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INSAT-3DS: क्या है इनसैट-3 डीएस Satellite, जिसे ISRO ने किया लॉन्च, जानें क्या होगा इससे फायदा और कैसे पड़ा इसका 'नॉटी बॉय' नाम

ISRO INSAT-3DS Mission: इनसैट-3डीएस वर्ष 2013 में लॉन्च किए गए मौसम उपग्रह इनसैट-3डी का उन्नत स्वरूप है. इसकी लॉन्चिंग से मौसम संबंधी और प्राकृतिक आपदाओं की सटीक जानकारी मिल सकेगी. इस मिशन की फंडिंग पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने की है.

INSAT-3DS (Photo: Isro) INSAT-3DS (Photo: Isro)
हाइलाइट्स
  • इनसैट-3डीएस से मौसम की मिलेगी सटीक जानकारी

  • अंतरिक्ष की दुनिया में भारत का दबदबा बढ़ा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को एक बार फिर इतिहास रच दिया. 17 फरवरी 2024 को शाम 5.35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से मौसम उपग्रह INSAT-3DS को लॉन्च किया. यह लॉन्चिंग जीएसएलवी एफ14 रॉकेट से की गई. इससे अंतरिक्ष की दुनिया में भारत का दबदबा और बढ़ गया है. 

इस साल इसरो का है यह दूसरा मिशन
इसरो का कहना है कि इनसैट-3डीएस वर्ष 2013 में लॉन्च किए गए मौसम उपग्रह इनसैट -3डी का उन्नत स्वरूप है. 1 जनवरी 2024 को पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसैट मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद इस साल इसरो का यह दूसरा मिशन है. इस मिशन की पूरी फंडिंग पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने की है.

कैसे पड़ा नॉटी बॉय नाम
इनसैट-3डीएस को जीएसएलवी एफ14 रॉकेट से लॉन्च किया गया. इस रॉकेट को नॉटी बॉय भी कहा जाता है. इसका यह नाम इसरो के एक पूर्व अध्यक्ष ने दिया था. उन्होंने इसका नामकरण इसरो के डाटा और इसकी स्ट्राइक रेट को ध्यान में रखते हुए किया था. इस रॉकेट ने अभी तक 15 उड़ानों में से 6 में सटीक नतीजे नहीं दिए हैं. इसका असफलता रेट 40 प्रतिशत रहा है.

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जीएसएलवी एफ14 अक्सर समस्याओं में चलने के लिए जाना जाता है. इसी वजह से इसका नाम नॉटी बॉय पड़ गया. जीएसएलवी एफ14 का अब ये 16वां मिशन होगा. इससे भारत मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र और विभिन्न अन्य एजेंसियां और संस्थान बेहतर मौसम पूर्वानुमान तथा मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए इनसैट-3डीएस उपग्रह डेटा का उपयोग करेंगे.

क्या-क्या होगा लाभ
1. इनसैट-3 डीएस सेटेलाइट भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किए जाने वाले तीसरी पीढ़ी के मौसम विज्ञान उपग्रह का अनुवर्ती मिशन है. 
2. इनसैट-3 डीएस की लॉन्चिंग से मौसम संबंधी और प्राकृतिक आपदाओं की सटीक जानकारी मिल सकेगी. 
3. इनसैट-3 डीएस से समुद्र की सतह का गहन अध्ययन किया जा सकेगा.
4. भारतीय मौसम एजेंसियों के लिए यह सेटेलाइट बहुत ही महत्वपूर्ण है. इससे प्राकृतिक आपदाओं की पहले ही सटीक जानकारी मिल सकेगी. 
5. इनसेट-3 डीएस से डेटा संग्रह प्लेटफार्मों (डीसीपी) से डेटा संग्रह किया जा सकता है. 
6. यह सेटेलाइट वर्तमान में कार्यरत इनसैट-3डी और इनसैट-3डीआर उपग्रहों के साथ-साथ मौसम संबंधी सेवाओं को भी बढ़ाएगा. 

क्या है खासियत
इनसैट-3 डीएस का वजन 2274 किलोग्राम है. सेटेलाइट (satellite) को ले जाने वाले रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है. रॉकेट इमेजर पेलोड, साउंडर पेलोड, डेटा रिले ट्रांसपोंडर और सेटेलाइट एडेड सर्च एंड रेस्क्यू ट्रांसपोंडर ले जाएगा. इसका उपयोग बादल, कोहरा, बारिश, बर्फ और उसकी गहराई, आग, धुआं, भूमि और समंदरों पर शोध करने के लिए किया जाएगा. इनसैट-3डीएस का जीवन काल लगभग 10 वर्ष होने की उम्मीद है.