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साल 2022 में इसरो ने लॉन्च किए ये 4 सैटेलाइट, जिन्होंने देश को पहुंचाया नई ऊंचाई पर

साल 2022 में इसरो ने कई मुकाम अपने नाम किया है. जिसमें चार सेटेलाइट शामिल है. जिसमें मार्क III (LVM3), SSLV, Vikram-S और पहला 3D प्रिंटेड सिंगल-पीस रॉकेट इंजन एग्रीगेड शामिल है. हम यहां पर इन्ही के बारे में बता रहे हैं.

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हाइलाइट्स
  • LVM3 के 23 अक्टूबर की आधी रात को इसरो ने लॉन्च किया था

  • विक्रम-एस रॉकेट 18 नवंबर 2022 को श्रीहरिकोटा लॉन्च पैड से प्रक्षेपित हुआ था

साल 2022 में भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) में कई बड़े मुकाम हासिल किए. इस साल इसरो ने पहली बार कमर्शियल सैटेलाइट को मार्क III (LVM3) के साथ लॉन्च किया. जिसे GSLV-MK3 के नाम से जाना जाता है. इसी साल इसरो ने SSLV की पहली उड़ान पूरी की, लेकिन सेंसर की विफलता के कारण उसके तीन उपग्रहों को गलत कक्षा में इंजेक्ट कर दिया था. इसी सास हैदराबाद स्थित स्काई रूट एयरोस्पेस के द्वारा निर्मित सेटेलाइट विक्रम एस को लॉन्च किया गया था. वहीं दुनिया के पहले सिंगल-पीस 3डी-प्रिंटेड रॉकेट इंजन लॉन्च का व्हीकल का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया गया था. यहां हम 2022 में इसरो के जरिए किए गए चार सबसे महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में बता रहे हैं. 

SSLV ने भरी पहली उड़ान
इसरो के द्वारा इस साल लॉन्च किए गए सैटेलाइट SSLV को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है. इस रॉकेट बाजार को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है. ये रॉकेट तीन सॉलिड फ्यूल वेस्ड और एक लिक्विड बेस ट्रिमिंग मॉड्यूल का इस्तेमाल करता है. ताकी सैटेलाइट को टर्नअराउंड टाइम के साथ कक्षा में स्थापित किया जा सके. इस रॉकेट ने 8 अगस्त 2022 में सफलतापूर्वक स्पेस के लिए उड़ान भरी थी. 

LVM3 का पहला कमर्शियल मिशन
इसरो ने सबसे भारी रॉकेट LVM3 को 36 ब्रॉडबैंड सेटेलाइट के साथ सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. यह देश का पहला कमर्शियल लॉन्चिंग था. जिसने इसरो के नाम एक और उपलब्धि जोड़ दिया था. LVM3 ने 23 अक्टूबर की आधी रात को इसरो ने लॉन्च किया था. इससे पहले LVM3 ने तीन सफल उड़ान भरी थी- जिसमें विकास उड़ाने और चंद्रयान 2 का प्रक्षेपण किया था. 

Vikram-S लॉन्च
इस साल ही स्काई रूट एयरोस्पेस ने देश का पहला निजी रॉकेट प्रक्षेपण तब पूरा किया. इसरो ने विक्रम-एस रॉकेट 18 नवंबर 2022 को श्रीहरिकोटा लॉन्च पैड से प्रक्षेपित हुआ था. Vikram-S एक सिंगल-स्टेज सॉलिड फ्यूल रॉकेट है जिसे सिस्टन और प्रक्रियाओं का परीक्षण करने के लिए डिजाइन किया गया है. इस रॉकेट का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. इसकी संरचना को कार्बन कंपोजिट्स का इस्तेमाल करके बनाया गया है. इसमें स्पिन की स्थिरता बनाए रखने के लिए थ्रस्टर्स 3D-Printed किया गया था. 

पहला 3D प्रिंटेड सिंगल-पीस रॉकेट इंजन
इस साल 2022 में चेन्नई में अग्रिकुल ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से कंपनी के 3D प्रिंटेड सिंगल-पीस रॉकेट इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. इस इंजन को लेकर कंपनी की तरफ से दावा किया जा रहा है कि एग्रिलेट दुनिया का पहला सिंगल-पीस 3D-Printed रॉकेट इंजन है. इस रॉकेट को अग्रिबाण को ले जाने के लिए डिजाइन किया है. कंपनी के मुताबिक एग्रिलेट अर्ध-क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन है जो कमरे के तापमान पर तरल मिट्टी के तेल और सुपर कोल्ड तरल ऑक्सीजन के मिश्रण से संचालित होता है. अपने पहले लॉन्च पर रॉकेट केवल अपने सिस्टम का परीक्षण करने के लिए डिजाइन किया गया है जो पेलोड पे को स्पेस में ले जाएगा.