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Climate change: 'लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज- पोयम्स ऑफ होप' के साथ आए युवा कवि, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को रखा सामने

'लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज- पोयम्स ऑफ होप' प्रोजेक्ट ने जलवायु परिवर्तन से प्रभावित इस दुनिया में प्यार की अनुभूतियों पर आने वाले असर को व्यक्त करने के लिए भारत के 7 प्रमुख युवा कवियों को एक साथ जोड़ा है. इस प्रोजेक्ट को काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW), जो एशिया के प्रमुख थिंक टैंक में से एक है, और कवियों के ऑनलाइन मंच ‘अनइरेज पोएट्री’ ने मिलकर तैयार किया है.

'लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज- पोयम्स ऑफ होप' के लिए एक साथ आए भारत के 7 युवा कवि 'लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज- पोयम्स ऑफ होप' के लिए एक साथ आए भारत के 7 युवा कवि

जलवायु परिवर्तन दुनिया के सामने एक बड़ी और अहम चुनौती है. इसको लेकर लोगों को जागरुक होना ही होगा. जलवायु परिवर्तन जैसे संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण मुद्दे को लेकर दुनियाभर में तमाम संगठन काम कर रहे हैं. इसी कड़ी में 'लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज- पोयम्स ऑफ होप' के जरिए जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को रखा गया है. कविता के जरिए देश के युवा कवियों ने अपनी बात रखी है और इस सबसे अहम मुद्दे को जनता तक पहुंचाने की कोशिश की है.

कविता के जरिए बताया दर्द-
साल 2023 में सतर्क करने वाले आंकड़े और विश्लेषणों के समय में 'लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज- पोयम्स ऑफ होप' की हिंदी और अंग्रेजी में लिखी कविताएं मानवीय आशाओं और दृढ़ताओं को सामने लाती हैं. इन कविताओं में जलवायु परिवर्तन के कारणों पर नहीं, बल्कि इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया है कि वह कैसे हमारे खुशनुमा यादों, प्रेम, आकांक्षाओं और चिंताओं को प्रभावित करती है. ये कविताएं अपने भावों में इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे जलवायु हितैषी समाधानों को बड़ी ही सूक्ष्मता से पिरोती हैं, जो एक सस्टेनेबल भविष्य या सतत् भविष्य की गतिविधियों को प्रेरित करता है.

युवाओं को जागरूक करने की कोशिश-
सीईईडब्ल्यू के स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशंस के डायरेक्टर मिहिर शाह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की कहानियों को अक्सर ही बहुत तकनीकी, नीरस या नाउम्मीद करने वाला माना जा सकता है. ऐसे में अगर जलवायु परिवर्तन से जुड़ी गतिविधियों को मुख्यधारा में लाना है और इसे घर में होने वाली चर्चाओं का हिस्सा बनाना है तो हमें इसमें आशाओं, व्यक्तियों को छूने वाले संदेशों, मंचीय कविता जैसे नए स्वरूपों को जोड़ने का प्रयोग करना होगा और समाज को प्रभावित करने वाले व्यक्तियों को भी शामिल करना होगा. इसके माध्यम से हमारा प्रयास आम लोगों, विशेषकर युवाओं को उत्साहित करना और उन्हें सस्टेनेबिलिटी के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है.

लोगों तक समस्या पहुंचाना लक्ष्य- कवि

अनइरेज पोएट्री के संस्थापक और सात कवियों में से एक सिमर सिंह का कहना है कि कवियों और कलाकारों के रूप में, हम अक्सर उम्मीद करते हैं कि हमारे काम का दुनिया पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. हम ऐसी कविताएं लिखने का प्रयास भी करते हैं जो न केवल हमारी, बल्कि एक व्यापक समूह की भावनाओं के बारे में बात करें. जलवायु परिवर्तन हमारा वर्तमान भी है और हमारा भविष्य भी. इसी के बीच जीना और इसी के बीच प्रेम करना, हमारे सामने मौजूद एक वास्तविकता है. ये कविताएं बस उसी वास्तविकता का प्रतिबिंब हैं.

भविष्य के बारे में महसूस किए अनुभवों को किया साझा-

सीईईडब्ल्यू के कम्युनिकेशन एसोसिएट कार्तिकेय जैन ने कहा कि एक इंसान के रूप में, अक्सर हम यह महसूस नहीं कर पाते हैं कि जलवायु परिवर्तन हमारे कितना नजदीक है, व्यक्तिगत रूप से कितना जुड़ा हुआ है, और हम इसके लिए क्या-क्या कर सकते हैं. इस कमी को पूरा करने के लिए, लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज प्रोजेक्ट रोजमर्रा की जिंदगी के विभिन्न संदर्भो से उदाहरणों को जुटाता है, और इसके माध्यम से वर्तमान और भविष्य के बारे में महसूस किए जा रहे अनुभवों और भावनाओं को सामने रखता है.

7 कवि आए एक साथ-
'लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज- पोयम्स ऑफ होप' के प्रयास में हिस्सा लेने वाले कवियों में अमनदीप सिंह, हेली शाह, प्रिया मलिक, प्रियांशी बंसल, सैनी राज, शुभम श्याम और सिमर सिंह शामिल हैं. इसमें उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों मुंबई से जमशेदपुर, बिहार, देहरादून और गुजरात के अपने अनुभवों के साथ सूखे, बाढ़, जंगल की आग और जलवायु की अन्य चरम घटनाओं की कहानियों को साझा किया है.

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