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Science of Happiness: कैसे पॉजिटिव इमोशंस आपकी सेहत पर असर डालते हैं? समझिए खुश रहने के पीछे का साइंस

हम सभी खुश रहना चाहते हैं...इसके लिए कई बार हम नकारात्मक परिस्थियों में भी पॉजिटिव रहने की कोशिश करते हैं..खुशी, कृतज्ञता और पॉजिटिव इमोशंस को हमेशा कुछ समय के लिए रहते हैं. कभी आप बहुत खुश महसूस कर सकते हैं तो अगले ही पल आपकी खुशी दुख में भी बदल सकती है.

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हाइलाइट्स
  • पॉजिटिव इमोशंस पर करें काम

  • सुख-दुःख संक्रमण की तरह

हम सभी खुश रहना चाहते हैं...इसके लिए कई बार हम नकारात्मक परिस्थियों में भी पॉजिटिव रहने की कोशिश करते हैं...खुशी, कृतज्ञता और पॉजिटिव इमोशंस को हमेशा कुछ समय के लिए रहते हैं. कभी आप बहुत खुश महसूस कर सकते हैं तो अगले ही पल आपकी खुशी दुख में भी बदल सकती है. लेकिन वैज्ञानिकों ने हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में पॉजिटिव इमोशंस को अहम माना है. 

पॉजिटिव इमोशंस फिट रहने के लिए जरूरी

पॉजिटिव इमोशंस और बेहतर हेल्थ के बीच संबंध ये बताया है कि सकारात्मक भावनाएं हमारे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कामकाज के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकती हैं, और इससे इंसानों को फायदा भी होता है. यानी की पॉजिटिव सोच न केवल आपके दिमाग को स्वस्थ रखती है, बल्कि ये आपको शारीरिक तौर पर दूसरों से ज्यादा फिट रखने का काम करती है. ये बात हम नहीं कह रहे, बल्कि साइंस ने प्रूव किया है.

खुशियों के पीछे का साइंस

साइंस खुशियों के सामाजिक पहलू पर भी बात करता है और ऐसे कई परिणाम सामने आए हैं जिसमें दावा किया गया है कि कैसे सकारात्मक भावनाएं मजबूत रिश्तों और सामाजिक संबंधों को बढ़ावा दे सकती हैं. मुश्किल समय दौरान पॉजिटिव इमोशंस या सकारात्मक भावनाएं लोगों को प्रतिकूल परिस्थितियों से उबरने में मदद करती हैं. बेहतर स्वास्थ्य, लंबी आयु और वेलनेस के लिए पॉजिटिव इमोशंस बेहद महत्वपूर्ण हैं. 

साइंस के मुताबिक हम अपनी खुशियों का बड़ा हिस्सा खुद नियंत्रित करते हैं जिसमें हमारी आदतें और नजरिया बड़ी अहमियत रखते हैं. विल पावर और पॉजिटिव इमोशंस की मदद से बड़ी से बड़ी मुश्किलों से बाहर निकला जा सकता है. खुशमिजाज लोगों के संपर्क में रहने वाले लोग भी पॉजिटिव महसूस करते हैं.

2005 में रिव्यू ऑफ जनरल साइकोलॉजी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, 50% लोगों की खुशी उनके जीन से निर्धारित होती है. 10% उनकी परिस्थितियों पर और 40% "जानबूझकर की गई एक्टिविटी" पर निर्भर करती है. 

सुख-दुःख संक्रमण की तरह

जीन व्यवहार को प्रभावित करते हैं जोकि लोगों को अपना माहौल चुनने में मदद करते हैं. मान लीजिए आप extrovert हैं ऐसे में जाहिर है आप अपना माहौल Extraversion के हिसाब से ही चुनेंगे. जो लोग दूसरों की सफलता में खुश होते हैं, उनके सफल होने की संभावना भी ज्यादा होती है. हमारे नेगेटिव इमोशंस ज्यादातर चीजों को समझने के हमारे ढंग का नतीजा होते हैं. हम जैसा सोचते हैं, हमारे साथ वैसा ही होता ही होता है. साइंस के मुताबिक सुख-दुःख संक्रमण की तरह काम करते है. यानी जो लोग खुश हैं उनके साथ रहने पर आप खुश रहेंगे और दुखी लोगों के पास जाकर आप भी दुखी महसूस कर सकते हैं.