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ISRO का क्या है Analog Space Mission, कैसे India को अंतरिक्ष की दुनिया में मिलेगा फायदा, Leh में शुरू देश के पहले एनालॉग स्पेस मिशन की जानें खासियत

ISRO Analog Space Mission: इसरो ने लेह में देश का पहला एनालॉग स्पेस मिशन शुरू किया है. इसे स्पेस में जाने से पहले अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर ही स्पेस जैसी कठिन परिस्थितियों में प्रशिक्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है. 

Research Lab of Analog Space Mission in Leh. (Photo: ISRO) Research Lab of Analog Space Mission in Leh. (Photo: ISRO)
हाइलाइट्स
  • एनालॉग स्पेस मिशन में इसरो के साथ कई संस्थान हैं शामिल 

  • सीमित संसाधनों के साथ रहेंगे अंतरिक्ष वैज्ञानिक

India’s First Analog Space Mission in Leh: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है. इसरो ने देश का पहला एनालॉग अंतरिक्ष मिशन (Analog Space Mission) लद्दाख के लेह (Leh) में शुरू किया है. इसरो ने शुक्रवार को इस मिशन से जुड़ी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया एक्स पर साझा की है. एनालॉग अंतरिक्ष मिशन से अंतरिक्ष की दुनिया में भारत (India) को काफी फायदा मिलेगा. आइए जानते हैं आखिर यह मिशन क्या है और इसको शुरू करने के उद्देश्य क्या है? 

क्या है एनालॉग अंतरिक्ष मिशन 
इसरो का एनालॉग स्पेश मिशन किसी असली मिशन की डमी की तरह है. इसमें पृथ्वी (Earth) पर ही स्पेस जैसी स्थितियों का निर्माण किया जाता है ताकि अंतरिक्ष यात्री स्पेश में जाने से पहले ही वहां की चुनौतियों से परिचित हो सकें और उनका हल निकाला जा सके. वैज्ञानिक एनालॉग स्पेश मिशन के तहत ऐसी जगह चुनते हैं, जो स्पेश या किसी आकाशीय पिंड के वातावरण और माहौल जैसा हो. बाद में इस जगह को तय मानकों के अनुसार तैयार किया जाता है. 

क्यों लेह को ही चुना गया
एनालॉग स्पेश मिशन के लिए क्यों लेह को ही चुना गया. आपको बता दें कि लद्दाख स्थित लेह का वातावरण कुछ-कुछ मंगल ग्रह और चांद जैसा है. यहां का शुष्क और ठंडा वातावरण, ऊंचाई वाला क्षेत्र अलग-अलग तकनीकों और लंबी अवधि के अंतरिक्ष के मिशनों के लिए तैयारियों को परखने के लिए उपयुक्त माना जाता है. इन्हीं सबको देखते हुए इसरो ने एनालॉग अंतरिक्ष मिशन के लिए लेह को चुना है. यहां एस्ट्रोनॉट सीमित संसाधनों के साथ अकेले रहेंगे. वे चुनौतीपूर्ण, अलग-थलग वातावरण में काम करने के अनुभव प्राप्त करेंगे.

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एनालॉग अंतरिक्ष मिशन के तहत क्या-क्या होगा
लेह में एनालॉग अंतरिक्ष मिशन को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि अंतरिक्ष में लोग कैसे और किस तरह के माहौल में रहेंगे. इस मिशन में हिस्सा लेने वाले वैज्ञानिक दूसरे ग्रह पर जीवन को समझने के लिए वहां के वातावरण को धरती पर जीने की कोशिश करेंगे. इतना ही नहीं अलग-अलग स्थितियों में अंतरिक्ष यात्रियों का मनोवैज्ञानिक आकलन भी किया जाएगा. 

इसमें देखा जाएगा कि विपरीत परिस्थितियों में दूसरे ग्रहों पर इंसानी व्यवहार कैसे बदलता है. इस मिशन में शामिल वैज्ञानिकों को एक ही तरह का खाना दिया जाएगा.  इस मिशन के तहत नई तकनीक, रोबोटिक यंत्र, हैबिटेट, कम्यूनिकेशन, पावर जेनरेशन, मोबिलिटी, इंफ्रास्ट्रक्चर और स्टोरेज की टेस्टिंग होंगी. इस मिशन से मिले डेटा के आधार पर चंद्रमा और मंगल के वातावरण को समझने की कोशिश की जाएगी.

इस मिशन में कौन-कौन हैं शामिल
एनालॉग स्पेस मिशन में इसरो के साथ कई संस्थान शामिल हैं. यह मिशन इसरो, ह्यूमन स्पेसफ्लाइट सेंटर, AAKA स्पेस स्टूडियो, लद्दाख विश्वविद्यालय, IIT बॉम्बे का एक सहयोगात्मक प्रयास है, जिसे लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद की ओर से सपोर्ट मिला है. इस मिशन में इसरो के अलावा सरकारी एजेंसियां, यूनिवर्सिटी और रिसर्च लैब्स वगैरह के वैज्ञानिक शामिल होंगे. विपरीत मौसमी हालातों में कैसे सर्वाइव किया जाए इसको लेकर रिसर्च करेंगे. 

ISRO का एनालॉग स्पेस मिशन भारत की अंतरिक्ष खोज को एक नई ऊंचाई तक ले जाने का प्रयास है. आपको मालूम हो कि भारत आने वाले दिनों में कई अहम मिशन्स की तैयारी कर रहा है. इनमें सबसे अहम है गगनयान मिशन. इस मिशन तहत इंडिया पहली बार अंतरिक्ष में यात्री को भेजने वाला है. ऐसे में लेह में इस तरह एनालॉग मिशन की तैयारी अहम है. आने वाले समय में अलग-अलग आकाशीय पिंडों पर मिशन के लिए भी यह एनालॉग मिशन अहम साबित होगा, जिसके जरिए अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण मिलेगा.