कंप्यूटर चिप्स और बैटरियों को काफी मशक्कत के बाद रीसायकल किया जाता है. हालांकि कंप्यूटर चिप्स और बैटरियों का बेस बनाने के लिए मशरूम की स्किन का उपयोग किया जा सकता है. इससे सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि उन्हें रीसायकल करना आसान हो जाएगा. जी हां, दरअसल हाल ही में ऑस्ट्रिया के लिंज में जोहान्स केपलर यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों ने इसे लेकर एक्सपेरिमेंट किया है. उन्होंने मशरूम की स्किन से चिप्स और बैटरियों का बेस बनाया है. ऐसा करने से उन्हें आसानी से रीसायकल किया जा सकता है.
हर साल 5 करोड़ इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट पैदा होता है
सभी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, जिसमें मेटल होता होता है, को एक इन्सुलेटिंग और कूलिंग बेस में बैठाना पड़ता है जिसे सब्सट्रेट कहा जाता है. लगभग हर कंप्यूटिंग चिप में, यह सब्सट्रेट अनरीसायकल प्लास्टिक पॉलिमर से बना होता है, जिसे अक्सर चिप के खराब होने पर आखिर में फेंक दिया जाता है. यह हर साल पैदा होने वाले 5 करोड़ टन इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट में योगदान देता है.
ऑस्ट्रिया के लिंज में जोहान्स केपलर यूनिवर्सिटी के मार्टिन कल्टेनब्रनर कहते हैं, "सब्सट्रेट खुद को रीसायकल नहीं कर सकता है, ये काफी मुश्किल होता है. यह इलेक्ट्रॉनिक्स का सबसे बड़ा हिस्सा भी है और इसका सबसे कम मूल्य है, इसलिए अगर आपके पास कुछ चिप्स हैं तो जाहिर सी बात है कि आप उन्हें रीसायकल करना चाहेंगे."
क्या है इसके फायदे?
इस एक्सपेरिमेंट के लिए काल्टेनब्रुनर और उनके सहयोगियों ने एक बायोडिग्रेडेबल इलेक्ट्रॉनिक सब्सट्रेट के रूप में कार्य करने के लिए मशरूम Ganoderma ल्यूसिडम से स्किन का उपयोग किया है. जो फंगस आम तौर पर सड़ने वाली लकड़ी पर उगती है, फॉरेन बैक्टीरिया और दूसरी फंगस से अपने मायसेलियम, की रक्षा के लिए एक स्किन बनाती है. जब शोधकर्ताओं ने इस स्किन को निकाला और सुखाया, तो उन्होंने पाया कि यह काफी लचीली है.
इसके फायदे बताते हुए मार्टिन कहते हैं कि ये एक अच्छा इंसुलेटर हो सकती है, 200 डिग्री सेल्सियस (390 डिग्री फारेनहाइट) से अधिक तापमान का सामना कर सकता है और इसकी मोटाई कागज की एक शीट के समान होती है. इसे सब्सट्रेट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.