अंडों के बाद अब मछली भी लैब में बनने वाली हैं. यानी अपको मछली खाने के लिए पानी से पकड़ने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि 'लैब में तैयार मछलियां' भी खा सकते हैं. केरल में कोच्चि स्थित आईसीएआर-सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMFRI) ने लैब में मछली का मांस तैयार करने के लिए एक प्राइवेट के स्टार्ट-अप के साथ पार्टनरशिप की है. इसके लिए नीट मीट बायोटेक के साथ समझौता (MoU) किया गया है. ये देश में अपनी तरह की पहली पहल है.
लैब में कैसे बनेगी मछली
दरअसल, ये एक तरह का लैब में तैयार किया जाने वाला मांस है. समुद्र के बिना समुद्री भोजन उसी तरह से उगाया जाता है, जैसे दूसरे मीट तैयार किए जाते हैं. इन लैब में बनने वाले मांस को बनने के लिए किसी भी जानवर को नहीं मारना पड़ता. फिश मीट बनाने के लिए मछली के कुछ खास कोशिकाओं को अलग करके लैब सेटिंग में विकसित किया जाता है. उम्मीद की जा रही है कि ये लैब में बना हुआ मछली का मांस स्वाद और बनावट में असली वाली मछली जैसा ही होगा.
लैब में क्यों उगाना है मछली का मांस?
स्टार्टअप Neat Meatt Biotech इस एक्सपेरिमेंट को लीड करने वाला है. सेल कल्चर तकनीक में इनकी अलग पहचान है. हालांकि, व्यावसायिक रूप से अलग-अलग देशों में मछली के मांस को बनाने के लिए प्रयोग चल रहे हैं. इसकी मदद से समुद्री भोजन (Seafood) की बढ़ती मांग को पूरा करने और जंगली संसाधनों पर दबाव को कम करने की उम्मीद की जा रही है. ज्यादा मछली पकड़ने की वजह से कहीं न कहीं इनमें कमी आई है, जिसने कई क्षेत्रों में पूरा समुद्री इकोसिस्टम प्रभावित हुआ है.
समुद्र के बिना समुद्री भोजन उसी तरह से 'उगाया' जाता है जैसे अन्य खेती वाले मांस को उगाया जाता है - किसी जानवर को पालने और मारने की आवश्यकता के बिना. लैब में तैयार किया जा रहा मछली का ये मांस एंटीबायोटिक तो होगा ही, इस प्रक्रिया में पर्यावरण पर भी बुरा असर नहीं पड़ेगा, और प्रदूषित महासागरों में माइक्रोप्लास्टिक या मेटल्स के साथ इसका कोई संपर्क नहीं होगा. इसलिए ये हेल्दी भी होगा.
इन देशों में भी बनाया जा रहा है मछली का मांस
लैब में मछली के मांस को तैयार करने में कई देशों ने प्रगति की है. इसमें इजराइल सबसे आगे है, उसके बाद सिंगापुर, अमेरिका और चीन हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने की शुरुआत में, इजराइल में ताजे पानी के ईल के मांस का सफलतापूर्वक उत्पादन किया गया है. उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ सालों में लैब में तैयार इस मांस को बाजारों में उपलब्ध करवाया जाएगा.