
वैज्ञानिकों ने एक रहस्यमयी ब्लैक होल की खोज की है. ये ब्लैकहोल आकाशगंगाओं के केंद्रों में पाए जाने वाले सभी ब्लैक होल से छोटा है, लेकिन उन ब्लैकहोल से बड़ा है जो सितारों के फटने पर पैदा होते हैं. यह अब तक एकलौता ऐसा ब्लैकहोल है जिसकी तलाश वैज्ञानिकों को लंबे समय से थी.
यूटा विश्वविद्यालय के खगोल विज्ञान के प्रोफेसर अनिल सेठ ने कहा कि " सूरज के आकार के 100 गुना तक के सबसे बड़े ब्लैक होल और आकाशगंगाओं के केंद्रों पर सुपरमैसिव ब्लैक पहले ही खोजे जा चुके हैं. ये ब्लैक होल सूर्य के आकार के लाखों गुना हैं, लेकिन ऐसा कोई भी ब्लैक होल नहीं है जिसके आस पास काला रंग दिखाई देता हो. इसलिए ये नई खोज काफी दिलचस्प और नई है.
जानकारी के मुताबिक ये ब्लैक होल B023-G078 के अंदर छिपा हुआ था, B023-G078 पड़ोसी आकाशगंगा एंड्रोमेडा पाया जाने वाला एक विशाल तारा समूह है. तथ्य ये भी है कि B023-G078 को लंबे समय से एक गोलाकार तारा समूह माना रहा है. शोधकर्ताओं का तर्क है कि B023-G078 तारा समुह के बजाय स्ट्रिप्ड न्यूक्लियस है.
स्ट्रिप्ड न्यूक्लियस वो होते हैं जो धारीदार आकार की छोटी आकाशगंगाओं के अवशेष हैं और ये कभी बड़ी आकाशगंगाओं में गिरे थे, इन आकाशगंगाओं में गिरने की वजह से इन अवशेषों के बाहरी तारे गुरुत्वाकर्षण की वजह से टूट कर अलग हो गए थे, या फिर छीन लिए गए थे. और इन अवशेषों में जो कुछ बचा रह पाया वो एक छोटा नाभिक है जो बड़ी आकाशगंगा की परिक्रमा करता है और इसी नाभिक के केंद्र में ये रहसम्यी ब्लैक होल है.
B023-G078 ऑब्जेक्ट एंड्रोमेडा में सबसे विशाल ऑब्जेक्ट में से एक था और आगे चल कर स्ट्रिप्ड न्यूक्लियस की शक्ल भी ले सकता था. लेकिन वैज्ञानिकों को ये साबित करने के लिए डेटा की जरूरत थी, इससे पहले तक जो भी डेटा मिल पाए थे वो बात मनवाने के लिए काफी नहीं थे, लेकिन अब B023-G078 के अंदर इस नए ब्लैक होल की खोज ने वैज्ञानिकों को वो डेटा दे दिया है जिसकी उन्हें तलाश थी और वैज्ञानिकों की बात सच हो गयी.
गोलाकार तारा समूह मूल रूप से एक ही समय में बनते हैं. इसके विपरीत, धारीदार नाभिक या स्ट्रिप्ड न्यूक्लियस अलग अलग समय में बनते हैं,धारीदार नाभिकों के बार बार और अलग समय में बनने के पीछे वजह ये है कि जब भी गैस आकाशगंगा के केंद्र में गिरती है, और तारे बनाती है. और दूसरा तारा समूह गुरुत्वाकर्षण के जरिए केंद्र में खींच लिया जाता है तब धारीदार नाभिक स्ट्रिप्ड न्यूक्लियस बनते जाते हैं. यह वैसा ही है जैसे अलग अलग समूह का कोई डंपिंग ग्राउंड हो. इसलिए, धारीदार नाभिक में तारे गोलाकार समूहों की तुलना में अधिक मुश्किल दौर से होकर गुजरते हैं और इनको पहचानने में भी लंबा समय तो लगता ही है साथ ही इन्हें पहचान पाना मुश्किल भी होता है. अब यही प्रोसेस B023-G078 में देखी गई.
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