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ISRO Zero Orbital Debris: बड़ी उपलब्धि! ISRO के PSLV-C58 मिशन ने नहीं छोड़ा अंतरिक्ष में एक भी कचरा, जानिए कैसे स्पेस में बढ़ रहा प्रदूषण और कैसे Space Debris से है धरती को खतरा

स्पेस डेब्रिस या जिसे हम अंतरिक्ष में मौजूद कचरा कहते हैं इंसानों का फैलाया हुआ प्रदूषण है. नासा के मुताबिक, स्पेस डेब्रिस या स्पेस जंक कोई भी नेचुरल या आर्टिफिशियल चीज हो सकती है, जिसे इंसानों ने बनाया है.

Space Debris (Photo: Unsplash) Space Debris (Photo: Unsplash)
हाइलाइट्स
  • भविष्य के लिए हो सकता है खतरा 

  • स्पेस डेब्रिस के खतरे का सामना

जिस तरह से धरती पर प्रदूषण बढ़ता जा रहा है उसी तरह से स्पेस में भी प्रदूषण बढ़ रहा है. लेकिन हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने PSLV-C58/XPoSat मिशन को एक शानदार सफलता घोषित किया है. इसका कारण है कि इस मिशन ने अंतरिक्ष में एक भी कचरा नहीं छोड़ा है. इस मिशन का उद्देश्य XPoSat सैटेलाइट को तैनात करना है. साथ ही अंतरिक्ष में इंसानों के छोड़े गए मलबे को कम करना है. 

स्पेस डेब्रिस के खतरे का सामना

स्पेस डेब्रिस या जिसे हम अंतरिक्ष में मौजूद कचरा कहते हैं इंसानों का फैलाया हुआ प्रदूषण है. नासा के मुताबिक, स्पेस डेब्रिस या स्पेस जंक कोई भी नेचुरल या आर्टिफिशियल चीज हो सकती है, जिसे इंसानों ने बनाया है. पृथ्वी के चारों ओर ऑर्बिट में इंसानों की बनाई गई ऐसी चीज जिसका अब उपयोग नहीं हो रहा है, स्पेस जंक है. 

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भविष्य के लिए हो सकता है खतरा 

लेकिन ये कबाड़ इंसानों के लिए आगे चलकर काफी खतरनाक साबित हो सकता है. कामकाजी सैटेलाइट के साथ इनके टकराने का खतरा बढ़ सकता है, जिससे कोई बड़ी अनहोनी भी हो सकती है. इसका पृथ्वी के पर्यावरण पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है. इस कचरे में जिसमें खराब सैटेलाइट, बेकार हो चुके रॉकेट के टुकड़े और दूसरा मलबा शामिल है. अगर ये कचरा बढ़ता गया तो आगे चलकर कम्युनिकेशन और नेविगेशन सिस्टम भी बाधित हो सकता है. 

एडवांस टेक्नोलॉजी की ली जा रही मदद 

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के वर्तमान अनुमान से स्पेस जंक का पता चलता है. इसमें 10 सेमी से ज्यादा लंबाई वाली 34,000 से ज्यादा चीजें पृथ्वी की परिक्रमा कर रही हैं. इससे इनके टकराने की संभावना बढ़ जाती है. कुछ समय पहले हुई कॉसमॉस 2251 और इरिडियम 33 के बीच टकराव जैसी घटनाएं इसका बड़ा उदाहरण हैं. 

हालांकि, स्पेस डेब्रिस को कम करने के लिए अलग-अलग प्रयास किए जा रहे हैं. इसमें डेब्रिस को हटाने के लिए नीतियां लाने से लेकर एडवांस टेक्नोलॉजी की मदद लेना तक शामिल है. लेकिन, इसमें भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं.