सर्दियों के मौसम अक्सर लोग आपको कांपते हुए दिख जाएंगे. यहां तक की कड़ाके की ठंड में आपकी भी कंपकंपी छूटती होगी. आपको बता दें, ठंड लगने पर शरीर का जोर से कांपना कोई शारीरिक समस्या बिल्कुल नहीं है. बल्कि ये शरीर का अपने सिस्टम को सुरक्षित रखने का एक तरीका है. चलिए आपको समझाते हैं ठंड लगने पर बॉडी क्यों कांपती है.
नॉर्मल बॉडी टेम्परेचर का पूरा खेल
हमारे शरीर के अंदर जितने भी बायोलॉजिकल प्रोसेस होते हैं (जैसे खान पचाना, हार्मोंस बनाना) वो सब एक सामान्य तापमान की रेंज में होते हैं. यानि आसान भाषा में समझें तो हमारी बॉडी एक निश्चित टेम्परेचर पर काम करती है जिसे हम नॉर्मल बॉडी टेम्परेचर कहते हैं. इंसानों के लिए ये नॉर्मल टेम्परेचर 98.6°F (37°C) है. अगर बाहरी वातावरण या अन्य किसी वजह से बॉडी का टेम्परेचर सामान्य/नॉर्मल से ऊपर या नीचे जाता है तो हमारी बॉडी खुद-ब-खुद टेम्परेचर को नॉर्मल के पास लाने के लिए जतन करती है. अगर इस नॉर्मल बॉडी टेम्परेचर से बहुत ज्यादा ऊपर या बहुत ज्यादा नीचे हो जाता है तो ये हमारे लिए बहुत खतरनाक हो सकता है.
कांपने की साइंस
हमारी स्किन पर छोटे-छोटे छेंद होते हैं. जब आप गर्म महसूस करते हैं तो ये छेंद खुल जाते हैं और उनमें से पसीना निकलता है. पसीना निकलने से आपका शरीर ठंडा हो जाता है. लेकिन सर्दियों में यही छेंद बंद रहते हैं ताकि शरीर की गर्मी बाहर न जा सके और शरीर अपने नॉर्मल टेम्परेचर की रेंज में रहे.
हमारे स्किन की ऊपरी सतह के नीचे Nerve Cells होती हैं. इन्हीं की वजह से आप और आपका शरीर गर्म और ठंडे के बीच अंतर महसूस करता है. यही Nerve Cells बॉडी और दिमाग के बीच मैसेज के आदान-प्रदान का काम करतीं हैं. जब हमें ठंड लगती है और इसका मैसेज Nerve Cells दिमाग को देती है तो दिमाग दो तरह से रिएक्ट करता है. पहले तो स्किन की ब्लड वेस्सेल्स को कड़ा कर देता है जिससे यहां से कम खून बहता है और जिससे खून का नॉर्मल टेम्परेचर बना रहता और और बॉडी के बाकी सभी काम नॉर्मल टेम्परेचर पर होते रहते हैं. जब हमें ज्यादा ठंड लगती है और यही सिग्नल Nerve Cells दिमाग को भेजती हैं तो हमारा दिमाग स्किन पर मौजूद मांसपेशियों का कंपन यानि कन्ट्रैक्शन और रीलैक्सन (contraction and relaxation) शुरू करता है. इससे बॉडी का मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और गर्मी पैदा होती है. ये गर्मी बॉडी को वापस नॉर्मल टेम्परेचर की ओर धकेलती है ताकि शरीर के अंदर सारे काम नॉर्मल टेम्परेचर पर होते रहें. आसान भाषा में कहा जाए तो ठंड लगने पर हमारा दिमाग शरीर को ठंड से बचाने के लिए कंपकंपी शुरू करता है. इस कंपकंपी से शरीर को गर्मी मिलती है.