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International Moon Day: आज ही के दिन Neil Armstrong ने चांद पर रखा था पहला कदम, जानिए अब तक कौन-कौन से देश कर चुके हैं ये सफर

International Moon Day: नील आर्मस्ट्रॉन्ग आज से ठीक 55 साल पहले चांद पर पहुंचने वाले पहले इंसान बने. लेकिन वह ऐसा करने वाले आखिरी इंसान नहींं थे. आर्मस्ट्रॉन्ग के एक कदम के बाद इंसानियत के लिए एक लंबा सफर शुरू हो गया. आज भी धरती की इकलौती नैचुरल सैटलाइट को बेहतर तरीके से जानने की कोशिशें जारी हैं.

Man's first landing on the Moon occurred today at 4:17 p.m. July 20, 1969 as lunar module "Eagle" touched down gently on the sea of tranquility on the east side of the Moon. (Photo by Nasa/Getty images) Man's first landing on the Moon occurred today at 4:17 p.m. July 20, 1969 as lunar module "Eagle" touched down gently on the sea of tranquility on the east side of the Moon. (Photo by Nasa/Getty images)

इंसानों ने सदियों तक अपनी इकलौती 'नैचुरल सैटलाइट' चांद को सिर उठाकर चांद को देखा. धरती से लाखों किलोमीटर दूर चांद को हैरत से देखने वाले इंसान ने चांद के उद्भव को लेकर लंबे वक्त तक ताज्जुब किया. फिर एक रोज चांद को दूर से देखने वाली आंखों ने चांद तक पहुंचने का सपना देखा. और 20 जुलाई 1969 को इंसान पहली बार चांद पर पहुंच गया था. इसी दिन के उपलक्ष्य में दुनिया अब 20 जुलाई का दिन अंतरराष्ट्रीय चांद दिवस (International Moon Day) के रूप में मनाती है. 

इसी दिन आर्मस्ट्रॉन्ग ने रखा था चांद पर कदम
"यह इंसान का एक छोटा सा कदम है, लेकिन इंसानियत की एक बड़ी छलांग है."

ये शब्द थे चांद पर पहला कदम रखने वाले अमेरिकी एस्ट्रोनॉट नील आर्मस्ट्रॉन्ग (Neil Armstrong) के. कमांडर आर्मस्ट्रॉन्ग के साथ कमांड मॉड्यूल पायलट माइकल कॉलिन्स और लूनर मॉड्यूल पायलट एडविन बज़ ऑल्ड्रिन ने 16 जुलाई को अपोलो-11 (Apollo-11) में चांद के लिए उड़ान भरी थी.

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चार दिन के सफर के बाद अपोलो-11 चांद पर पहुंच गया और आर्मस्ट्रॉन्ग चांद पर कदम रखने वाले पहले इंसान बन गए. आखिरकार 24 जुलाई 1969 को यह मिशन सफल हुआ जब अपोलो-11 धरती पर लौट आया. संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने 2021 में घोषणा की कि 20 जुलाई का दिन हर साल अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस के तौर पर मनाया जाएगा. 

चांद पर पहुंच चुके हैं ये देश
चांद पर अब तक सिर्फ चार देश ही पहुंच सके हैं. अमेरिका के अलावा सोवियत संघ (USSR), चीन और भारत ही यह उपलब्धि हासिल कर सके हैं. चांद तक पहुंचने की कोशिशें दरअसल 1950 के दशक में ही शुरू हो गई थीं. सन् 1959 में सोवियत संघ का लूना 1 (Luna 1) चांद के करीब पहुंचने वाला पहला स्पेसक्राफ्ट बना.

इसके सात साल बाद सन् 1966 में लूना 9 (Luna 9) ने चांद पर पहली सॉफ्ट लैंडिंग. अमेरिका ने 1969 में अपोलो-11 के साथ पहले इंसान को चांद पर पहुंचाकर सोवियत संघ की उपलब्धियों को पीछे छोड़ दिया. अमेरिका अब तक 12 लोगों को चांद पर भेज चुका है और वह ऐसा करने वाला एकमात्र देश है.

बात करें भारत की, तो हम अब तक दो बार चांद पर सफलतापूर्वक पहुंच चुके हैं. भारत का चंद्रयान-1 (Chandrayaan-1) 22 अक्तूबर 2008 को लॉन्च हुआ और उसने 10 नवंबर को सफलतापूर्वक चांद की ऑर्बिट में प्रवेश कर लिया. इसके बाद भारत ने चंद्रयान-2 के जरिए चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का लक्ष्य बनाया. जुलाई 2019 में करीब 800 करोड़ की लागत के बाद भारत ने चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) लॉन्च किया. लेकिन यह स्पेसक्राफ्ट चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया. 

इस असफलता के दो महीने बाद ही चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) का प्रस्ताव रखा गया. चार साल की मशक्कत के बाद 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया. 23 अगस्त 2023 को विक्रम लैंडर ने सफलतापूर्वक चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की. इसके साथ भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया. 

क्या है चांद पर इंसान का भविष्य?
आने वाले सालों में अमेरिका और रूस भी भारत के पीछे-पीछे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाने की होड़ में होंगे. चांद के सुदूर हिस्से तक पहुंचने के पीछे सभी देशों का मकसद होगा वहां पानी तलाशना. चांद पर पानी की मौजूदगी गहन बहस का विषय रही है. चांद पर पानी ढूंढने के लिए पहला अध्ययन 1961 में किया गया था.

इससे पता चला कि चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों में तापमान कम है. अपोलो कार्यक्रम के दौरान चांद से लौटे नमूने इसका कोई सबूत नहीं दे सके, इसलिए अब सभी देश चांद के साउथ पोल की ओर रुख करने वाले हैं.