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अगले साल फिर से शुरू होगा इसरो का गगनयान मिशन

2022 में इसरो के गगनयान मिशन के तहत पहली उड़ान के साथ दो मानव रहित उड़ानें भी होंगी. इसके बाद, 2023 में तीसरी उड़ान भारतीय दल को लेकर जाएगी. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी. 

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हाइलाइट्स
  • 2022 में शुरू होगा गगनयान मिशन

  • समुद्रयान मिशन पर भी चल रहा है काम

2022 में इसरो के गगनयान मिशन के तहत पहली उड़ान के साथ दो मानव रहित उड़ानें भी होंगी. इसके बाद, 2023 में तीसरी उड़ान भारतीय दल को लेकर जाएगी. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी. 

भारत की पहली मानवयुक्त उड़ान मूल रूप से 15 अगस्त, 2022 को आजादी के 75 साल पूरे होने से पहले होने वाली थी. जिसकी 2018 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी. लेकिन कोरोनोवायरस महामारी के कारण इस मिशन में देरी हुई. 

गगनयान के साथ समुद्रयान मिशन भी: 

लेकिन अब मंत्रालय की उम्मीद है कि गगनयान की पहली मानवयुक्त उड़ान और समुद्र की गहराई में देश का मिशन अब लगभग एक साथ होगा. उनका कहना है कि समय ऐसा होना चाहिए कि हम एक आदमी अंतरिक्ष में  भेजें और उसी समय हमारा एक आदमी समुद्र में 5,000 मीटर की गहराई में भेजा जाए. 

पहले समुद्र का अभियान थोड़ा पीछे चल रहा था लेकिन अब गगनयान में हुई देरी से दोनों अभियान साथ हो सकते हैं. समुद्र अभियान के एक मॉडल का परीक्षण भी कर लिया गया है. 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के समुद्रयान मिशन के तहत विकसित एक मॉड्यूल अक्टूबर के अंत में चेन्नई तट से 600 मीटर गहराई तक गया था. इंसानों को भेजने से पहले एक मानव रहित मॉड्यूल का परीक्षण पहले 5,000 मीटर से अधिक की गहराई पर किया जाएगा. 

डॉ सिंह के मुताबिक हमारा मानव रहित वाहन अब जाने के लिए तैयार है. मानव रहित मिशन के लगभग एक साल या डेढ़ साल बाद हम इंसानों को भेजने के लिए तैयार होंगे.

दो सालों में हुए सिर्फ चार लॉन्च मिशन: 
 
भारत ने पिछले दो वर्षों में केवल चार लॉन्च मिशन किए हैं. इसकी तुलना में चीन ने इस साल ही कम से कम 40 मिशन कर चुका है और उसने एक वैश्विक रिकॉर्ड बनाया है. 

इसरो के सभी बड़े मिशन जैसे कि पहला सौर मिशन आदित्य एल-1, अंतरिक्ष वेधशाला XPoSat, और तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण टाल दिया गया है. इस साल कोरोना की दूसरी लहर के बाद प्लान किए गए मिशन- दो ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) और एक छोटा उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (एसएसएलवी) पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों को ले जाने वाले मिशन के भी पूरे होने की उम्मीद नहीं है.