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Jagadish Chandra Bose Birth Anniversary: यूएस पेटेंट पाने वाले पहले एशियन थे जगदीश चंद्र बोस

सर जगदीश चंद्र बोस, एक भारतीय भौतिक विज्ञानी, वनस्पतिशास्त्री और बायोफिजिसिस्ट थे. उनका जन्म 30 नवंबर, 1858 को हुआ था. वनस्पति विज्ञान में उन्होनें कई महत्त्वपूर्ण खोजें की.

Jagadish Chandra Bose Jagadish Chandra Bose
हाइलाइट्स
  • बायोफिजिक्स के क्षेत्र में दिया खास योगदान

जगदीश चंद्र बोस विज्ञान क्षेत्र के सबसे मशहूर नामों में से एक हैं. पश्चिम बंगाल से तालल्कु रखने वाले बोस एक जीवविज्ञानी, एक भौतिक विज्ञानी, एक वनस्पतिशास्त्री और साइंस फिक्शन के लेखक थे. उन्हें रेडियो विज्ञान का जनक माना जाता है क्योंकि 1885 में भारत लौटने के बाद, विद्युत चुम्बकीय तरंगों के वायरलेस प्रसारण का प्रदर्शन करने वाले वह दुनिया के पहले व्यक्ति थे.  

हालांकि, उन्होंने इस आविष्कार का पेटेंट नहीं कराया था और दो साल बाद मार्कोनी ने इसे दुनिया को प्रदर्शित किया और पेटेंट ले लिया. फिजिक्स के साथ-साथ बोस की दिलचस्पी पेड़-पौधों में भी थी. और इसलिए उन्होंने इस क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण कार्य किए. बोस ने दुनिया को दिखाया कि पौधे भी विभिन्न उत्तेजनाओं का जवाब देते हैं. उन्हें बायोफिजिक्स के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है.

लंदन से की पढ़ाई 
बोस को बायोलॉजी में बहुत रुचि थी और 22 साल की उम्र में वह मेडिकल और बायो की पढ़ाई करने के लिए लंदन चले गए. पर वहां पर चिकित्सक (डॉक्टर) बनने का विचार छोड़ उन्होंने क्राइस्ट कॉलेज, कैम्ब्रिज में प्राकृतिक विज्ञान ट्राइपोज़ में दाखिला लिया. उन्होंने 1884 में बीए किया और फिर लंदन विश्वविद्यालय से डीएससी प्राप्त की. बाद में उन्होंने एबरडीन विश्वविद्यालय से मानद उपाधि प्राप्त की. 

बोस 1885 में भारत लौट आए और प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में काम करने लगे. हालांकि, लेक्चर्स देने के लिए वे कई बार ब्रिटेन और यूरोप लौटे. साल 1914 में, उन्होंने ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज और रॉयल इंस्टीट्यूशन में लेक्चर दिया. 

शुरू किया बोस रिसर्च इंस्टीट्यूट
साल 1917 में बोस ने बोस रिसर्च इंस्टीट्यूट, कलकत्ता की स्थापना की और वह इसके  संस्थापक और निदेशक रहे. उन्हें 1917 में नाइट की उपाधि दी गई थी, और 1920 में रॉयल सोसाइटी का फेलो बनाया गया था. वह गणित के विपरीत विज्ञान के लिए फेलो बनने वाले पहले भारतीय थे. 

बोस ने 30 नवंबर, 1917 को कोलकाता में "बोस संस्थान" की स्थापना की. ऐसा माना जाता है कि यह एशिया का पहला आधुनिक अनुसंधान केंद्र है जो अंतःविषय अनुसंधान के लिए बनाया गया है. 

बायोफिजिक्स के क्षेत्र में खास योगदान
बायफिजिक्स क्षेत्र की नींव रखने वाले कुछ शुरुआती लोगों में से एक थे बोस. उन्होंने क्रेस्कोग्राफ का आविष्कार किया, जो पौधों में वृद्धि को मापने के लिए एक उपकरण है. इसका आविष्कार सर जगदीश चंद्र बोस ने 20वीं सदी की शुरुआत में किया था. उन्होंने दिखाया की पौधों में उत्तेजना का संचार वैद्युतिक (इलैक्ट्रिकल) माध्यम से होता है, न कि कैमिकल माध्यम से. 

उन्होंने पौधों पर कई तरह के अध्ययन किए जैसे मौसम का पौधों पर क्या असर होता है. साथ ही, उन्होंने बताया कि पौधे भी मनुष्यों की तरह दर्द और स्नेह महसूस कर सकते हैं. 1896 में, उन्होंने बंगाली भाषा में अपना पहला साइंस फिक्शन- निरुद्देशर काहिनी प्रकाशित किया. 

मिला यूएस पेटेंट
बोस पहले एशियाई थे जिन्हें अमेरिकी पेटेंट से सम्मानित किया गया था. 1904 में, उन्हें विद्युत गड़बड़ी के लिए एक डिटेक्टर के आविष्कार के लिए पेटेंट से सम्मानित किया गया था. 23 नवम्बर, 1937 को देश के इस महान वैज्ञानिक ने दुनिया को अलविदा कह दिया. बताया जाता है कि 1978 में भौतिक विज्ञान में नोबेल जीतने वाले सर नेविल मोट ने कहा था कि जगदीश चन्द्र बोस अपने समय से 60 वर्ष आगे थे.