अक्सर समझा जाता है कि बच्चे को बुद्धिमानी उसके माता-पिता से मिलती है. इसका मतलब है कि अगर किसी के पिता बुद्धिमान हैं तो उनका बच्चा भी बुद्धिमान ही होगा. ये वंशानुगत होती है. अब हालिया स्टडी में सामने आया है कि ऐसा नहीं होता. बच्चे की बुद्धिमानी कई कारकों से प्रभावित होती है. यह केवल किसी एक जीन से कंट्रोल नहीं की जाती है.
अमेरिका की एक कंपनी हेलियोस्पेक्ट ने एक ऐसा तरीका ईजाद किया है जिससे एम्ब्र्यो यानी बच्चा पैदा होने से पहले ही उसकी बुद्धिमानी का पता लग जाएगा. कंपनी इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के तहत माता-पिता को ऊंचाई या आईक्यू जैसे गुणों के आधार पर एम्ब्र्यो चुनने का मौका देगी.
जेनेटिक स्क्रीनिंग कैसे काम करती है?
बुद्धिमत्ता जैसे गुण "पॉलीजेनिक" माने जाते हैं, जिसका मतलब है कि वे हजारों अलग-अलग genes से मिलकर बनी है. कंपनी जेनेटिक डेटाबेस, जैसे कि यूके बायोबैंक का उपयोग करके ऐसा करने वाली है.
लेकिन ये जेनेटिक स्क्रीनिंग कैसे होती है? एम्ब्र्यो पर जेनेटिक स्क्रीनिंग करने के लिए, सेल्स का एक छोटा सैंपल लिया जाता है ताकि डीएनए का विश्लेषण किया जा सके. हेलियोस्पेक्ट जैसी कंपनियां एक अनुमानित एल्गोरिदम के हिसाब से "पॉलीजेनिक स्कोर" नोट करती हैं, जो यह दिखाता है कि किसी विशेष गुण जैसे हाई IQ होने की संभावना कितनी है. हालांकि, इसी 100 प्रतिशत गारंटी नहीं होती है कि ज्यादा आईक्यू वाला बच्चा बुद्धिमान ही होगा… ये बाकी कई और चीजों पर निर्भर करता है.
उदाहरण के लिए, अगर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलती है तो कम आईक्यू वाला एम्ब्र्यो भी एक होनहार बच्चा बन सकता है. उसके माहौल पर भी निर्भर करता है कि वह क्या सीखता और समझता है.
क्या होगा फायदा?
हेलियोस्पेक्ट ने सुझाव दिया है कि इसकी मदद से माता-पिता ऐसा एम्ब्र्यो चुन सकते हैं जिसका आईक्यू स्वाभाविक रूप से ज्यादा हो. साथ ही ऐसा करने से लोग एक स्वस्थ बच्चा पैदा कर सकते हैं. हालांकि, आईवीएफ से हमेशा एक स्वस्थ एम्ब्र्यो पैदा हो ऐसा नहीं है. 18-34 साल की महिलाओं के लिए, केवल लगभग 33% ऐसे होते हैं जो स्वस्थ होते हैं. इसमें मिसकैरेज का खतरा काफी ज्यादा होता है.
विवाद बना हुआ है ये विषय
इसे लेकर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो विरोध कर रहे हैं. जेनटिक स्क्रीनिंग को लेकर उन्होंने जानवरों पर होने वाले एक्सपेरिमेंट का हवाला दिया है. 2010 के दशक के दौरान, वैज्ञानिकों ने "सुपरचिकन" पैदा की थीं. जो ज्यादा बेहतर अंडे देने में सक्षम थीं. हालांकि सुपरचिकन ने ज्यादा अंडे तो दिए लेकिन वे काफी आक्रामक भी हो गईं थीं. इससे बड़े स्तर पर लोगों का नुकसान हुआ था.
हाई आईक्यू वाले एम्ब्र्यो को चुनना एक बड़ा विवाद बन रहा है. इस तरह की टेक्नोलॉजी का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए, या सावधानी से आगे कैसे बढ़ा जाए इसपर अभी बहुत विचार करने की जरूरत है.