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इन 2 नौकरियों में अल्जाइमर से होने वाली मौत का जोखिम है सबसे कम! रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा... लेकिन इसकी वजह क्या?

शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका जवाब ब्रेन के हिप्पोकैम्पस में छिपा हो सकता है. हिप्पोकैम्पस ब्रेन का वह हिस्सा है जो यादशक्ति, सीखने और नेविगेशन के लिए जिम्मेदार होता है. यह अल्जाइमर से प्रभावित होने वाले पहले हिस्सों में से एक है. मुश्किल जगहों को नेविगेट करते हुए, टैक्सी और एंबुलेंस ड्राइवर अपने हिप्पोकैम्पस को एक्टिव रखते हैं, जिससे उसकी क्षमता बढ़ती है.

Human brain Human brain
हाइलाइट्स
  • पेशागत पैटर्न की पड़ताल की गी

  • अभी और स्टडी है बाकी 

दो पेशे टैक्सी ड्राइवर और एंबुलेंस ड्राइवर शायद अल्जाइमर बीमारी के खिलाफ एक गुप्त हथियार अपने पास रखते हैं. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन बताता है कि इन पेशों में काम करने वाले लोगों में अल्जाइमर से होने वाली मौतें दूसरों की तुलना में काफी कम हैं. 

अल्जाइमर बीमारी एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है जो लाखों लोगों को प्रभावित करती है. यह याद रखने की शक्ति, सोचने की क्षमता और दैनिक क्रियाओं पर गहरा असर डालती है, जिससे पीड़ित और उनके परिवार बुरी तरह प्रभावित होते हैं. लेकिन अब नई स्टडी में पता चला है कि कुछ पेशे ऐसे हैं, जिनमें मौजूद लोगों को इससे कम खतरा है. 

पेशागत पैटर्न की पड़ताल
मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के एक्सपर्ट्स सहित शोधकर्ताओं ने यूएस नेशनल वाइटल स्टैटिस्टिक्स सिस्टम से मिले डेथ रिकॉर्ड के डेटा की जांच की. उन्होंने 443 पेशों के लगभग 90 लाख व्यक्तियों के आंकड़ों का अध्ययन किया, जिनमें अल्जाइमर को मृत्यु का कारण बताया गया था. परिणामों में एक दिलचस्प चीज दिखाई दी.

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शोध में टैक्सी ड्राइवर और एंबुलेंस ड्राइवर्स के अल्जाइमर से जुड़ी मौतों का अनुपात सबसे कम पाया गया. खासतौर पर16,658 टैक्सी ड्राइवर्स में से केवल 1% (171 व्यक्ति) अल्जाइमर के कारण मरे. वहीं, 1,348 एंबुलेंस ड्राइवर्स में से मात्र 0.74% (10 व्यक्ति) इस बीमारी से मरे.

इसके विपरीत, बस ड्राइवर और प्लेन ड्राइवर जैसे दूसरे पेशों में ऐसा कोई संबंध नहीं देखा गया. तो, मुख्य अंतर क्या है? टैक्सी और एंबुलेंस ड्राइवर्स को नियमित रूप से नेविगेशन से जुड़े काम करने पड़ते हैं, ये ब्रेन की हेल्थ को बेहतर बनाने में मददगार हो सकते हैं. 

नेविगेशन और ब्रेन के हिप्पोकैम्पस की भूमिका
शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका जवाब ब्रेन के हिप्पोकैम्पस में छिपा हो सकता है. हिप्पोकैम्पस ब्रेन का वह हिस्सा है जो यादशक्ति, सीखने और नेविगेशन के लिए जिम्मेदार होता है. यह अल्जाइमर से प्रभावित होने वाले पहले हिस्सों में से एक है. मुश्किल जगहों को नेविगेट करते हुए, टैक्सी और एंबुलेंस ड्राइवर अपने हिप्पोकैम्पस को एक्टिव रखते हैं, जिससे उसकी क्षमता बढ़ती है. इससे अल्जाइमर से जुड़े प्रभावों को धीमा करने या रोकने में मदद मिल सकती है. इससे पहले हुए एक शोध में भी यह पाया गया था कि लंदन के टैक्सी ड्राइवर्स का हिप्पोकैम्पस आम लोगों की तुलना में ज्यादा विकसित होता है, क्योंकि उन्हें शहर के मुश्किल मैप याद रखने और उसमें नेविगेट करने की जरूरत पड़ती है. 

अभी और स्टडी है बाकी 
हालांकि शोध के परिणाम काफी दिलचस्प हैं, लेकिन इसके लेखकों का कहना है कि इसपर अभी और रिसर्च बाकी है. हालांकि इन पेशों और अल्जाइमर से होने वाली मौतों का संबंध है, हम यह नहीं कह सकते कि टैक्सी या एंबुलेंस ड्राइवर होने मात्र से ही बीमारी को रोका जा सकता है. 

जीन्स, लाइफस्टाइल और हेल्थ से जुड़े कई कारकों की भी इसमें बड़ी भूमिका होती है. उदाहरण के लिए, इन पेशों में काम करने वाले लोग शारीरिक रूप से ज्यादा एक्टिव हो सकते हैं या उनमें दूसरी पुरानी बीमारियों की दर कम हो सकती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से अल्जाइमर के जोखिम को प्रभावित करती हैं.

फिलहाल, यह अध्ययन हमें यह याद दिलाता है कि हमारा दैनिक काम हमारे ब्रेन की हेल्थ को अप्रत्याशित तरीकों से आकार दे सकता है. चाहे आप एक ड्राइवर हों जो शहर की सड़कों पर नेविगेट कर रहे हों या कोई ऐसा व्यक्ति जो नए मानसिक चुनौतियों का सामना कर रहा हो, अपने ब्रेन को एक्टिव और बिजी रखना आपके भविष्य में एक स्वस्थ और तेज दिमाग की कुंजी हो सकता है.