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IIT Kanpur research: अब चोट लगने पर दो मिनट में रुक जाएगा खून का बहना, IIT कानपुर ने समुद्री घास से तैयार किया खास स्पंज

IIT कानपुर के प्रोफेसर विवेक वर्मा के अनुसार, समुद्र के किनारे पाई जाने वाली लाल घास आम घास की तुलना में मोटी और घनी होती है. जब इसे चोट पर लगाया जाता है, तो खून का बहना तुरंत रुक जाता है.

Sponge Sponge
हाइलाइट्स
  • स्पंज किया है तैयार 

  • खून सोखने वाले स्पंज पर की रिसर्च 

अब अगर ज्यादा चोट या दुर्घटना में खून का बहाव तेजी से हो, तो घबराने की जरूरत नहीं है. IIT कानपुर ने एक ऐसा स्पंज तैयार किया है, जिसे लगाने से खून का बहना तुरंत रुक सकता है, और यह आपके जीवन को बचा सकता है. यह स्पंज पूरी तरह से स्वदेशी है, और इसके परीक्षण पहले चूहों और अन्य जानवरों पर किए गए थे. इसके बाद, इसे इंसानों के लिए इस्तेमाल करने का प्रयास किया जा रहा है. 

फिलहाल, इसे डिफेंस क्षेत्र में प्रयोग किया जा रहा है, और इसे मेडिकल उपयोग के लिए तैयार करने में लगभग छह महीने का समय लग सकता है. यह खास स्पंज समुद्री घास से बनाया गया है, और इसमें लॉक (चिपकने वाला पदार्थ) का भी इस्तेमाल किया गया है.

स्पंज किया है तैयार 
अक्सर दुर्घटनाओं में ज्यादा खून बहने से लोगों की जान जाती है, क्योंकि आमतौर पर लोग खून रोकने के लिए कोई प्रभावी सामग्री अपने पास नहीं रखते. लेकिन अब IIT कानपुर के विशेषज्ञों ने एक ऐसा स्पंज विकसित किया है, जो एक मिनट के भीतर खून बहने को रोक सकता है. यह स्पंज समुद्री घास (रेड सी) और सेलुलोज के संयोजन से तैयार किया गया है, जो खून को सोखने के साथ-साथ थक्के जमने से भी रोकता है.

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खून सोखने वाले स्पंज पर की रिसर्च 
शोधकर्ता कौशल शाक्य के अनुसार, उनकी लैब में पहले पॉलीमर पैकेजिंग पर काम होता था, और इस दौरान उन्होंने खून सोखने वाले स्पंज पर अध्ययन शुरू किया. उन्होंने देखा कि अगर कोई सामग्री पानी सोख सकती है, तो खून भी क्यों नहीं. इसके बाद, उन्होंने समुद्री घास और सेलुलोज का उपयोग करते हुए स्पंज बनाया और जानवरों पर इसका परीक्षण किया, जिसमें यह देखा गया कि स्पंज पूरी तरह से खून को सोख रहा था. अब ह्यूमन ट्रायल बाकी हैं, और जैसे ही यह पूरा होगा, यह स्पंज भारतीय बाजारों में उपलब्ध होगा. 

समुद्र के किनारे पाई जाती है घास
IIT कानपुर के प्रोफेसर विवेक वर्मा के अनुसार, समुद्र के किनारे पाई जाने वाली लाल घास आम घास की तुलना में मोटी और घनी होती है. जब इसमें सेलुलोज मिलाया जाता है, तो एक ऐसा संरचनात्मक बदलाव आता है, जिसमें खून के सेल फंस जाते हैं. जब इसे चोट पर लगाया जाता है, तो खून का बहना तुरंत रुक जाता है.

यह स्पंज फर्स्ट ऐड के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए DRDO में एक पेटेंट दायर किया गया है, जबकि IIT कानपुर में इसके दो पेटेंट पहले ही दायर किए जा चुके हैं.

(सिमर चावला की रिपोर्ट)