हर किसी को अंतरिक्ष के बारे में जानने की जिज्ञासा होती है. लेकिन सदियों से चली आ रही इस जिज्ञासा के आयाम अब बदल चुके हैं. वैज्ञानिक अब ये जानने की कोशिश करते है कि किस ग्रह या चांद पर मनुष्यों के रहने की गुंजाइश है. हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार जुपिटर के चांद यूरोपा पर बर्फ होने के संकेत मिले हैं. जिससे वैज्ञानिकों ने यूरोपा पर जीवन के होने का अनुमान लगाया है. शोधकर्ताओं के अनुसार, बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा पर खारे पानी के भूमिगत पूल भी हो सकते हैं. दरअसल वैज्ञानिकों ने यूरोपा पर धरती के ग्रीनलैंड जैसा स्ट्रक्चर देखा है.
यूरोपा पर पनप सकता है जीवन
नासा का कहना है कि, "धरती से परे जीवन जीवन के लिए उपयुक्त वर्तमान वातावरण खोजने के लिए यूरोपा हमारे सौर मंडल में सबसे आशाजनक स्थान हो सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस पर जीवन के लिए जरूरी रासायनिक तत्व जैसे खारा पानी, ऊर्जा प्रचुर मात्रा में हैं. इतना ही नहीं यूरोपा की सतह पर पृथ्वी की तुलना में दोगुने से अधिक पानी हो सकता है."
धरती की तुलना में दोगुना पानी हो सकता है
वैज्ञानिकों के अनुसार यूरोपा की बर्फीली सतह के नीचे खारे पानी का एक महासागर छिपा है. माना जाता है कि इस महासागर में पृथ्वी के महासागरों की तुलना में दोगुना पानी है. इतना ही नहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि यूरोपा में पृथ्वी की तरह एक चट्टानी मेंटल और लोहे की कोर है. इसलिए हमारे सौर मंडल में यूरोपा पर जीवन होने की सबसे ज्यादा संभावना है. दशकों से, वैज्ञानिक इसके गहरे खारे पानी के समुद्र पर शोध करते रहे हैं. हालांकि यूरोपा पर बर्फ की एक मोटी चादर है, जो दसियों मील तक मोटा हो सकती है.
यूरोपा पर हैं ग्रीनलैंड जैसी लकीरें
विशेष रूप से, वैज्ञानिकों ने यूरोपा पर एम-आकार की डबल लकीरें देखीं. जोवियन चंद्रमा में कई ऐसी दोहरी लकीरें हैं, जिसे डबल रिज कहा जाता है, जो लगभग 160 से 200 मीटर लंबी होने की उम्मीद है. इसकी तुलना में धरती के ग्रीनलैंड में पाई जाने वाली डबल रिज बहुत छोटी हैं. ग्रीनलैंड पर, ये लकीरें लगभग दो मीटर लंबी होती हैं और 50 मीटर चौड़ी है. स्टैनफोर्ड में पीएचडी उम्मीदवार और भूभौतिकीविद् रिले कलबर्ग के हवाले से मीडिया हाउस ने कहा, "ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर पर यह छोटी डबल रिज विशेषता है जो लगभग वैसी ही दिखती है जैसी हम बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा की सतह पर देखते हैं."
2024 में यूरोपा क्लिपर मिशन शुरू
गौरतलब है कि ग्रीनलैंड की डबल रिज का निर्माण तब होता है, जब बर्फ पानी के चारों ओर टूट जाती है. यह बर्फ की चादर के अंदर जम जाता है. पानी के ज्यादा दबाव के कारण उसपर चोटियां बन जाती हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा पर भी ऐसे ही बर्फ की छोटी चोटियां बन गई हैं, जो सैटेलाइट से डबल रिज की तरह दिख रही हैं. अब नासा 2024 में यूरोपा क्लिपर मिशन शुरू करेगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि डबल लकीरें कैसे बनीं. इस मिशन में बर्फ में घुसने वाले रडार को यूरोपा पर ले जाया जाएगा.