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Milky Way Galaxy में मिले दो नए ग्रह, साइज में हैं Jupitor के बराबर, इजरायल के रिसर्चर्स ने की खोज

हाल ही में, Gaia spacecraft की मदद से शोधकर्ताओं ने मिल्की वे आकाशगंगा में दो नए ग्रहों की खोज की है. जिसके बाद खगोलविद सातवें आसमान पर हैं क्योंकि अब Gaia spacecraft को प्लेनेट-स्पॉटर के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

New planets found in Milky Way Galaxy New planets found in Milky Way Galaxy
हाइलाइट्स
  • रिसर्चर्स ने की मिल्की वे गैलेक्सी (आकाशगंगा) में दो नए ग्रहों की खोज

  • बृहस्पति ग्रह से मेल खाते हैं ये दो नए ग्रह 

इजरायल की तेल अवीव विश्वविद्यालय ( Tel Aviv University) के शोधकर्ताओं ने हाल ही में, मिल्की वे गैलेक्सी (आकाशगंगा) में दो नए ग्रहों की खोज की है. बताया जा रहा है कि ये दोनों ग्रह मिल्की वे गैलेक्सी में रिमोट सोलर सिस्टम्स में मिले हैं. रिसर्चर्स ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और इसके Gaia स्पेसक्राफ्ट की टीम के सहयोग से यह किया.

एक स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने Gaia-1b और Gaia-2b नामक विशाल ग्रहों की खोज की. इस स्टडी के नतीजे वैज्ञानिक पत्रिका एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स में प्रकाशित हुए हैं. 

बृहस्पति ग्रह से मेल खाते हैं ये दो नए ग्रह 
पोर्टर स्कूल ऑफ द एनवायरनमेंट एंड अर्थ साइंसेज के प्रमुख, टीएयू के प्रो. शाय जुकर का कहना है कि दो नए ग्रहों की खोज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तरीकों का उपयोग करके सटीक खोज के अंतर्गत की गई. उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में दूरबीन के साथ उन्होंने जो माप किए थे, ये वास्तव में दो विशाल ग्रह थे. 

इन नए ग्रहों के बारे में रिसर्चर्स का कहना है कि ये ग्रह हमारे सौर मंडल में बृहस्पति ग्रह के आकार के समान हैं और अपने सूर्य के इतने करीब स्थित हैं कि वे बृहस्पति से कम समय में यानी कि मात्र चार दिन में एक कक्षा पूरी करते हैं. जिसका अर्थ है कि प्रत्येक पृथ्वी वर्ष उस ग्रह के 90 वर्षों के बराबर है.

सूर्य के बहुत करीब हैं ये ग्रह
सुदूर सौर मंडल में ग्रहों को पहली बार 1995 में खोजा गया था और तब से यह खगोलविदों के शोध का विषय रहा है, इस उम्मीद में कि वे हमारे सौर मंडल के बारे में अधिक जानने के लिए उनका उपयोग कर सकें. 

रेमंड और बेवर्ली सैकलर स्कूल ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी के डॉक्टरेट छात्र अवियाद पानाही का कहना है कि ये नए ग्रह अपने सूर्य के बहुत करीब हैं; इसलिए, इनका तापमान बहुत अधिक है, लगभग 1,000 डिग्री सेल्सियस. इसलिए वहां जीवन विकसित होने की शून्य संभावना है.