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NASA Boeing Project: सस्ता होगा हवाई सफर! नासा और बोइंग का बड़ा समझौता, साल 2030 तक नए एयरक्राफ्ट में उड़ान का प्लान

आने वाले समय में नासा और बोइंग मिलकर ऐसा विमान बनाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. जिसमें फ्यूल कम खर्च होगा और हवाई सफर भी सस्ता होगा. दोनों कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा समझौता किया है.

नासा और बोइंग मिलकर नया एयरक्राफ्ट बना रहे हैं (Photo/Twitter) नासा और बोइंग मिलकर नया एयरक्राफ्ट बना रहे हैं (Photo/Twitter)

नासा और बोइंग कंपनी एक बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. जिससे आने वाले समय में हवाई सफर सस्ता हो सकता है. नासा और बोइंग एमिशन कम करने वाले सिंगल-आइजल विमान के निर्माण, टेस्टिंग और फ्लाइंग के लिए सस्टेनेबल फ्लाइट डेमॉन्स्ट्रेटर प्रोजेक्ट पर मिलकर काम कर रहे हैं. इससे पर्यावरण को कम नुकसान होगा और फ्यूल भी बचेगा. स्पेस एजेंसी को उम्मीद है कि साल 2030 तक इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होना शुरू हो जाएगा. नासा के प्रशासक ने कहा कि जब आप उड़ान भरते हैं तो शुरुआत से ही नासा आपके साथ होता है. नासा ने आगे, तेज और ऊंचाई पर जाने का साहस किया है, ऐसा करते हुए नासा ने उड्डयन को अधिक टिकाऊ और भरोसेमंद बना दिया है. ये हमारे डीएनए में है.

साल 2028 में फ्लाइट की पहली उड़ान-
इस नए प्रोजेक्ट के तहत पहली टेस्ट फ्लाइट साल 2028 में उड़ान भरेगी. नासा 7 सालों में इस प्रोजेक्ट पर 42.5 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा. जबकि बोइंग कंपनी 72.5 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी. इसके अलावा नासा टेक्निकल एक्सपर्टाइज और फैसिलिटीज में भी सहयोग करेगा.

इस विमान से बचेगा फ्यूल-
ट्रांसोनिक ट्रस-ब्रेस्ड विंग कॉन्सेप्ट में विमान के एक्स्ट्रा लॉन्ग थिन विंग होते हैं जो डायगोनल स्ट्रट्स पर स्थिर होते हैं. इस डिजाइन से विमान पुराने विमानों की तुलना में ज्यादा फ्यूल एफिशियेंट बनेंगे. नासा को उम्मीद है कि फ्लाइट डेमॉन्स्ट्रेटर मौजूदा सबसे कुशल सिंगल-आइजल विमान की तुलना में फ्यूल की खपत कम होगी. इसके साथ ही एमिशन में 30 फीसदी की कमी आएगी. दरअसल इस शेप से कम ड्रैग पैदा होता है, जिसके कारण कम फ्यूल जलता है. 

पर्यावरण को फायदा, टिकट भी होगा सस्ता-
इस नए विमान से फ्यूल कम खर्च होगा तो पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होगा और मुसाफिरों के लिए टिकट भी सस्ता हो सकता है. नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा कि फ्यूल की बचत के अलावा सस्ता टिकट भी मिलेगा. उधर, बोइंग का अनुमान है कि साल 2035 से 2050 तक के बीच नए सिंगल-आइजल एयरक्राफ्ट की मांग में 40 हजार प्लेन का इजाफा होगा.

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