पिछले हफ्ते WHO ने एथेरोस्क्लेरोसिस कार्डियोवेस्कुलर डिजीज की प्राइमरी और सेकेंडरी रोकथाम में इस्तेमाल होने वाली जरूरी दवाओं की लिस्ट में बदलाव किया. डब्ल्यूएचओ ने इस लिस्ट में हृदय संबंधी दवाओं या पॉलीपिल्स की तीन फिक्स्ड डोज के कॉम्बिनेशन को शामिल किया है. इसका मलतब है कि WHO ने एक दवा की खुराक को मंजूरी दे दी है, जो दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को कम करती है. इस दवा के कॉम्बिनेशन को भारतीय मूल के वैज्ञानिक सलीम यूसुफ ने बनाया है.
जरूरी दवाओं के इस्तेमाल को सलेक्ट करने वाली डब्ल्यूएचओ की एक्सपर्ट कमेटी ने बड़े रंडोमाइज-कंट्रोल्ड ट्रायल्स से सबूत इकट्ठा किया और पाया कि पॉलीपिल के इस्तेमाल से दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को कम करता है. कमेटी ने ये भी पाया कि इसकी प्राइमरी और सेकेंडरी रोकथाम के लिए इसकी जरूरत है.
भारतीय मूल के वैज्ञानिक ने बनाई दवा-
इस दवा का कॉम्बिनेशन बनाने में भारतीय मूल के वैज्ञानिक सलीम यूसुफ की अहम भूमिका है. सलीम यूसुफ कनाडा के मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में एक हृदय रोग विशेषज्ञ हैं. वो भारत के केरल से आते हैं. उनको पॉलीपिल्स के क्लिनिकल साक्ष्य जुटाने में दो दशक से अधिक समय लगा. उन्होंने साक्ष्य जुटाया कि ये दवा दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए प्रभावी है. हालांकि भारतीय मूल के वैज्ञानिक की कोशिशों को WHO से मंजूरी मिल गई है. डब्ल्यूएचओ ने माना कि ये दवा दिल के दौरे और स्ट्रोक को जोखिम के कम करती है.
डॉ. युसुफ को मिला दो वैज्ञानिकों का साथ-
डॉ. यूसुफ और यूके से आने वाले उनके 2 को-रिसर्चर्स एनजे वाल्ड और एमआर लॉ ने साल 2000 की शुरुआत में प्रस्ताव दिया था कि एक पॉलीपिल दिल के खतरे को काफी कम कर सकता है.
ये पॉलीपिल दो या दो से अधिक रक्तचाप कम करने वाली दवाओं, एक स्टैटिन और एस्पिरिन का मिश्रण है.
इसके बाद से कई दूसरे रिसर्चर्स ने भी पॉलीपिल्स बनाई और उसका टेस्ट किया. इसमें स्पेन के वी. फस्टर और ईरान के मालेकजादेह शामिल हैं. इन दोनों ने अलग-अलग दवा कंपनियों के साथ मिलकर पॉलीपिल्स बनाए और बड़े पैमाने पर उसका टेस्ट किया. इसमें टेस्ट में 25 हजार से अधिक लोगों को शामिल किया. उन्होंने दिखाया कि पॉलीपिल दिल के दौर और स्ट्रोक के खतरे को करीब 40 फीसदी से 50 फीसदी तक कम कर दिया है.
भारत में बनी है EML में शामिल एक दवा-
जरूरी दवाओं की लिस्ट में शामिल एक पॉलीपिल्स भारत में बनी है. जिसे कैडिला ने बनाया है. उसे पॉलीकैप नाम दिया गया है. यह दवा एसिटाइलसैलिसिलिक एसिड या एस्पिरिन के साथ सिमवलास्टैटिन, रामिप्रिल, एटेनोलोल और हाइड्रोक्लोरोथियाजाइड जैसे 4 दवाओं का मिश्रण है. जिसपर साल 2005 से डॉ. यूसुफ और उनके साथी काम कर रहे थे.
साल 2005 से 2019 के बीच भारतीय पॉलीकैप स्टडी के 3 वर्जन के डाटा ने पॉलीपिल के प्रभाव को दिखाया. इस दवा ने दिल के दौरे, स्ट्रोक और दिल के दौरे से होने वाली मौतों को 40 फीसदी कम कर दिया. ये तब हुआ, जब 20-30 फीसदी लोगों ने टेस्ट के दौरान बीच में ही दवा लेनी छोड़ दी थी. अगर सबने तय समय तक दवा ली होती तो ये आंकड़े और भी बेहतर होते.
काफी सस्ती है ये दवा-
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. यूसुफ का कहा है कि ये पॉलीपिल एक महत्वपूर्ण कम लागत वाली दवा है, जो हर साल हृदय संबंधी लाखों मौतों को रोक सकता है. यह एक साधारण इलाज है, जिसे अधिकांश लोगों तक पहुंचाया जा सकता है. इसमें मरीज की ज्यादा निगरानी की भी जरूरत नहीं है.
आपको बता दें कि पॉलीपिल कोई नई दवा नहीं है, बल्कि ये एक ड्र्ग डिलीवरी मैकेनिज्म है. ये एक गोली है, जो आपको अस्पताल में भर्ती होने से बचा सकता है.
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