पूरे देश की निगाहें अब गगनयान मिशन पर टिकी हैं. इसरो इस मिशन के लिए पहली टेस्ट फ्लाइट 21 अक्टूबर को करने वाला है. इसे लेकर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि इसके लिए कई टेस्ट होने वाले हैं. इसमें ये पहला टेस्ट है. इस टेस्ट को व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (Test Vehicle Abort Mission -1) कहा जा रहा है.
पहली टेस्ट फ्लाइट है ये
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस टेस्ट में मॉड्यूल को आउटर स्पेस में लॉन्च किया जाएगा. इसके बाद इसे पृथ्वी पर वापस लाना और बंगाल की खाड़ी में टचडाउन के बाद इसे फिर से रिकवर किया जाएगा. इसकी रिकवर भारतीय नौसेना करने वाली है. इसकी तैयारी भी नौसेना ने शुरू कर दी है. ये पहला टेस्ट होगा और निर्धारित करेगा कि आगे किस तरह से सफल गगनयान मिशन को प्लान किया जाए. अगला टेस्ट अगले साल किया जाएगा, इसमें ह्यूमेनॉयड रोबोट व्योममित्र को भेजा जाएगा.
नौसेना ने भी शुरू की तैयारी
चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 मिशन में शामिल इसरो इंजीनियरों के अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि नौसेना ने मॉड्यूल को रिकवर करने के लिए पहले ही मॉक ऑपरेशन शुरू कर दिया है. इसके अलावा, टीवी-डी1 "क्रू एस्केप" सिस्टम की टेस्टिंग की जाएगी. इससे ये टेस्ट किया जाएगा कि अगर स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में चढ़ते समय किसी समस्या का सामना करना पड़ता है, तो चालक दल को पृथ्वी पर वापस लाया जा सकेगा.
क्या है गगनयान मिशन का उद्देश्य?
बताते चलें कि गगनयान मिशन का उद्देश्य एक मानव-रहने योग्य अंतरिक्ष कैप्सूल विकसित करना है, जो हिंद महासागर में एक नियोजित स्प्लैशडाउन में सुरक्षा में लौटने से पहले तीन सदस्यीय दल को तीन दिनों के लिए 400 किमी (250 मील) की ऑर्बिट में ले जाएगा.
कैसा होगा केबिन?
गौरतलब है कि अहमदाबाद फैसिलिटी गगनयान मिशन के लिए दो क्रिटिकल सिस्टम केबिन सिस्टम और कम्युनिकेशन सिस्टम का निर्माण करने वाली है. केबिन में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए तीन सीटें होंगी, साथ ही एक लाइटिंग सिस्टम और केबिन के अंदर अलग-अलग मापदंडों की निगरानी के लिए दो डिस्प्ले स्क्रीन होंगी. गगनयान केबिन की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक इसके कैमरा सेंसर होंगे, जो ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के लेवल को ट्रैक करेंगे, जिससे उनके मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी.
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