पिछले कुछ हफ्तों से सोलर गतिविधियां बढ़ती जा रही है. दरअसल सूर्य अपने 11 साल के सोलर सर्कल के बीच में है, जो दिसंबर 2019 में शुरू हुआ था. नासा के अनुसार जब सूरज इसके पीक पर पहुंचता है तो सोलर तूफान, सोलर फ्लेयर्स, कोरोनल मास इजेक्शन और सोलर फेनोमेना की घटनाएं बढ़ जाती है. नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि 2025 में जब सूर्य अपने सोलर सर्कल के बीच में होगा तो तब यह गतिविधियां और भी ज्यादा बढ़ जाएगी. नासा को उम्मीद है कि उनका पार्कर सोलर प्रोब 6 सितंबर को 13वीं बार सूर्य के करीब पहुंच चुका है.
सूरज में हुए है कई बदलाव
नासा के एक ब्लॉग में पार्कर सोलर प्रोब प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नूर रौफी की तरफ से कहा गया है कि सूरज में पहले से कहीं ज्यादा बदलाव हुए, क्योंकि जब हमने पार्कर सोलर प्रोब लॉन्च किया था तब सूरज बेहद शांत था. सूरज हमेशा बदलता रहता है. उसमें जब भी बदलाव आते हैं तो उसके आस-पास का वातावरण भी उसी हिसाब से बदलता है. इस बार जो सूरज की गतिविघि रिकॉर्ड किया गया है वह काफी ज्यादा है.
सूरज के तापमान को सह सकता है
नासा के एक ब्लॉग में बताया गया है कि अगर पार्कर सोलर प्रोब सूरज के करीब से उड़ता हुआ चक्कर लगाता है तो उसे उसकी गर्मी से कोई नुकसान नहीं होगा, क्योकि पार्कर सोलर प्रोब को सूरज की गर्मी का सामना कर सके इसीलिए बनाया गया है. वैज्ञानिक डौग रॉजर्स ने के अनुसार पार्कर सोलर प्रोब को सूर्य का सामना करने के लिए बनाया गया है.
अभी तक सोलर फ्लेयर से नहीं गुजरा है
नासा के अनुसार, हालांकि पार्कर सोलर प्रोब पहले किसी सोलर फ्लेयर से नहीं गुजरा है, इसके वाइड-फील्ड इमेजर फॉर सोलर प्रोब (WISPR) ने अपने 10वीं बार जब गुजरा था तो सूर्य की सतह से निकलने वाले छोटे कोरोनल मास इजेक्शन (CME) को कैप्चर किया था. पिछले साल नवंबर में सूर्य के साथ जिसने सीएमई के बारे में नई खोज करने में मदद की थी.