इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने सोमवार को NVS-01 लॉन्च किया जो फर्स्ट सेकेंड-जेनरेशन नेविगेशन सैटेलाइट सीरीज, NavIC या भारतीय तारामंडल के साथ नेविगेशन- जाहिर तौर पर ग्लोबल पोर्टियनिंग सिस्टम (जीपीएस) के लिए भारत का जवाब है.
NavIC एक स्वतंत्र स्टैंड-अलोन नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है, जो वर्तमान में क्षेत्रीय स्तर पर काम कर रहा है. भारत सरकार इसे अमेरिका के जीपीएस, रूस के ग्लोनास, यूरोप के गैलीलियो और चीन के जीपीएस के साथ ग्लोबल सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम के रूप में विकसित कर रही है. अपनी वर्तमान स्थिति में, एनएवीआईसी जापान से क्यूजेडएसएस के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है, जो केवल जापानी और पड़ोसी क्षेत्रों को लक्षित करता है.
क्या है NavIC
भारत की स्थिति, नेविगेशन और समय की जरूरतों को पूरा करने के लिए, इसरो ने NavIC नामक एक क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली की स्थापना की, जिसे पहले भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) के रूप में जाना जाता था. NavIC को आठ सैटेलाइट्स के समूह और 24X7 संचालित करने वाले ग्राउंड स्टेशनों के नेटवर्क के साथ डिज़ाइन किया गया है.
इनमें से तीन सैटेलाइट भू-स्थिर कक्षा में पृथ्वी की सतह से लगभग 22,000 मील ऊपर और पांच भू-समकालिक कक्षा में स्थित हैं. ग्लोबल नेविगेशनसैटेलाइट सिस्टम के मामले में, सैटेलाइट्स को लगातार दुनिया भर में घूमना पड़ता है. एनएवीआईसी के पास एक ग्राउंड नेटवर्क है जिसमें एक कंट्रोल सेंटर, प्रिसाइज टाइमिंग फैसिलिटी, रेंज और इंटीग्रेटी मॉनिटरिंग स्टेशन और दो-तरफ़ा रेंजिंग स्टेशन शामिल हैं. इस प्रोजेक्ट को साल 2006 में 174 मिलियन डॉलर के बजट के साथ मंजूरी दी गई थी, हालांकि यह कई साल बाद 2018 में चालू किया गया और तब से संचालन में है.
कैसे बेहतर है NavIC
हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जीपीएस और ग्लोनास, जो दुनिया में उपयोग किए जा रहे हैं और दोनों ग्लोबल नेविगेशन सिस्टम हैं, अमेरिका और रूस की रक्षा एजेंसियों द्वारा संचालित किए जाते हैं. इस प्रकार, एक संभावना है कि किसी भी समय नागरिक सेवा को बंद किया जा सकता है.
उदाहरण के लिए, 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान, भारत सरकार ने अमेरिका से दुश्मन के ठिकाने उपलब्ध कराने का अनुरोध किया, लेकिन इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया. अगर उस समय भारत का अपना नेविगेशन सिस्टम होता तो इस तरह की जानकारी के लिए किसी दूसरे देश पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ती.
साथ ही, NavIC भारतीय क्षेत्र पर एक स्वतंत्र क्षेत्रीय प्रणाली है और सेवा क्षेत्र के भीतर स्थिति सेवा प्रदान करने के लिए अन्य प्रणालियों पर निर्भर नहीं है. यह पूरी तरह से भारत सरकार के नियंत्रण में है. इसे नागरिक नेविगेशन सेवाओं के अनुकूल बनाया जा रहा है. यह परिवहन (भूमि, जल और वायु), लोकेशन बेस्ड सर्विसेज, व्यक्तिगत गतिशीलता, संसाधन निगरानी, सर्वेक्षण और भूगणित, वैज्ञानिक अनुसंधान और जीवन सुरक्षा चेतावनी प्रसार के क्षेत्र में इसके अनुप्रयोग को बेहतर बनाने में मदद करेगा.
सभी स्मार्टफोन्स बनेंगे NavIC के अनुकूल
सरकार ने सभी मोबाइल फोन निर्माताओं को जनवरी 2023 से अपने नए टूल्स को एनएवीआईसी के अनुकूल बनाने का निर्देश दिया है. आने वाले सालों में ज्यादातर क्षेत्र जहां नेविगेशन सर्विसेज का उपयोग किया जाता है, जिसमें फूड डेलिवरी एप, कूरियर सर्विस, गेमिंग सर्विस और बीमा सेवाएं शामिल हैं, सभी अन्य देशों की सर्विसेज पर निर्भर रहने के बजाय हमारी स्वदेशी नेविगेशन सेवा का उपयोग करेंगे.
इसरो के चेयरमैन, सोमनाथ का कहना है कि एजेंसी का उद्देश्य NavIC को ग्लोबल नेविगेशन सिस्टम बनाना है और इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए ऑर्बिट में और ज्यादा सैटेलाइट स्थापित करेंगे.