नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने एक बयान में कहा कि डार्ट की तरफ से सफलतापूर्वक एस्टेरॉयड की ट्रैजेक्ट्री को बदल दिया है. ये नासा का एक महत्वकांक्षी मिशन रहा, जिसे वो अब वो मानवता के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बता रहा है. बता दें कि धरती को अंतरिक्ष से आने वाले खतरों से महफूज रखने के लिए नासा के इस प्रयोग पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं.
पिछले साल डार्ट मिशन की हुई थी शुरुआत
27 सितंबर को नासा का सैटेलाइट एस्टेरॉयड डिमोरफोस से टकराया था. नासा को पता करना था कि इस टक्कर से एस्टेरॉयड की कक्षा में बदलाव हुआ है या नहीं. टक्कर के बाद 15 दिनों तक डिमोरफोस की कक्षा को बारीकी से देखा गया. इस स्टडी में पृथ्वी और यहां रहने वालों के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी थी.
नासा ने पिछले साल नवंबर के महीने में डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट यानी मिशन डार्ट की शुरुआत की थी. इस मिशन को कामयाब बनाने के लिए एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स और नासा ने मिलकर काम किया. करीब 10 महीने के सफर के बाद नासा का सैटेलाइट डिमोरफोस एस्टेरॉयड तक पहुंचा. इस टक्कर को अंतरिक्ष और धरती पर मौजूद टेलिस्कोप और कैमरों में कैद कर लिया गया. डिमोरफोस के मुकाबले सैटेलाइट का वजन बहुत कम था. लेकिन अंतरिक्ष में वैक्यूम होने की वजह से इस छोटी सी टक्कर ने ही डिमोरफोस एस्टेरॉयड की कक्षा बदल दी.
नासा ने दी जानकारी
अपने अभियान के बारे में नासा ने जानकारी देते हुए बताया कि उसके द्वारा भेजे गए अंतरिक्ष यान डार्ट ने डिमोरफोस नामक एस्टेरॉयड से टकराकर उसमें एक गड्ढा बनाया, जिसकी वजह से उससे मलबा अंतरिक्ष में फैल गया और धूमकेतु की तरह हजारों मील लंबी धूल और मलबे की रेखा बन गई.
बता दें कि धरती को सबसे बड़ा खतरा अंतरिक्ष में तैरते एस्टेरॉयड से ही है. कई बार एस्टेरॉयड के एक दूसरे से टकराने की वजह से भी कुछ एस्टेरॉयड धरती की तरफ आ जाते हैं. छोटे उल्कापिंड को धऱती के वातावरण में आते ही नष्ट हो जाते हैं, लेकिन बड़े एस्टेरॉयड से धऱती के अस्तित्व को खतरा बना रहता है. करोड़ों साल पहले ऐसे ही एक बड़े एस्टेरॉयड की वजह से धरती पर डायनासोर का वजूद खत्म हो चुका है.
अब मिशन डार्ट ने साबित कर दिया है कि धरती की तरफ आने वाले किसी भी खतरे को सैटेलाइट की मदद से भटकाया जा सकता है. नासा की ये कामयाबी अब विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में दर्ज हो गई है.