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Chandrayaan-3: 23 अगस्त को ही चांद से ली गई थी धरती की पहली तस्वीर, इसी दिन इतिहास रचने जा रहा भारत, चंद्रयान-3 करेगा सॉफ्ट लैंडिंग, जानें कैसे

चंद्रयान-3 का लैंडर 23 अगस्त 2023 को अपने तय समय पर यानी शाम 6:04 बजे चंद्रमा पर लैंड करेगा. मंगलवार को ISRO ने मिशन की जानकारी देते हुए कहा कि सभी सिस्टम्स को समय-समय पर चेक किया जा रहा है. ये सभी सही तरह से काम कर रहे हैं.

चांद से खींची गई धरती की पहली फोटो और चंद्रयान-3 से मंगलवार ली गई चांद की तस्वीर चांद से खींची गई धरती की पहली फोटो और चंद्रयान-3 से मंगलवार ली गई चांद की तस्वीर
हाइलाइट्स
  • चंद्रयान-3 मिशन निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बढ़ रहा आगे 

  • भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की इस ऐतिहासिक पल पर टिकी है नजर

स्पेस जगत के लिए 23 अगस्त का दिन बेहद खास है. साल 1966 में इसी दिन पहली बार लोगों को बाहरी अंतरिक्ष से पृथ्वी की पहली तस्वीर देखने को मिली थी. नासा के एक स्पेसक्रॉफ्ट ने चांद की सतह से पहली बार पृथ्वी की तस्वीर खींची. बस कुछ घंटों में इसी दिन भारत भी इतिहास रचने जा रहा है. जी हां, चंद्रयान-3 चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने जा रहा है. 

सिर्फ भारतवर्ष ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया इस ऐतिहासिक पल का टकटकी लगाए इंतजार कर रही है. आइए जानते हैं पहले चांद से ली गई धरती की पहली तस्वीर के बारे में, फिर चंद्रयान-3 के अब तक के सफर के बारे में.

जब अमेरिका ने अपोलो मिशन किया था लॉन्च 
1960 के दशक के शुरुआती सालों में अमेरिका ने अपोलो मिशन लॉन्च किया था. इस मिशन का उद्देश्य चांद पर मानव को पहुंचाना था, लेकिन उस समय वैज्ञानिकों के पास चांद की सतह की डिटेल्ड फोटो नहीं थी. अपोलो मिशन के लिए चांद की सतह की तस्वीर जरूरी थी, जिनको एनालाइज कर ये पता लगाया जा सके कि कहां स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग कराई जा सकती है.

चांद की सतह की कुल 205 फोटो भेजी थी
नासा ने 10 अगस्त 1966 को ऑर्बिटर-1 लॉन्च किया था. इस स्पेसक्रॉफ्ट में एक मेन इंजन, 4 सोलर प्लेट और 68 किलो के कोडेक इमेजिंग सिस्टम को फिट किया गया था. इसका काम अलग-अलग एंगल से चांद की सतह की फोटो लेना था. चांद की ऑर्बिट में पहुंचने वाला ये दुनिया का पहला स्पेसक्राफ्ट भी था. 

स्पेसक्रॉफ्ट का लॉन्च सफल रहा और 14 अगस्त को स्पेसक्रॉफ्ट चांद की ऑर्बिट में पहुंच गया. 23 अगस्त 1966 को इस स्पेसक्रॉफ्ट ने धरती की भी एक फोटो भेजी. ये चांद की ऑर्बिट से ली गई धरती की पहली फोटो थी. 28 अगस्त तक स्पेसक्रॉफ्ट ने चांद की सतह की कुल 205 फोटो भेजी. 29 अक्टूबर को चांद की सतह से टकराकर ऑर्बिटर नष्ट हो गया.

चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल शाम को चंद्रमा की सतह पर उतरेगा
अंतरिक्ष की दुनिया में भारत इतिहास रचने को तैयार है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तीसरे चंद्र मिशन के तहत चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) बुधवार की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा. ऐसा करते ही भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बनकर इतिहास रच देगा. 

दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर अभी तक नहीं गया कोई
चांद की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं लेकिन उनकी सॉफ्ट लैंडिंग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर नहीं हुई है. चंद्रयान-3 'चंद्रयान-2' के बाद का मिशन है.

14 जुलाई को चंद्रयान-3 किया गया था लॉन्च
भारत ने 14 जुलाई 2023 को लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम3) रॉकेट के जरिए 600 करोड़ रुपए की लागत वाले अपने तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण किया था. इसके तहत यान 41 दिन की अपनी यात्रा में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग का एक बार फिर प्रयास करेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है.

इसरो ने क्या कहा
इसरो ने 22 अगस्त 2023 को कहा कि चंद्रयान-3 मिशन निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ रहा है. एमओएक्स/आईएसटीआरएसी से चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर उतरने का सीधा प्रसारण बुधवार शाम पांच बजकर 20 मिनट से शुरू किया जाएगा. लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल के बुधवार को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह के दक्षिण ध्रुवी क्षेत्र के निकट उतरने की उम्मीद है.

