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अब सुलझेगा सदियों पुराना रहस्य! सूर्य को छूकर लौटा नासा का स्पेसक्राफ्ट, 20 लाख डिग्री फारेनहाइट था वहां का तापमान

नासा की तरफ ने दी गई जानकारी के मुताबिक 28 अप्रैल को पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य की सतह पर स्थित कणों का नमूना लिया. उन कणों से ही यह प्रमाणित हुआ है कि स्पेसक्राफ्ट ने सूर्य की सतह को टच किया है.

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हाइलाइट्स
  • 28 अप्रैल को पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य के कोरोना को छुआ

  • पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य के कणों को इकट्ठा किया

  • स्पेसक्राफ्ट 28 अप्रैल को तीन बार कोरोनो में प्रवेश किया

नासा की तरफ से लॉन्च किए गए स्पेसक्राफ्ट ने इतिहास रच दिया है. स्पेसक्राफ्ट ने वो कर दिखाया है जो अब तक असंभव माना जाता था. 28 अप्रैल को पार्कर सोलर प्रोब(Parker Solar Probe) ने सूर्य के कोरोना को टच किया. वहां का तापमान करीब दो लाख डिग्री फारेनहाइट था.

कणों से हुआ प्रमाणित
नासा की तरफ ने दी गई जानकारी के मुताबिक 28 अप्रैल को पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य की सतह पर स्थित कणों का नमूना लिया. उन कणों से ही यह प्रमाणित हुआ है कि स्पेसक्राफ्ट ने सूर्य की सतह को टच किया है. नासा के लिए यह बड़ी सफलता मानी जा रही है. नासा के वैज्ञानिकों, इंजीनियर और बाकी टीम मेंबर की मदद से यह सक्सेस अचीव हो पाया है.

सूर्य के आसपास के वातावरण की मिली जानकारी
खगोल शास्त्री माइकल स्टीवेंस ने बताया कि इस स्पेसक्राफ्ट को भेजने का लक्ष्य सूर्य के बारे में जानकारी जुटाई थी. यह पता करना था कि सूर्य के आसपास का वातावरण कैसा है. यह तभी संभव हो सकता था जब कोई स्पेसक्राफ्ट उसके बाउंड्री के आसपास से गुजरे और उसके बारे में जानकारी जुटाए. पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य की कोरोना को छू लिया और वहां के कणों को इकट्ठा किया. इससे काफी कुछ समझने में मदद मिलेगी.

कोरोना, जिसे स्पेसक्राफ्ट छूकर लौटा है, वह सूर्य के वायुमंडल की सबसे बाहरी परत है. यहां मजबूत चुंबकीय क्षेत्र प्लाजमा को बांधते हैं और अशांत सौर हवाओं को बाहर निकलने से रोकते हैं. Alfven Point तब होता है जब सौर हवाएं एक फिक्स गति से अधिक हो जाती है और कोरोना और सूर्य चुंबकीय क्षेत्रों से मुक्त हो सकती हैं.

स्पेसक्राफ्ट ने तीन बार किया था प्रवेश
खगोलशास्त्री ने बताया कि अगर आप सूर्य की नजदीक की तस्वीरों को देखते हैं तो ऐसा लगता है कि चमकीला लूप सूर्य से टूटकर अलग हो रहा है. लेकिन, फिर लूप वापस जुड़ जाते हैं. यही वह क्षेत्र है जहां प्लाज्मा, वायुमंडल और हवा चुंबकीय रूप से फंस गए हैं और सूर्य के साथ जुड़े हैं. नासा की तरफ से इकट्ठा किए गए डाटा को देखा जाए तो स्पेसक्राफ्ट 28 अप्रैल को तीन बार कोरोनो में प्रवेश किया.

खास तरह से बनाई गई थी डिवाइस
नासा की तरफ से यह जानकारी दी गई कि स्पेसक्राफ्ट को खास तरह से बनाया गया था ताकि वह सूर्य की गर्मी को झेल सके. डिवाइस में टंगस्टन, नाइओबियम, मोलिब्डेनम और नीलम जैसे पदार्थ का इस्तेमाल किया गया था. सूर्य का रहस्य सदियों पुराना है और स्पेसक्राफ्ट ने वहां की जो जानकारी दी है उससे रहस्य सुलझे की उम्मीद बढ़ गई है. वैज्ञानिक इस पर रिसर्च करेंगे.