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Study on New Car and Health: नई कार में ज्यादा समय बिताना भी है सेहत के लिए खतरनाक, हो सकता है कैंसर

New Car and Cancer: नई कार में ज्यादा समय बिताना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. एक नई स्टडी के मुताबिक, इससे हमें कैंसर का खतरा हो सकता है.

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हाइलाइट्स
  • ड्राइवरों के स्वास्थ्य को है खतरा 

  • कैंसर पैदा करने वाले केमिकल पाए गए हैं 

जब बात नई कार की आती है तो हम सब चाहते हैं कि वह शानदार तरीके से महके. हम अपनी कार में अलग-अलग तरह के फ्रेशनर, परफ्यूम छिड़क लेते हैं.  साथ ही अपना काफी समय उसी में बिताना चाहते हैं. हालांकि, एक ब्रांड न्यू कार आपकी हेल्थ के ऊपर थोड़ी भारी पड़ सकती है. इसमें ज्यादा समय बिताने से आपको कैंसर भी हो सकता है.  

कैंसर पैदा करने वाले केमिकल पाए गए हैं 

दरअसल, चीन और अमेरिका के शोधकर्ताओं ने पाया है कि 12 दिनों के लिए बाहर खड़ी एक नई कार के अंदर कई कैंसर पैदा करने वाले केमिकल का लेवल सेफ लिमिट से ज्यादा हो गया है. कीटाणुनाशक और गैस स्टोव में पाया जाने वाला एक कंपाउंड जिसे फॉर्मलडिहाइड (Formaldehyde) कहते हैं, वह इसमें पाया गया है. कार में इस खतरनाक कंपाउंड का लेवल चीनी राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों से 35 प्रतिशत ज्यादा स्तर पर पाया गया है. वहीं, Acetaldehyde जो कार्सिनोजेन की तरह होता है वो भी अपनी सेफ लिमिट से 61 प्रतिशत तक बढ़ा हुआ पाया गया है.

बेंजीन, पेंट, पेट्रोल और सिगरेट में पाया जाने वाला एक कार्सिनोजेन भी इतने लेवल पर पहुंच गया है जो उन ड्राइवरों के लिए काफी नुकसानदायक है जो कारों में अपना लंबा टाइम बिताते हैं. 

ड्राइवरों के स्वास्थ्य को है खतरा 

ब्रांड न्यू कार में मल्टीपल वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड पाए गए हैं, जो कहीं न कहीं आगे होने वाले कैंसर को बुलावा दे सकती है. इनसे ड्राइवरों के स्वास्थ्य को खतरा है. आमतौर पर, 10*-6 या उससे कम का Incremental Lifetime Cancer Risk (ILCR) सुरक्षित माना जाता है, 10*-6 और 10*-4 के बीच संभावित जोखिम को दिखता है और 10*-4 से अधिक लेवल सीधा इंसानों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है. 

स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि टैक्सी ड्राइवर हर दिन करीब 11 घंटे और पैसेंजर्स करीब 1.5 घंटे एक कार में बिताते हैं. इससे वह कार में मौजूद वोलेटाइल कंपाउंड के संपर्क में आते हैं, जिससे ज्यादातर सांस के जरिए उनके शरीर में जाते हैं.  कार्सिनोजेन्स जब हीट होते हैं या उसके संपर्क में आते हैं तो वो और भी खतरनाक हो जाते हैं. जिससे ड्राइवरों और यात्रियों को इंक्रीमेंटल लाइफटाइम कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है.

ऐसे की गई स्टडी 

इस पूरे प्रोसेस को समझने के लिए स्टडी में एक मीडियम साइज की एसयूवी को प्लास्टिक, नकली लेदर, बुने हुए कपड़े और फेल्ट से तैयार किया गया. जब ये सामग्रियां प्रोडक्शन लाइन से ताजा लगाई जाती हैं तो इन हवा में अलग-अलग हानिकारक कंपाउंड निकलते हैं. इसमें देखा गया कि जैसे-जैसे कार दिन के दौरान गर्म होती गई, इसके अंदर का तापमान 21°C से 63°C (70°F से 145°F) तक बेतहाशा घटता-बढ़ता रहा.