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धरती पर होगी उल्का पिंड की बौछार!, जानिये कैसे देख सकेंगे आप

उल्का पिंड गिरने का नजारा धरती के उत्तरी गोलार्ध में दिखाई पड़ेगा यानि भूमध्य रेखा के ऊपरी हिस्से वाले देशों में. उल्का पिंड 35 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से गिरते हुए दिखाई देंगे. किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से बात करें तो यह 1.26 लाख किलोमीटर प्रति घंटा होगी.

फोटो: नासा फोटो: नासा
हाइलाइट्स
  • बंदूक की गोली से 40 गुना ज्यादा होगी रफ्तार

  • 17 दिसंबर से 26 दिसंबर तक उर्सिड्स मेटर भी गिरेगी

  • नासा के पास है फेथोन के टूटने की चार थ्योरी

जमीनी नक्षत्र से निकलने वाले उल्का पिंड धरती के वायुमंडल से होकर गुजरेंगे. हर घंटे 30 से 40 उल्का पिंड गिरते हुए दिखाई पड़ेंगे. ये एस्ट्रॉयड(asteroid) या धूमकेतु(comet) नहीं हैं. 14 दिसंबर की रात से लेकर 17 दिसंबर तक उल्का पिंड की बौछारें होगी.

बंदूक की गोली से 40 गुना ज्यादा होगी रफ्तार
उल्का पिंड गिरने का नजारा धरती के उत्तरी गोलार्ध में दिखाई पड़ेगा यानि भूमध्य रेखा के ऊपरी हिस्से वाले देशों में. उल्का पिंड 35 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से गिरते हुए दिखाई देंगे. किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से बात करें तो यह 1.26 लाख किलोमीटर प्रति घंटा होगी. बंदूक से निकली हुई गोली से 40 गुना ज्यादा इसकी रफ्तार होगी. इसे जेमिनिड्स नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि ये जमीनी नक्षत्र से निकले हुए हैं.

ऐसा नहीं है कि सिर्फ चार दिनों तक उल्का पिंड की बारिश होगी, 17 दिसंबर से 26 दिसंबर तक उर्सिड्स मेटर भी देखने को मिलेगा. इसका सबसे सटीक नजारा 23 दिसंबर को देखने को मिलेगा.

ऐसे दिखते हैं नजारे
ऐसे नजारे तब देखने को मिलते हैं जब अंतरिक्ष में उड़ने वाले पत्थर अपने पीछे घर्षण की वजह से जमी हुई बर्फ की एक पूंछ बनाते हैं. लेकन, जब ये धरती के वायुमंडल में आते हैं तब इनके पीछे आग की एक पूंछ दिखाई पड़ती है. इसे देखकर ऐसा लगता है कि मानो तारा टूट रहा है.

जेमिनिड्स उल्का पिडों की बारिश का सीधा संबंध एस्ट्रायड 3200 फेथोन से है. नासा के मुताबिक 3200 फेथोन एस्ट्रायड को 11 अक्टूबर 1983 को खोजा गया था. इसका व्यास 5.10 किलोमीटर है. इसका नाम ग्रीक गॉड हेलिओस सूरज के बेटे फेथॉन के नाम पर रखा गया है.

ये है फेथोन के टूटने की चार थ्योरी
नासाके पास फेथोन के टूटने की चार थ्योरी है. पहला ये कि यह किसी अन्य वस्तु से अलग हुआ और उसमें से उल्का पिंड निकले. दूसरा यह किसी वस्तु से टकराया और उससे ढेर सारे पत्थर टूटकर अंतरिक्ष में फैल गए जिसके बीच से धरती हर साल दिसंबर में गुजरती है. तीसरी थ्योरी ये है कि फेथोन एक मरा हुआ कॉमेट यानि धूमकेतु है. चौथा यह कि फेथोन पथरीला धूमकेतु है जो लगातार टूट रहा है. लेकिन, फेथोन की उत्पत्ति की वजह अभी भी रहस्य ही है.

ऐसे देख सकेंगे नजारा
अगर आपको ये नजारा देखना है तो शहर की रोशनी वाले प्रदूषण से दूर किसी खुली जगह या ऊंचाई वाले जगह पर चले जाएं. इस दौरान फोन का इस्तेमाल नहीं करें क्योंकि फोन की रोशनी के साथ आसमान की रोशनी को आंखों से एडज्सट नहीं कर पाएंगे या इसमें दिक्कत होगी. रात दो बजे के बाद आपको आसमान में इस अतरंगी आतिशबाजी का नजारा देखने को मिल सकता है.