अब तक क्या-क्या हुआ
इसरो ने 20 अगस्त को कहा था कि उसने चंद्रयान-3 मिशन के एलएम को कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया. उसने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा था, दूसरे और अंतिम डी-बूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) अभियान में लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक कक्षा में और नीचे आ गया है. मॉड्यूल अब आंतरिक जांच प्रक्रिया से गुजरेगा और लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करेगा.

पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में किया था प्रवेश
चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल और प्रणोदन मॉड्यूल 14 जुलाई को मिशन की शुरुआत होने के 35 दिन बाद सफलतापूर्वक अलग हो गए थे. चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. प्रणोदन और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की कवायद से पहले इसे छह, नौ, 14 और 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाने की कवायद की गई, ताकि यह चंद्रमा की सतह के नजदीक आ सके. 

अब 23 अगस्त को चांद पर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास किया जाएगा. इससे पहले, 14 जुलाई के प्रक्षेपण के बाद पिछले तीन हफ्तों में पांच से अधिक प्रक्रियाओं में इसरो ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी से दूर आगे की कक्षाओं में बढ़ाया था. एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण कवायद में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से सफलतापूर्वक चंद्रमा की ओर भेजा गया.

लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट होंगे सबसे मुश्किल 
चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग में 15 से 17 मिनट लगेंगे. इस ड्यूरेशन को '15 मिनट्स ऑफ टेरर' यानी 'खौफ के 15 मिनट्स' कहा जा रहा है. आखिर के इन 17 मिनट में 11.30 मिनट के रफ ब्रेकिंग फेज होता है, फिर एल्टीट्यूड कंट्रोल फेज आता है, जिसमें 10 सेकेंड के करीब तस्वीरे खींचते हैं और क्रॉस कन्फर्म करते हैं. इसके बाद फाइन ब्रेकिंग फेज आता है, जिसे होवरिंग फेज कहते हैं. इस दौरान चंद्रयान में मौजूद सेंसर्स कैमरा रीडिंग लेंगे. इसके बाद आखिरी चरण में मौजूदा स्थितियों को देखकर लैंडिंग करें या न करें को देखा जाएगा.

लैंडिंग के होंगे चार फेज 
रफ ब्रेकिंग फेज
1. इस वक्त लैंडर लैंडिंग साइट से 750 Km दूर होगा और स्पीड 1.6 Km/sec होगी.
2. ये फेज 690 सेकेंड तक चलेगा. इस दौरान विक्रम के सभी सेंसर्स कैलिब्रेट होंगे.
3. 690 सेकेंड में हॉरिजॉन्टल स्पीड 358 m/sec और नीचे की तरफ 61 m/sec हो जाएगी.

एल्टिट्यूड होल्ड फेज
1. विक्रम चांद की सतह की फोटो खींचेगा और पहले से मौजूद फोटोज के साथ कंपेयर करेगा.
2. चंद्रयान-2 के टाइम में ये फेज 38 सेकेंड का था, अब इसे 10 सेकेंड का कर दिया गया है.
3. इस दौरान हॉरिजॉन्टल वेलॉसिटी 336 m/s और वर्टिकल वेलॉसिटी 59 m/s हो जाएगी.

फाइन ब्रेकिंग फेज
1. ये फेज 175 सेकेंड तक चलेगा, इसमें स्पीड 0 पर आ जाएगी.
2. लैंडर की पोजिशन पूरी तरह से वर्टिकल हो जाएगी.
3. सतह से ऊंचाई 800 मीटर से 1300 मीटर के बीच होगी.
4. विक्रम के सेंसर चालू किए जाएंगे और हाइट नापी जाएगी.
5. फिर से फोटोज लिए जाएंगे और कंपेयर किया जाएगा.

टर्मिनल डिसेंट फेज
1. अगले 131 सेकेंड में लैंडर सतह से 150 मीटर ऊपर आ जाएगा.
2. लैंडर पर लगा हैजर्ड डिटेक्शन कैमरा सतह की तस्वीरें खींचेगा.
3. विक्रम पर लगा हैजर्ड डिटेक्शन कैमरा गो-नो-गो टेस्ट रन करेगा.
4. यदि सब सही है तो विक्रम 73 सेकेंड में चांद पर उतर जाएगा.
5. अगर नो-गो की कंडीशन होगी तो 150 मीटर आगे जाकर रुकेगा.
6. फिर से सतह चेक करेगा और सब कुछ सही रहा तो लैंड कर जाएगा.

लैंडिंग के बाद क्या होगा
1. डस्ट सेटल होने के बाद विक्रम चालू होगा और कम्युनिकेट करेगा.
2. फिर रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर आएगा.
3. विक्रम लैंडर प्रज्ञान की फोटो खींचेगा और प्रज्ञान विक्रम की.
4. इन फोटोज को पृथ्वी पर सेंड किया जाएगा.