भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रोपड़ के रिसर्चर्स की एक टीम ने पंजाब में सतलुज नदी की रेत में इलेक्ट्रॉनिक घटकों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली एक दुर्लभ धातु टैंटलम की उपस्थिति का पता लगाया है. यह खोज संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ रेसमी सेबेस्टियन की अध्यक्षता वाली एक टीम ने की. डॉ. सेबेस्टियन ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि शोधकर्ता एक असंबंधित परियोजना पर काम कर रहे थे, जब उनकी नजर सतलुज बेसिन से इकट्ठे किए गए सैंपल्स में मौजूद धातु पर पड़ी.
उन्होंने कहा कि उनके एक रिसर्च स्टूडेंट ने सतलुज में पाए जाने वाले धातुओं के लक्षण और गुणों पर प्रयोग करते समय टैंटलम की उपस्थिति पाई. डॉ सेबेस्टियन ने कहा कि प्रयोगों का उद्देश्य मूल रूप से मिट्टी और चट्टानों के गतिशील गुणों का अध्ययन करना था और भूकंप के मामले में इनका क्या प्रभाव पड़ेगा. वे जो प्रयोग कर रहे थे उसमें खनिज विश्लेषण (मिनरल एनालिसिस) कभी भी एक लक्ष्य नहीं था. ऐसी दुर्लभ धातुओं के खनन की इकोनॉमिक वायबिलिटी राज्य के हित में हो सकती है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमी-कंडक्टर में है इस्तेमाल
पंजाब खनन और भूविज्ञान विभाग के निदेशक अभिजीत कपलिश ने कहा कि सतलुज में टैंटलम की खोज न केवल पंजाब के लिए बल्कि भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमी-कंडक्टर में इसके उपयोग की दृष्टि से इसका महत्व है. वे अब नदी में धातु की मात्रा जानने को उत्सुक हैं. विस्तार से स्टडी करने से इस पर ज्यादा जानकारी सामने आने की संभावना है.
जुलाई 2021 में डॉ. सेबेस्टियन की टीम द्वारा प्रयोग किए जाने के बाद, इस साल जनवरी में एक शोध पत्र प्रकाशित किया गया था. टैंटलम की उपस्थिति की पुष्टि करने वाले निष्कर्ष, नदी रेत खनन के लिए सामाजिक-पर्यावरणीय स्थिरता पर पंजाब सरकार के लिए आईआईटी-रोपड़ के एक प्रस्ताव में शामिल हैं. यह प्रस्ताव पंजाब के विभिन्न स्थानों पर सतलुज में मौजूद दुर्लभ धातुओं और अन्य तत्वों की पहचान का जिक्र करते हुए टैंटलम की उपस्थिति पर प्रकाश डालता है, जो सरकार और संबंधित उद्योगों के लिए रुचि का क्षेत्र है.
125 स्थानों से लिए जाएं सैंपल
यह प्रस्ताव डॉ रीत कमल तिवारी के नेतृत्व वाली एक टीम ने तैयार किया है, जो संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर भी हैं. इस टीम में डॉ. सेबेस्टियन भी शामिल हैं. उन्होंने दुर्लभ घटकों की पहचान करने के लिए कम से कम 125 स्थानों से सतलुज नदी के सैंपल्स इकट्ठे करने का प्रस्ताव दिया है. पंजाब सरकार द्वारा मैप की गई 300 से ज्यादा साइटों का पता लगाया जा सकता है.
टैंटलम एक कठोर, चमकदार ट्रांजिशन मेटल है जो अत्यधिक संक्षारण (कॉरिज़न) प्रतिरोधी है. केंद्रीय खान मंत्रालय की 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट ने इसे "12 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों में से एक" के रूप में पहचाना. हालांकि सतलुज में टैंटलम का स्रोत अभी तक स्पष्ट नहीं है. यह हिमालय क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण हो सकता है जिसमें दुर्लभ धातु होने की संभावना है.
क्या हो सकता है इसका सोर्स
भूकंप के दौरान टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण टैंटलम हिमालय क्षेत्र की नदियों में पहुंच सकता है. भारत में टेक्टोनिक प्लेटें यूरेशियाई क्षेत्र की ओर बढ़ रही हैं और इस प्रक्रिया में, पृथ्वी के नीचे के दुर्लभ खनिज हिमालय की नदियों में अपना रास्ता बना रहे होंगे. हालांकि, जांच के बिना मेटल के स्रोत पर टिप्पणी नहीं कर सकते. यह उद्योग से नहीं आ सकता, क्योंकि हमने पाया कि रोपड़ के अपस्ट्रीम में ऐसा कोई उद्योग नहीं है. यह चीन से आ सकता है, क्योंकि सतलुज का 80 प्रतिशत जलग्रहण क्षेत्र चीन में, तिब्बत में है. बिना जांच के इसके स्रोत पर कुछ नहीं कहा जा सकता है.