दिल की बीमारियां (कार्डियोवैस्कुलर डिजीज) दुनिया भर में होने वाली मौतों का मुख्य कारण है. ये हर साल लगभग एक-तिहाई मौतों के लिए जिम्मेदार है. हालांकि, कई ऐसी चीजें हैं जो हमारे दिल को प्रभावित करती हैं. इसमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, और हार्ट फेलियर शामिल है. इन सभी स्थितियों में हार्ट अटैक सबसे ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि इससे अक्सर दिल गंभीर रूप से कमजोर हो जाता है. जब किसी को दिल का दौरा पड़ता है, तो दिल की अपनी मरम्मत करने की क्षमता सीमित हो जाती है.
हमारा शरीर इस नुकसान की भरपाई के लिए कुछ टिश्यू बनाता है, लेकिन ये टिश्यू काफी कठोर होते हैं. ये हार्ट को नुकसान पहुंचा सकते हैं. समय के साथ, ये टिश्यू दिल में होने वाले खून के प्रवाह को बाधित करने लगते हैं. जिससे हार्ट फेलियर हो सकता है. चौंकाने वाली बात यह है कि दिल का दौरा पड़ने के बाद आधे लोग पांच साल से ज्यादा जीवित नहीं रह पाते हैं.
अब इसी दिशा में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, लॉस एंजेलिस के एली और एडिथ ब्रॉड सेंटर फॉर रीजनरेटिव मेडिसिन और स्टेम सेल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने एक नया तरीका खोजा है. इसकी मदद से हार्ट अटैक के बाद टिश्यू रिपेयर किए जा सकते हैं. जिससे हार्ट फेलियर को रोका जा सकेगा.
हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर
सबसे पहले जरूरी है कि हम ये समझें कि आखिर दिल के दौरे के दौरान और उसके बाद दिल में क्या होता है. दिल का दौरा तब होता है जब दिल की मांसपेशी के एक हिस्से में खून का बहना गंभीर रूप से कम हो जाता है या रुक जाता है. ये अक्सर कोरोनरी आर्टरी में रुकावट के कारण होता है. ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी के कारण प्रभावित हिस्से की मांसपेशी जल्दी से डैमेज या नष्ट हो सकती हैं. ऐसे में शरीर नेचुरल तरीके से अपना ट्रीटमेंट प्रोसेस शुरू करता है, लेकिन दिल को ठीक करने वाली ये क्षमता काफी सीमित होती है. खोई हुई मसल टिश्यू के बजाय, दिल स्कार टिश्यू बनाता है, जो आगे के नुकसान को रोकने और दिल के स्ट्रक्चर को सही बनाए रखने के लिए होता है.
लेकिन, ये नए टिश्यू दिल के पुराने टिश्यू की तरह लचीले नहीं होते हैं और उस तरह काम नहीं करते हैं. समय के साथ, दिल को खून को पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इससे दिल पर तनाव पड़ता है और हार्ट फेलियर होने के चांस बढ़ते जाते हैं. इस नए एक्सपेरिमेंट में इस मेडिकल समस्या का हल निकाला है. इसमें दिल का दौरा पड़ने के बाद स्कार टिश्यू कम कठोर बनते हैं.
ENPP1 प्रोटीन को ब्लॉक किया जाएगा
यूसीएलए में जिस टेक्निक पर काम हो रहा है वो दिल की मरम्मत में सुधार लाने के लिए ENPP1 नामक एक प्रोटीन पर फोकस करती है. शोधकर्ताओं ने पाया है कि हार्ट अटैक के बाद ENPP1 का लेवल काफी बढ़ जाता है, जो दिल में सूजन और स्कार टिश्यू के बनने में योगदान देता है. सूजन एक नेचुरल ट्रीटमेंट प्रोसेस का हिस्सा होती है, लेकिन ज्यादा सूजन दिल के नुकसान को बढ़ा सकती है, खासकर हार्ट अटैक के बाद.
ENPP1 को रोकने के लिए, शोधकर्ताओं ने एक विशेष दवा बनाई है, जिसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कहा जाता है. मोनोक्लोनल एंटीबॉडी लैब में बनाए गए मॉलिक्यूल होते हैं जो शरीर में विशिष्ट प्रोटीन को निशाना बना सकते हैं, बिल्कुल प्राकृतिक एंटीबॉडी की तरह जो इम्यून सिस्टम बनाता है. इस मामले में, शोध टीम ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को ENPP1 को रोकने के लिए डिजाइन किया है.
हालांकि, अभी इसके ह्यूमन ट्रायल्स होने बाकी हैं. शोधकर्ताओं को पता है कि ENPP1 को रोकने या इसमें किसी तरह की छेड़छाड़ करना इतना आसान नहीं है. उदाहरण के लिए, ENPP1 हड्डी को स्वस्थ रखने और कैल्सीफिकेशन में भी भूमिका निभाता है, और इसे लंबे समय तक इसे रोकना इन सभी को प्रभावित कर सकता है. इन सवालों के जवाब देने के लिए, इस मेथड को अभी भी कई और ट्रायल्स से गुजरना होगा.