भारत स्पेस इंडस्ट्री में आत्मनिर्भर बनने और उसे आगे बढ़ाने के लिए अलग-अलग उपाय कर रहा है. अब इसी कड़ी में स्पेस इंडस्ट्री में विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी गई है. भारतीय स्पेस इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार रात ये निर्णय लिया है. स्पेस इंडस्ट्री में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) पॉलिसी में संशोधन को मंजूरी दे दी गई है. इसके साथ अब सैटेलाइट के अलग-अलग पुर्जों को बनाने के लिए 100% विदेशी निवेश की अनुमति मिल गई है.
स्पेस सेक्टर में एफडीआई पॉलिसी
दरअसल, एफडीआई के मामले में पहले स्पेस सेक्टर प्रतिबंधित था, यानि पहले स्पेस सेक्टर के लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट नहीं लिया जाता था. लेकिन अब ये मुमकिन है. इस नए नीति सुधार का उद्देश्य देश में व्यापार करने में आसानी बढ़ाना और ज्यादा फॉरेन इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देना है. इससे जिससे निवेश, आय और रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा. बता दें, सैटेलाइट सब-सेक्टर को अलग-अलग हिस्सों में बांटकर और उनके लिए विदेशी निवेश लाकर सरकार इस इंडस्ट्री को आगे बढ़ाना चाहती है.
क्या हुए हैं नीति में बदलाव
पॉलिसी में हुए बदलावों की बात करें, तो इसके तहत स्पेस सेक्टर के भीतर अलग-अलग गतिविधियों के लिए एफडीआई सीमाएं निर्धारित की गई हैं. जैसे सैटेलाइट मैन्युफैक्चरिंग और ऑपरेशन, सैटेलाइट डेटा प्रोडक्ट और ग्राउंड और यूजर सेगमेंट में 74% तक एफडीआई की अनुमति है. इससे ज्यादा अगर इन्वेस्टमेंट लिमिट होगी तो उसके लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी.
इसी तरह, लॉन्च व्हीकल और एसोसिएटेड सिस्टम या सब सिस्टम के साथ स्पेसपोर्ट के निर्माण के लिए, ऑटोमेटिक रूट से 49% तक एफडीआई की अनुमति है. इससे ज्यादा के इन्वेस्टमेंट के लिए सरकार की मंजूरी लेनी होगी. जबकि, सैटेलाइट के सिस्टम और सब-सिस्टम के लिए और ग्राउंड और यूजर सेग्मेंट्स के लिए 100% निवेश लिया जा सकेगा.
स्पेस सेक्टर में मिलेगी आत्मनिर्भरता
प्राइवेट सेक्टर की बढ़ती भागीदारी से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होंगे. साथ ही स्पेस सेक्टर में भारत और भी आत्मनिर्भर हो सकेगा. भारत की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को बढ़ावा मिलेगा.
गौरतलब है कि स्पेस डिपार्टमेंट ने एफडीआई नीति में संशोधन तैयार करने के लिए कई संस्थानों और एक्सपर्ट से सलाह ली थी. इसमें IN-SPACe, Isro, NSIL और अलग-अलग स्पेस इंडस्ट्री के एक्सपर्ट शामिल रहे. एफडीआई लिमिट के उदारीकरण से इस इंडस्ट्री के बीच विश्वास बढ़ने और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्रोतों से निवेश आकर्षित होने की उम्मीद की जा रही है.