मैत्रेयी वैरागकर, एक न्यूरोसाइंटिस्ट और न्यूरोइंजीनियर है. वर्तमान में वह कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस में पोस्टडॉक्टोरल स्कॉलर हैं. मैत्रेयी को एस्टी लॉडर के साथ साझेदारी में प्रमुख वैज्ञानिक पत्रिका 'नेचर' द्वारा प्रतिष्ठित 'इंस्पायरिंग वुमन इन साइंस' पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है.
यह हमारे देश के लिए बहुत ही गर्व की बात है क्योंकि मैत्रेयी मूल रूप से भारतीय हैं. वह उन महिला वैज्ञानिकों की सूची में एकमात्र भारतीय हैं, जिन्होंने अपने करियर की शुरूआत में कोरोनावायरस के लिए वैक्सीन डेवेलप करना और ब्लैक होल इमेजिंग प्रोजेक्ट को को-लीड करने जैसे काम किए हैं.
6 अर्ली करियर वीमेन साइंटिस्ट में से एक
मैत्रेयी, अगले सप्ताह घोषित होने वाले प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए नामांकित दुनिया भर की छह प्रारंभिक करियर महिला शोधकर्ताओं में से हैं. उन्हें अब तक न्यूरोटेक्नोलॉजी में उनके काम के लिए नामांकन मिला है. डेक्कन क्रॉनिकल से बात करते हुए मैत्रेयी ने बताया कि न्यूरोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रिसर्च की बहुत ज्यादा जरूरत है ताकि न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्जर्स से पीड़ित लोगों को ठीक होने में मदद मिल सके.
अपने नामांकन के लिए मैत्रेयी ने यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग और इंपीरियल कॉलेज लंदन और उनके वर्तमान संस्थान, यूसी डेविस सहित अपने मेंटर्स को श्रेय दिया है. वह यूसी डेविस और ब्रेनगेट कन्सॉर्टियम की न्यूरोप्रोस्थेटिक लैब में काम करती हैं.
बनाती हैं न्यूरोटेक्नोलॉजी
मैत्रेयी मुख्य रूप से ऐसे लोगों के लिए काम कर रही हैं जिन्हें ब्रेन स्ट्रोक, डिमेंशिया, पार्कींशन्स सिंड्रोम जैसी बिमारियां हैं. ऐसे लोगों की मदद वह न्यूरोटेक्नोलॉजी बनाकर करने की कोशिश कर रही हैं. फिलहाल वह ऐसी तकनीक पर काम कर रही हैं जिसकी मदद से किसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी की वजह से अपना आवाज खो चुके लोगों क उनकी आवाज वापस मिल जाए.
मैत्रेयी का कहना है कि यह नामांकन उनके लिए एक बहुत बड़ा सम्मान है. इस अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट हुए सभी लोगों ने महान काम किए हैं. आपको बता दें कि अन्य नामांकित लोगों में किज़्मेकिया कॉर्बेट भी हैं, जो हार्वर्ड के टी.एच. में इम्यूनोलॉजी और संक्रामक रोगों के सहायक प्रोफेसर हैं.