
भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान, यानी गगनयान जल्द ही लॉन्च किया जाएगा. इसके लिए अलग-अलग तैयारियां की जा रही हैं. इसरो इस साल विशेष रूप से डिजाइन किए गए टेस्ट व्हीकल (रॉकेट) का उपयोग करके क्रू एबॉर्ट और एस्केप सिस्टम स्थापित करने के लिए काम कर रहा है. इसके लिए वह कम से कम दो टेस्ट मिशन को अंजाम देने वाला है. बता दें, इस पहले बिना क्रू वाले मिशन को अगले साल की शुरुआत में लॉन्च करने की उम्मीद लगाई जा रही है.
क्या है एबॉर्ट टेस्ट?
आपको बता दें, एबॉर्ट टेस्ट स्पेसक्राफ्ट के लॉन्च एबॉर्ट सिस्टम के लिए एक ट्रायल रन की तरह होता है. इसे संभावित विफलता की स्थिति में चालक दल और अंतरिक्ष यान को रॉकेट से जल्दी से दूर करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है. यह एक पायलट की इंजेक्शन सीट के जैसा है, बस फर्क ये होता है कि इसमें पायलट को अंतरिक्ष यान से बाहर निकालने के बजाय, पूरे अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपण यान से निकाल दिया जाता है.
किसी भी रॉकेट को टेस्ट करने के लिए किये जाते हैं ट्रायल
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बुधवार को टाइम्स ऑफ़ इंडियन को बताया, “जब भी कोई नई एजेंसी मानव-रेटेड स्पेस कैपैबिलिटी विकसित करती है, तो वे इसके निर्माण के लिए अलग-अलग टेस्ट करती है. इसे असली में उड़ाने से पहले हमें इस तकनीक के महत्वपूर्ण पहलुओं को जांचना होगा और इसका ट्रायल करना होगा. इसके लिए हम कम लागत वाले ऑप्शन में इसे उड़ाने का प्रयास करते हैं."
वे आगे कहते हैं कि एक अबो्र्ट मिशन के लिए जीएसएलवी-एमके 3 को लॉन्च करना काफी महंगा पड़ सकता है, इसीलिए हमने कम लागत वाले विकल्प का उपयोग करके इसका परीक्षण करना चाहा.
टेस्ट व्हीकल को विकसित करना एक किफायती विकल्प है
काफी विश्लेषणों के बाद, इसरो ने पाया कि इस तरह के टेस्ट व्हीकल को विकसित करना एक किफायती विकल्प हो सकता है. इसके लिए लिक्विड इंजन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा सकता है.सोमनाथ कहते हैं, "ये टेस्ट व्हीकल एक नया रॉकेट है, जिसका अपना खुद का कंट्रोल सिस्टम, डिजाइन और एयरोडायनेमिक्स है. हम डिजाइन और डेवलपमेंट के फेज से गुजर चुके हैं, हार्डवेयर मिल चुका है, हमने इसके लिए सभी जरूरी चीजें पूरी कर ली हैं.”
गौरतलब है कि इसरो अब इस रॉकेट के इस्तेमाल से मिशन की तैयारी कर रहा है. इसमें क्रू मॉड्यूल का हिस्सा आना अभी बाकी है. बता दें, क्रू एस्केप सिस्टम हार्डवेयर का टेस्ट अभी किया जा रहा है.
आदित्य मिशन को लॉन्च करने की तैयारी
गगनयान के अलावा, इसरो भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य-एल1 को सितंबर-अक्टूबर में लॉन्च करने का सोच रहा है. सोमनाथ ने कहा, "तैयारी अच्छी गति से आगे बढ़ रही है और हम सकारात्मक रूप से इस साल की दूसरी छमाही में इसकी लॉन्चिंग की उम्मीद लगा रहे हैं. अगर अब नहीं तो आदित्य को मार्च 2023 में ही लॉन्च किया जा सकता है.”