इसरो (ISRO) 16 अगस्त अपना एक अहम फ्लाइट लॉन्च करने वाला है. इसरो का बेबी रॉकेट EOS-8 को लेकर उड़ान भरने वाला है. EOS-8 एक अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट, जिसे श्रीहरिकोटा स्थित लॉन्च सेंटर से लॉन्च किया जाएगा. यह लॉन्च काफी खास होने वाला है क्योंकि इसरो इसबार अपने छोटे रॉकेट पर भरोसा जता रहा है. बेबी रॉकेट का असल नाम स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) है.
स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल क्या है?
स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एक कॉम्पैक्ट रॉकेट है जिसे छोटी सैटेलाइट को स्पेस में ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है. भारी पेलोड ले जाने वाले बड़े रॉकेटों के विपरीत, SSLV को 500 किलोग्राम तक के पेलोड को संभालने के लिए डिजाइन किया गया है. इसकी मदद से छोटी सैटेलाइट को लॉन्च किया जा सकेगा.
SSLV अपनी रैपिड असेंबली और डिप्लॉयमेंट क्षमताओं के कारण अलग दिखता है. इससे छोटी सैटेलाइट को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में तुरंत लॉन्च किया जा सकता है. अब जैसे-जैसे स्पेस इंडस्ट्री विकसित हो रही है, फ्लेक्सिबल और किफायती लॉन्च करने की मांग बढ़ती जा रही है. SSLV इसी का हिस्सा है.
छोटी सैटेलाइट लॉन्च की जा सकती है
स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल का प्राथमिक लक्ष्य छोटी सैटेलाइट के लॉन्च को सुलभ बनाना है. ऐसा करना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि अब स्पेस में छोटी-छोटी सैटेलाइट की संख्या बढ़ रही है. इन सैटेलाइट का उपयोग अर्थ ऑब्जरवेशन, कम्युनिकेशन और साइंटिफिक रिसर्च सहित अलग-अलग उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है.
विश्व स्तर पर भी स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल की बड़ी मांग है. कई कंपनियां और ऑर्गनाइजेशन अपनी छोटी सैटलाइट को ऑर्बिट में स्थापित करने के अलग-अलग तरीके तलाश रही हैं.
स्मॉल सैटेलाइट को ऑर्बिट में पहुंचाना होगा आसन
SSLV एक छोटा रॉकेट है, जिसका डायमीटर केवल 2 मीटर और लंबाई 34 मीटर है. यह अपने पेलोड को स्पेस में ले जाने के लिए ठोस और लिक्विड फ्यूल का उपयोग करता है. विशेष रूप से, इसमें तीन सॉलिड फ्यूल स्टेज और एक लिक्विड फ्यूल स्टेज है. शुरुआत की स्पीड के लिए सॉलिड फ्यूल का इस्तेमाल होता है, जबकि लिक्विड फ्यूल स्टेज यह सुनिश्चित करने के लिए इस्तेमाल होता है कि सैटेलाइट जिस ऑर्बिट में पहुंचना चाहता है वहां पहुंच जाए.
EOS-08 सैटेलाइट को ले जाएगा
EOS-08 एक सैटेलाइट है जिसे इस लॉन्च पर साथ ले जाया जाएगा. EOS-08 एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है जिसमें तीन एडवांस इंस्ट्रूमेंट हैं:
1. इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (EOIR): यह इंस्ट्रूमेंट हाई क्वालिटी इमेज को कैप्चर करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह दिन और रात दोनों समय काम करता है, जिससे पृथ्वी की सतह की निरंतर निगरानी की जा सकती है.
2. इमेजिंग क्षमताएं: सैटेलाइट की इमेजिंग क्षमताएं पर्यावरण निगरानी, आपदा प्रबंधन और संसाधन प्रबंधन सहित अलग-अलग एक्सपेरिमेंट के लिए जरूरी है. पृथ्वी की सतह की तस्वीरें देकर EOS-08 जमीन के उपयोग, वनस्पति और शहरी विकास में परिवर्तनों को ट्रैक करने में मदद कर सकती है.
3. तकनीक: EOS-08 इसरो द्वारा बनाई गई कई नई टेक्नोलॉजी का भी प्रदर्शन करने वाला है. इसमें सैटेलाइट इमेजिंग और डेटा स्टोर आदि शामिल हैं.
पहले लग चुका है झटका
SSLV की यात्रा चुनौतियों से भरी रही है. अगस्त 2022 में SSLV का पहला फ्लाइट लॉन्च सफल नहीं हो पाया था. उड़ान के दौरान, रॉकेट को कंपन का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण ऑनबोर्ड सेंसर में खराबी आ गई थी. इस खराबी के कारण रॉकेट सैटेलाइट को निर्धारित ऑर्बिट में नहीं रख पाया था.
हालांकि, इसरो के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने इन सीखों का उपयोग SSLV को बेहतर बनाने के लिए किया. फरवरी 2023 में दूसरा फ्लाइट लॉन्च किया गया. इसमें तीन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक स्टेबल गोलाकार ऑर्बिट में स्थापित किया गया.