scorecardresearch

Mangalyaan 2: एक बार फिर मंगल पर जाने की तैयारी कर रहा ISRO, जानिए इस मिशन में क्या है खास

Mars Mission: मंगलयान-1 की ऐतिहासिक सफलता के 9 साल बाद ISRO मंगलयान-2 की तैयारी कर रहा है. इस मिशन के जरिए इसरो मंगल पर लैंड करेगा और ग्रह की स्टडी करेगा. अधिकारियों के मुताबिक मंगल ग्रह पर भेजे जाने वाले सभी चारों पेलोड का निर्माण किया जा रहा है.

मंगलयान-2 की तैयारी कर रहा है इसरो मंगलयान-2 की तैयारी कर रहा है इसरो

चंद्रयान की सफलता से उत्साहित भारत एक बार फिर मंगल पर स्पेसक्राफ्ट भेजने की तैयारी कर रहा है. साल 2013 में पहली बार इसरो ने मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान भेजा था. उस उपलब्धि के 9 साल बाद एक बार फिर ISRO के वैज्ञानिक मंगलयान-2 भेजने की तैयारी कर रहे हैं. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इसरो के अधिकारियों ने बताया कि भारत मंगल ग्रह पर एक और स्पेसक्राफ्ट भेजने के लिए तैयार है.

मंगल ग्रह की स्टडी करेगा मंगलयान 2- 
रिपोर्ट के मुताबिक मार्स ऑर्बिटर मिशन-2 चार पेलोड लेकर जाएगा. इस मिशन को मंगलयान-2 के नाम से भी जाना जाता है. इस मिशन से जुड़ी नई डिटेल के मुताबिक यह स्पेसक्राफ्ट रोवल को लेकर मंगल ग्रह पर लैंड करेगा और मंगल ग्रह की स्टडी करेगा. स्पेसक्राफ्ट के उपकरण मंगल ग्रह के वातावरण और पर्यावरण के साथ इंटरप्लेनेटरी धूल की स्टडी करेंगे. अधिकारियों के मुताबिक मंगल ग्रह पर भेजे जाने वाले सभी चारों पेलोड का निर्माण किया जा रहा है.

9 साल पहले रचा था इतिहास-
9 साल पहले साल 2013 में 24 सितंबर को भारत ने अपने पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में प्रवेश करके इतिहास रच दिया था. इस तरह का कारनामा तब तक किसी भी अंतरिक्ष एजेंसी ने नहीं किया था. इसरो ने अब मंगल ग्रह पर स्टडी करने का प्लान तैयार किया है.

क्या है मिशन का मकसद-
रिपोर्ट के मुताबिक मार्स ऑर्बिटर मिशन-2 के तहत चार पेलोड के जरिए मंगल ग्रह के पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक मंगलयान-2 एक मार्स ऑर्बिट डेस्ट एक्सपेरिमेंट (MODEX), एक रेडियो ऑकल्टेशन (RO) एक्सपेरिमेंट, एक एनर्जेटिक आयन स्पेक्ट्रोमीटर (EIS) और एक लैंगमुइर प्रोब एंड इलेक्ट्रिक फील्ड एक्सपेरिमेंट (LPEX) ले जाएगा.

धूल की स्टडी करेगा MODEX- 
मिशन दस्तावेजों के मुताबिक MODEX मंगल ग्रह पर हाई एल्टिट्यूड को समझने में मदद करेगा. इसके मुताबिक मंगल ग्रह पर इंटरप्लेनेटरी डस्ट पार्टिकल्स का कोई माप नहीं है. ये उपकरण कुछ सौ एनएम से कुछ माइक्रोमीटर तक के आकार के कणों का पता लगा सकते हैं. इससे ये पता लगाने में मदद मिलेगी कि क्या मंगल के चारों तरफ कोई वलय है? इसके साथ ही ये भी पुष्टि हो सकती है कि क्या धूल इंटरप्लेनेटरी है या मंगल के दो चंद्रमा फोबोस या डेमोस से आ रही है. धूल की स्टडी RO एक्सपेरिमेंट के नतीजों के समझने में मदद कर सकता है.
RO एक्सपेरिमेंट को विकसित किया जा रहा है. इसकी मदद से न्यूट्रल और इलेक्ट्रॉन घनत्व को मापा जाएगा. यह उपकरण अनिवार्य रूप से एक्स-बैंड आवृत्ति पर काम करने वाला एक माइक्रोवेव ट्रांसमीटर है, जो मंगल ग्रह के वातावरण के व्यवहार को समझने में मदद कर सकता है.
मंगल ग्रह पर भेजने के लिए एक EIS को बनाया जा रहा है, जो सोलर एनर्जी पार्टिकल्स और सुपर-थर्मल सोलर विंड पार्टिकल्स चिन्हित करेगा. इससे वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के वायुमंडल के नुकसान के पीछे के कारणों को समझने में मदद मिलेगी.

लाल ग्रह की तस्वीरें भेजेगा मंगलयान-
रिपोर्ट के मुताबिक मंगलयान-2 रोवर को विकसित किया जा रहा है, जो इलेक्ट्रॉन टेम्परेचर और इलेक्ट्रिक फिल्ड वेव्स को मापने में सक्षम होगा. रोवर में एक लैंगमुइर जांच और दो इलेक्ट्रॉनिक सेंसर लगे हैं, मंगल ग्रह पर प्लाज्मा वातावरण की बेहतर तस्वीर देगा.

(गुड न्यूज टुडे चैनल को WhatsApp पर फॉलो करें)

ये भी पढ़ें: