एक नई वैज्ञानिक अध्ययन में पता चला है कि अगर जलवायु परिवर्तन से कई कीड़ों पर काफी प्रभाव पड़ रहा है. जिसके चलते कई कीड़ों की प्रजाति पूरी तरह से विलुप्त हो सकती है. इस अध्ययन को 70 70 वैज्ञानिकों की एक टीम ने किया है. उन्होंने अपने अध्ययन में बताया है कि जलवायु परिवर्तन कीड़ों पर इस तरह से प्रभावित करता है. कि आगे चलकर बहुत ही कम कीड़े बचेंगे. जो पर्यावरण के लिए काफी घातक होगा.
कई कीड़े विलुप्त होने के कगार पर
मैरीलैंड विश्वविद्यालय में एंटोमोलॉजी के सहायक प्रोफेसर और पेपर के सह-लेखकों में से एक अनाही एस्पिंडोला ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग और अचानक मौसम के परिवर्तन के चलते कुछ कीड़े पहले से ही विलुप्त होने के कगार पर है. वहीं मौजूदा रुझान के मुताबिक कुछ कीड़ों को जीवित रखने के लिए कूलर टेलीग्राम क्लाइम में जाने के लिए मजबूर किया जाएगा. वहीं कुछ को अपनी प्रजनन क्षमता, जीवन चक्र और अन्य प्रजातियों का साथ इन सभी चीजों का सामना करना पड़ेगा.
कीड़ों का पारिस्थितिक तंत्र में प्रमुख प्रभाव
इसके साथ ही एस्पिंडोला ने बताया कि हमें इंसानों के रूप में यह महसूस करना चाहिए कि हम लाखों प्रजातियों में से एक है और हमें यह मानने का कोई कारण नहीं है कि हम कभी विलुप्त नहीं होंगे. कीड़ों की प्रजातियों के विलुप्त होने के बाद उसका असर हमारे ऊपर भी पड़ सकता है. साथ ही बताया कि कीड़े हमारे पारिस्थितिक तंत्र में एक प्रमुख भूमिका निभाते है. वैज्ञानिकों की टीम ने अपने अध्ययन में बताया है कि कुछ पारिस्थितिक तंत्र में सेवाएं है जिनमें जलवायु परिवर्तन से समझौता किया जा सकता है. जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कीट अपनी सीमा को स्थानांतरित कर दें या फिर स्थायी रूप से कम तापमान वाले स्थानों पर स्थानांतरित हो जाएं.
तापमान बढ़ने पर कीड़ों पर ये पड़ेगा प्रभाव
एस्पिंडोला ने बताया कि अगर तापमान 3.2 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होता है तो सभी कीट प्रजातियों में से लगभग आधे की सीमा 50 फीसद तक कम हो जाएगी. वहीं अगर 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान सीमित रहता है तो 6 फीसद तर कीड़ों पर प्रभाव पड़ेगा. कीड़ों के विलुप्त होने पर मानव जीवन पर काफी प्रभाव पड़ सकता है. जलवायु परिवर्तन के चलते कुछ कीड़ों का मानव स्वास्थ्य और कृषि के नुकसान के लिए अधिक व्यापक बना सकता है.