क्रोमोसोम की भूमिका सिर्फ लिंग निर्धारण में नहीं होती है. नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि पुरुषों की उम्र पर भी क्रोमोसोम का असर पड़ता है. अगर Y क्रोमोसोम का नुकसान होता है तो पुरुषों की मौत जल्दी होती है. यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया स्कूल ऑफ मेडिसिन ने एक रिसर्च किया. जिसमें पता चला कि पुरुष सेक्स क्रोमोसोम की कमी के कारण पुरुषों की मौत कम उम्र में होती है. Y क्रोमोसोम के नुकसान से हार्ट की मांसपेशियों में निशान पड़ जाते है और हार्ट फेल होने का खतरा बढ़ जाता है. इस रिसर्च से ये समझने में मदद मिलेगी कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष कम उम्र में क्यों मरते हैं.
UVA रिसर्चर केनेथ वॉल्श का कहना है कि नई खोज से पता चलता है कि जिन पुरुषों में वाई क्रोमोसोम का नुकसान होता है. मौजूदा दवा से खतरनाक टिश्यू को ठीक करने में मदद मिलती है. लेकिन इस दवा से क्रोमोसोम के नुकसान से होने वाले हानिकारक प्रभावों को खत्म नहीं किया जा सकता. ये हानिकारक प्रभाव सिर्फ दिल को ही नहीं, बल्कि शरीर के दूसरे हिस्सों को भी प्रभावित कर सकते हैं.
अमेरिका में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले 5 साल ज्यादा जिंदा रहती हैं. वॉल्श का कहना है कि नई रिसर्च से पांच सालों के अंतर में से चार को एक्सप्लेन किया जा सकता है.
UVA के हेमटोवास्कुलर बायोलॉजी सेंटर के डायरेक्टर वॉल्श का कहना है कि 60 साल की उम्र में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों पर उम्र तेजी से असर दिखाती है. ये असर हैरान करने वाला है. नई स्टडी में ये संकेत मिलते हैं कि क्यों महिलाओं की तुलना में पुरुषों की उम्र कम होती है.
दिल पर क्रोमोसोम के नुकसान का असर-
महिलाओं में दो X क्रोमोसोम होते हैं. जबकि पुरुषों में एक X और एक Y क्रोमोसोम होते हैं. लेकिन कई ज्यादातर पुरुष उम्र के साथ Y क्रोमोसोम खोना शुरू कर देते हैं. विशेष रूप से ध्रूमपान करने वालों में Y क्रोमोसोम कम होने लगता है. वाई क्रोमोसोम का नुकसान पुरुष प्रजनन कोशिकाओं में नहीं होती है. इसलिए ये समस्या बच्चों को विरासत में नहीं मिलती है. वैज्ञानिकों ने पहले पता लगाया था कि जिन पुरुषों में Y क्रोमोसोम की हानि होती है. उनकी मृत्यु की आशंका अधिक होती है. उम्र से जुड़ी बीमारियों जैसे अल्जाइमर रोग से पीड़ित होने की आशंका होती है. हालांकि वॉल्श के नए रिसर्च में इसके सबूत मिले हैं कि Y क्रोमोसोम में नुकसान सीधे पुरुषों की सेहत पर हानिकारक असर डालते हैं.
नए रिसर्च में खून में Y क्रोमोसोम के नुकसान के प्रभावों का पता लगाने के लिए रिसर्चर्स ने CRISPR जीन-एडिटिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया, ताकि एक विशेष माउस मॉडल डेवल्प किया जा सके. रिसर्च में ये भी पाया गया कि जैसे-जैसे Y क्रोमोसोम का नुकसान होता है, वैसे-वैसे उम्र से संबंधित बीमारियां तेजी से बढ़ती जाती हैं.
क्या है इलाज-
रिसर्च से पता चला है कि Y क्रोमोसोम के प्रभावों को कम करने से पुरुषों को सेहतमंद लंबी उम्र तक जीने में मदद मिलती है. वॉल्श ने देखा कि पिरफेनिडोन दवा के इस्तेमाल से फायदा हो सकता है. इस दवा को इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के इलाज के लिए पहले ही इजाजत मिली हुई है. हालांकि अब तक वैज्ञानिकों के पास ऐसा कोई आसान तरीका नहीं है, जिससे ये पता लगाया जा सके कि पुरुषों में Y क्रोमोसोम का नुकसान होता है. लेकिन कोरोना जांच के लिए इस्तेमाल होने वाला पोलीमरेज चेन रिएक्शन से Y क्रोमोसोम का पता लगाया जा सकता है. लेकिन ये तरीका सीमित है.
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