हमारा देश आज 23 अगस्त 2023 को इतिहास रचने जा रहा है. जी हां, हमारा मून मिशन चंद्रयान-3 चांद के साउथ पोल पर शाम को 6:30 बजे उतरेगा. इस तरह भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा. इससे पहले इसरो ने चंद्रयान-1 के मून इम्पैक्ट प्रोब और चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर व प्रज्ञान रोवर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराने की कोशिश की थी. आइए आज जानते हैं चंद्रयान-1 से लेकर चंद्रयान-3 तक का कितना बजट रहा है.
क्या है चंद्रयान-3 का बजट
भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन (ISRO) ने भले ही चंद्रयान-2 के 4 साल बाद तीसरा मिशन शुरू किया, लेकिन इसकी लागत बढ़ाने के बजाए और घटा दी गई है. इसरो की ओर से दी गई जानकारी को मानें तो चंद्रयान-3 पर आया खर्चा इससे पहले के मिशन पर हुए खर्चे से भी 363 करोड़ रुपए कम है. यानी चंद्रयान-3 पर आई लागत चंद्रयान-2 से काफी कम बैठी है.
चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ था. इसरो के पूर्व चेयरमैन के सिवन के मुताबिक इस मिशन का जो अप्रूव्ड कॉस्ट है वो लगभग 250 करोड़ है. इसमें लॉन्च व्हीकल की लागत शामिल नहीं है, लेकिन लैंड रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल की लागत शामिल है. इसके अलावा, लॉन्च सर्विस की लागत 365 करोड़ थी, ऐसे में पूरे मिशन की लागत 615 करोड़ या लगभग 75 मिलियन डॉलर के आसपास है.
क्या था चंद्रयान-2 का बजट
चंद्रयान-2 भारत का सबसे महंगा लूनर मिशन रहा है. हालांकि ये असफल हो गया था. जानकारी के मुताबिक, मिशन में लैंडर, ऑर्बिटर, रोवर, नेविगेशन और ग्राउंड सपोर्ट नेटवर्क की लागत 603 करोड़ थी, जबकि जियो-स्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल की लागत 375 करोड़ थी, जिससे की चंद्रयान 2 का टोटल बजट 978 करोड़ पर पहुंचा था.
चंद्रयान-1 का बजट क्या था
चंद्रयान-1 भारत के चंद्रयान मिशन का पहला लूनर प्रोब था. इसे अक्टूबर, 2008 में लॉन्च किया गया था और इसने अगस्त, 2009 तक काम किया था. इस मिशन के साथ ही इसरो चांद की सतह पर पहुंचने वाला पांचवां नेशनल स्पेस एजेंसी बन गया. इस मिशन की लागत का अनुमान 386 करोड़ रुपये या लगभग 48 मिलियन डॉलर था. तो यानी कुल मिलाकर हम अपने चंद्रयान मिशन पर 1,979 करोड़ या लगभग 2,000 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं.
रूस के मून मिशन का क्या था बजट
हाल ही में दुर्घटनाग्रस्त हुए रूस के लूना-25 का बजट भी चंद्रयान-3 से काफी अधिक था. लूना-25 मिशन का बजट करीब 200 मिलियन डॉलर (16,63,14,00,000 रुपए) था. यानी रूस को इस मिशन के फेल होने से 16.6 अरब रुपए का नुकसान हुआ है. इस 200 मिलियन डॉलर के बजट में स्पेसक्राफ्ट को डेवलप करना, लॉन्च ऑपरेशन, मिशन कंट्रोल और चांद से मिले डेटा का वैज्ञानिक विश्लेषण शामिल था.
कितना था अमेरिका के मिशन का खर्च
अमेरिका ने अपना पहला लूनर मिशन साल 1960 में शुरू किया था. तब उसके मिशन का कुल खर्च 25.8 अरब डॉलर (करीब 2 लाख करोड़ रुपए) आया था. इसके आज के टर्म में देखें तो 178 अरब डॉलर का खर्चा होगा, जो भारतीय करेंसी में 14 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है. इसके मुकाबले इसरो का चंद्रयान मिशन का खर्च तो कुछ भी नहीं है. दोनों का अंतर देखा जाए तो करीब 3000 गुना ज्यादा महंगा था अमेरिका का पहला चंद्र मिशन.