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चांद पर रेडियो टेलिस्कोप स्थापित करने की योजना! जानिए NASA के Artemis III मिशन के बारे में

कई सारी ऐसी साइंटिफिक रिसर्च हैं जो केवल चंद्रमा पर हो सकती हैं, ये रिसर्च पृथ्वी पर या पृथ्वी की कक्षा में संभव नहीं हैं. ठीक ऐसा ही है रेडियो खगोल विज्ञान है. इसके तहत कॉस्मिक पीरियड के बारे में पता लगाया जाएगा.

ब्रह्मांड ब्रह्मांड
हाइलाइट्स
  • कई सारी रिसर्च केवल चंद्रमा पर हो सकती हैं 

  • काफी कुछ है जिसपर काम होना बाकी है 

लगातार चांद और दूसरे ग्रहों की स्टडी चल रही है. दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां जोरों शोरों से इसमें लगी हुई हैं. ऐसे में आने वाले सालों में चांद स्पेस मिशन का टॉप स्पॉट बनने वाला है. नासा ने 2025 में आर्टेमिस III (Artemis III) मिशन के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर भेजने की योजना बनाई है. बता दें, अपोलो युग को लगभग पचास साल से ज्यादा का समय हो गया है. ऐसे में ये तरह की ऐतिहासिक वापसी है. उनके साथ यूरोप, कनाडा, जापान, चीन, रूस और भारत जैसे विभिन्न देशों के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल होंगे, जो जरूरी रिसर्च करेंगे.

कई सारी रिसर्च केवल चंद्रमा पर हो सकती हैं 

दरअसल, कई सारी ऐसी साइंटिफिक रिसर्च हैं जो केवल चंद्रमा पर हो सकती हैं, ये रिसर्च पृथ्वी पर या पृथ्वी की कक्षा में संभव नहीं हैं. ठीक ऐसा ही एक रोमांचक क्षेत्र रेडियो खगोल विज्ञान है, जो कॉस्मिक पीरियड के बारे में पता लगाने के लिए चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर एक वातावरण देता है. ठीक ऐसे ही LuSEE-Night नाम का एक मिशन 18 महीनों के लिए कॉस्मिक सिग्नल को सुनने के लिए इस रेडियो एस्ट्रोनॉमी यात्रा पर निकलने के लिए तैयार है.

काफी कुछ है जिसपर काम होना बाकी है 

लंबे समय तक, खगोलशास्त्री ब्रह्मांड के "अंधकार युग" यानी “डार्क ऐज” का अध्ययन नहीं कर सके हैं. यह युग बिग बैंग के लगभग 380,000 साल बाद शुरू हुआ था. यह वो फेज था, जब तारों और आकाशगंगाओं का बनना शुरू हुआ था. लेकिन यह लंबे समय तक केवल एक रहस्य बना रहा. चंद्रमा का सुदूर भाग एक शांत वातावरण प्रदान करता है, जो पृथ्वी की रेडियो वेव को रोकता है और इस युग से जुड़ी पुरानी रेडिएशन का पता लगाने में सक्षम बनाता है.

चंद्रमा पर रखे गए रेडियो एंटीना सूर्य की रेडियो वेव के हस्तक्षेप के बिना चांद पर जब रात होती है तब डेटा इकठ्ठा कर सकते हैं. हालांकि, इन एंटीना को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें तापमान में उतार-चढ़ाव और चंद्रमा के घूमने के कारण कोई सीधा संचार नहीं होना शामिल है.

क्या है LuSEE-नाइट प्रोजेक्ट?

लूएसईई-नाइट प्रोजेक्ट, नासा और ऊर्जा विभाग के बीच एक कॉलाबोरेशन है. इस प्रोजेक्ट के तहत प्राचीन ब्रह्मांड से रेडियो वेव के लिए स्पेस को सुनने के लिए एंटीना का निर्माण किया जा रहा है. 2025 में लॉन्च होने वाला यह मिशन चांद पर टेक्नोलॉजी को टेस्ट करेगा, जिससे भविष्य में कई और रिसर्च की जा सकेंगी और ब्रह्मांड से जुड़े कई राज खुलेंगे.

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