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सूखे के समय भी किसानों को नहीं होगी पानी की द‍िक्कत, NASA ने लॉन्च किया नया प्लेटफॉर्म

NASA ने OpenET नाम का एक प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है. इस डेटा से जल प्रबंधकों, किसानों और अधिकारियों को सूखे क्षेत्र में संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करने में मदद मिलेगी. अभी इस प्लेटफॉर्म पर 1984 तक का डेटा शामिल है. आने वाले महीनों में इसे अपडेट किया जायेगा.

Photo: NASA Photo: NASA
हाइलाइट्स
  • NASA ने OpenET नाम का एक प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है

  • हमारे पास कितना पानी बचा है तो हम सचेत रहेंगे कि किस तरह से खेती करनी है

  • इस प्लेटफॉर्म पर 1984 तक का डेटा शामिल है.

बढ़ती जनसंख्या, बदलते मौसम और सूखे के बीच किसानों को सबसे ज्यादा पानी की कमी का सामना करना पड़ता है. पानी की कमी के कारण किसानों को अक्सर परेशानी उठानी पड़ती है. लेकिन अब ये परेशानी कम होने वाली है. नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने एक ऐसा प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है जिससे सूखे में भी पानी की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा और आसानी से जल प्रबंधन हो सकेगा. नासा ने एक ऐसा प्लेटफार्म लॉन्च किया है जो ये बताएगा कि आपके खेत में कितना पानी बचा है. OpenET नाम के इस प्लेटफॉर्म को किसानों के सामने आ रही पानी की परेशानी को देखकर लॉन्च किया गया है.

नासा द्वारा लॉन्च किया गया ये प्लेटफॉर्म यूनाइटेड स्टेट्स वेस्ट (United States West) में पौधों, मिट्टी और अन्य सतहों से हवा में कितना पानी वाष्पित होता है यानि भाप बनकर उड़ जाता है , इस बारे में जानकारी देगा. इस डेटा से  जल प्रबंधकों, किसानों और अधिकारियों को सूखे क्षेत्र में संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करने में मदद मिलेगी. 

कैसे होगा डेटा इकट्ठा?  

पिछले 25 सालों से खेती पर अध्ययन करने वाले मार्क मेसन इस प्लेटफॉर्म के काम करने के तरीके के बारे में बताते हैं. मार्क कहते हैं कि ET इफ़ेक्ट को बोर्ड सैटेलाइट जैसे Landsat पर लगे थर्मल और ऑप्टिकल सेंसर से नापा जाता है. ओपनईटी (OpenET) सैटेलाइट इंफॉर्मेशन और मौसम के डेटा को मिलाकर महीने या साल के आखिर में इवेपो-ट्रांस्पिरेशन (Evapotranspiration) का डेटा बताती है.

Photo: NASA

इस प्लेटफॉर्म से क्या फायदा होगा?

E.& J. Gallo Winery की रिसर्च साइंटिस्ट मारिया अलसीना (Maria Alsina) कहती हैं कि हमारे पास पानी की कमी है और हमें फिर भी गुणवत्ता और उपज के टारगेट को पूरा करना है. इस समय हमारे जलाशय सूखे पड़े हैं. अगर हमारे पास वाष्पन-उत्सर्जन (ईटी) का डाटा होगा या हमें अगर पता होगा कि हमारे पास कितना पानी बचा है तो हम सचेत रहेंगे कि किस तरह से खेती करनी है.

वहीं, सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट फॉररेस्ट मेल्टन कहते हैं कि दुनिया के कई क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती है. बढ़ती जनसंख्या, सूखा और मौसम परिवर्तन के वजह से कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में नासा द्वारा लॉन्च किया गया ये प्लेटफॉर्म पानी बचाने में और उसका अच्छी तरह उपयोग करने में हमारी सहायता करेगा. 

क्यों पड़ी इस प्लेटफॉर्म की जरूरत?

दरअसल, दुनिया का पश्चिमी भाग दो दशकों से अधिक समय से सूखे की चपेट में है. वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव जनित जलवायु परिवर्तन ने इसे और भी तेज कर दिया है. चिलचिलाती गर्मी और वर्षों की रिकॉर्ड तोड़ जंगल की आग ने भी जमीन से नमी छीन ली है. जिसका सीधा प्रभाव किसानों की फसलों पर पड़ा है. नासा ने आगे बताया कि इस प्लेटफॉर्म पर 1984 से अभी तक का डेटा शामिल है. आने वाले महीनों में इसे अपडेट किया जायेगा.