मंगल ग्रह पर भारत के पहले मिशन - मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM), या मशहूर मंगलयान ने अपनी यात्रा पूरी कर ली है. इसके मिशन के आठ लंबे वर्षों के बाद मंगलयान का ईंधन खत्म हो गया है. जिसके बाद इसके लिए लाल ग्रह मंगल के चक्कर लगाना अब मुमकिन नहीं है.
मंगलयान भारत के लिए बहुत ही स्पेशल मिशन था क्योंकि इस मिशन ने देश को अग्रणी देशों की कतार में खड़ा कर दिया था. दुनिया के बहुत से देशों ने मंगल के करीब पहुंचने के लिए अब तक 51 मिशन छोड़े हैं. हालांकि, इनमें से सिर्फ 21 को कामयाबी मिली.
पहली बार में मंगल पर पहुंचा भारत
भारत का मंगल पर जाना इसलिए भी खास रहा क्योंकि भारत को अपनी पहली ही कोशिश में कामयाबी मिली. इसरो ने नवंबर 2013 में मंगलयान लॉन्च किया था. यह भारत का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन था. इसकी सफलता के साथ ही इसरो मंगल पर पहुंचने वाला चौथा संगठ बन गया.
मंगल ग्रह पर मानवरहित मिशन की शुरूआत में 2008 में इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने की थी. यह 2008 में चंद्रयान-1 के लिए चंद्र उपग्रह टीवी को लॉन्च करने के बाद देश में किए गए कई महत्वपूर्ण मिशनों में से एक साबित हुआ.
इस पहले इंटरप्लेनेटरी मिशन पर, के राधाकृष्णन, माइलस्वामी अन्नादुरई, मौमिता दत्ता, नंदिनी हरिनाथ, रितु करिधल, वी केशव राजू ने चौबीसों घंटे काम किया. उनका लक्ष्य था - मंगल ग्रह के सरफेस फीचर एक्सपलोर करना, माइनेरोलॉजी, मोर्फोलॉजी और वातावरण की खोज करना.
साल 2012 में मिली अनुमति
अगस्त 2012 में तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा मिशन की अनुमति दी गई थी, जिसके बाद मिशन को लॉन्च करने के लिए $75 मिलियन का फंड खर्च किया गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलयान अब तक का सबसे कम खर्चीला मंगल मिशन है.
मंगल मिशन को सतीश धवन एरिया सेंटर शार, श्रीहरिकोटा में पहले लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया था, और फिर इसे फ्लोर स्टेशन्स से लगातार ट्रैक किया गया था. बैंगलोर में अंतरिक्ष यान प्रबंधन केंद्र मुख्य रूप से लॉन्च कार से अंतरिक्ष यान के संचालन प्रकाशन को नियंत्रित करने में शामिल था, और दक्षिण प्रशांत महासागर में तैनात शिप बोर्न टर्मिनलों (एसबीटी) के साथ तैयार जहाजों के माध्यम से निगरानी के लिए अतिरिक्त मदद ली गई थी.
अनोखा मिशन था मंगलयान
मंगल मिशन की सफलता ने भारत को कई उपलब्धियां दिलाईं. भारत एशिया का पहला देश है जिसने सफल मंगल अभियान किया. चीन और जापान भी इससे पहले ही मंगल अभियान में असफल हो चुके हैं. जबकि भारत को अपने पहले प्रयास में ही सफलता मिल गई थी.
मंगल मिशन के लिए अमेरिका, चीन जैसे देशों ने भी भारत की सराहना की. चीनी विदेशी मंत्रालय ने इस मिशन का एशिया का गौरव बताया और भारत के प्रयासों की सराहना की थी.
इस मिशन को और मिशन से जुड़े लोगों को 2015 में यूएस-आधारित नेशनवाइड एरिया सोसाइटी से एरिया पायनियर अवार्ड दिया था. मार्स ऑर्बिटर द्वारा ली गई एक तस्वीर को नेशनवाइड ज्योग्राफिक जर्नल 2016 में बतौर कवर छापा गया था.
8 साल तक चला मंगलयान
अब 8 साल बाद मंगलयान ने यात्रा पूरी कर ली है. हालांकि, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अभी तक इस मामले में कुछ नहीं कहा है. समाचार एजेंसी पीटीआई को सूत्रों के मुताबिक मंगलयान में कोई ईंधन नहीं बचा है. बताया जा रहा है कि इस मंगलयान को सिर्फ 6 महीने के हिसाब से भेजा गया था लेकिन यह 8 साल चला.