भारत की स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है. रविवार को इसरो ने अपना पहला छोटा रॉकेट लॉन्च कर दिया है. पहला स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) मिशन कई कारणों से काफी खास है. एसएसएलवी अपने साथ दो सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में लॉन्च करने के लिए लेकर गया है. जिसमें अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट EOSO2 के साथ स्टूडेंट सैटेलाइट AzaadiSAT लॉन्च किया गया है.
बता दें, SSLV एक स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है. ये PSLV रॉकेट से आकार में काफी छोटा होता है. छोटे सैटेलाइट्स के लिए SSLV की जरूरत महसूस हुई थी, जिसके बाद इसपर काम शुरू किया गया. मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 9:18 बजे लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में लॉन्च किया गया है.
देश की 750 छात्राओं ने किए हैं 75 पेलोड तैयार
इसरो के इस मिशन की एक और सबसे खास बात ये है कि इसमें जिसे AzaadiSAT को भेजा जा रहा है उसमें 75 अलग-अलग पेलोड हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है. ये पेलोड देशभर की 750 छात्राओं ने मिलकर बनाए हैं. इन लड़कियों ने ‘स्पेस किड्स इंडिया' टीम के तहत इस प्रोजेक्ट पर काम किया है. बता दें, पेलोड में एक लंबी दूरी का ट्रांसपोंडर और एक सेल्फी कैमरा शामिल है.
इस उपलब्धि के साथ देश ने छोटे सैटेलाइट लॉन्चिंग के अंतरिक्ष बाजार में भी अपने कदम मजबूत कर दिए हैं. छोटे सैटेलाइट के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय बाजार में SSLV की डिमांड बढ़ती जा रही है.
छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग का बाजार बढ़ रहा है
दरअसल, पहले छोटे सैटेलाइट्स को भेजने में इंतजार करना पड़ता था. बड़े सैटेलाइट्स के साथ असेंबल करना पड़ता था. असेंबल करके स्पेसबस तैयार कर भेजना होता था. लेकिन मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छोटे सैटेलाइट्स काफी संख्या में आ रहे हैं. छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग का बाजार बढ़ता जा रहा है. बस इसी जरूरत को देखते हुए इसरो ने SSLV रॉकेट बनाने की तैयारी की. PSLV से 1750 किलोग्राम तक वजन आकाश में ले जाते हैं. लेकिन अब SSLV से छोटे-छोटे सैटेलाइट भेजे जा सकते हैं.
गौरतलब है कि ये रॉकेट भारत का सबसे सस्ता और सबसे कम समय में तैयार होने वाला है. इस साल अंतरिक्ष एजेंसी का यह तीसरा लॉन्च है. जहां पीएसएलवी-सी53 मिशन को 30 जून को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था, वहीं पीएसएलवी-सी52/ईओएस-04 को फरवरी में लॉन्च किया गया था.