर दो कैटेगरी के बीच अंतर किया. इसके बाद कुछ एंटी-एजिंग मॉलिक्यूल के बारे में पता करने की कोशिश की. इसमें उन्हें सबसे ज्यादा पावरफुल एंटी-एजिंग मोलेक्यूल मिला है. 

इस रिसर्च को करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि हाई-क्वालिटी वाले डेटा के साथ मशीन लर्निंग मॉडल का इस्तेमाल करके बीमारियों के ट्रीटमेंट और इलाज में मदद मिल सकती है.