वैज्ञानिकों ने हमारी आकाशगंगा के कई रहस्यों का पता लगाया है. चाहे वो ग्रह हो या एस्टेरॉयड, वैज्ञानिकों ने सभी के ओरिजिन और प्रकृति का पता लगाने की कोशिश की है. लेकिन इस बार उन्होंने कुछ ऐसी खोज की है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. पहली बार वो संभावनाओं का पता लगाने हमारी आकाशगंगा के बाहर तक चले गए हैं. वैज्ञानिकों ने मिल्की वे गैलेक्सी के बाहर एक ऐसे ग्रह की खोज की है जो ब्लैक होल की परिक्रमा करता है.
M51 गैलेक्सी में पाया गया यह प्लैनेट
यह प्लैनेट M51 गैलेक्सी में पाया गया है. इस गैलेक्सी को व्हर्लपूल गैलेक्सी भी कहा जाता है. यह पहली बार है जब आकाशगंगा से परे किसी प्लैनेट के संकेतों का पता चला है. NASA ने चंद्र X-Ray ऑब्ज़र्वेटरी की मदद से यह खोज की है. इस एक्सोप्लैनेट का नाम M51-ULS-1b रखा गया है. एस्ट्रोनॉमर्स ने पहले एक्सोप्लैनेट की खोज 1992 में की थी.
ट्रांजिट मेथड का हुआ उपयोग
चंद्र एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी के अनुसार, यह नई खोज ट्रांजिट पर आधारित है. जिसमें एक तारे के सामने एक ग्रह का मार्ग तारे के प्रकाश को रोक देता है और लाइट की इंटेंसिटी में एक स्पेशल डिप पैदा करता है जिसे टेलीस्कोप द्वारा ऑब्ज़र्व किया जा सकता है. इस तकनीक की मदद से पहले भी हजारों एक्सोप्लैनेट खोजे जा चुके हैं. इस मेथड से उन्होनें पता लगाया कि यह प्लैनेट लगभग शनि के आकार का है और यह हमारे सूर्य से शनि की दूरी की दोगुनी दूरी पर स्थित न्यूट्रॉन तारे (या एक ब्लैक होल) की परिक्रमा करता है.
4,000 से अधिक एक्सोप्लैनेट की हो चुकी है खोज
एस्ट्रोनॉमर्स ने इससे पहले 4,000 से अधिक ऐसे एक्सोप्लैनेट का पता लगाया है. इनमें से कुछ पृथ्वी जैसे, कुछ हॉट ज्युपिटर्स और अन्य शामिल हैं. ये सभी अपने क्षेत्र में खगोलीय घटनाओं के कारण खत्म होने की कगार पर हैं. इनमें से सभी आकाशगंगा के दायरे में स्थित हैं और पृथ्वी से लगभग 3000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं. लेकिन एम51 में पाया गया यह एक्सोप्लैनेट लगभग 28 मिलियन प्रकाश-वर्ष दूर है, जिसका अर्थ है कि यह पृथ्वी से मिल्की वे गैलेक्सी में स्थित इन प्लैनेट्स की तुलना में हजारों गुना दूर हैं.