स्पेस एक्सप्लोरेशन-अलग अलग चुनौतियों से भरा है. इसमें सबसे बड़ा और जरूरी मुद्दा एस्ट्रोनॉट के हाइजीन और हाइड्रेशन से जुड़ा होता है. इसको मैनेज कर पाना काफी मुश्किल होता है. वर्तमान में, एस्ट्रोनॉट स्पेसवॉक या एक्स्ट्रा वेहिकुलर एक्टिविटीज (EVAs) के दौरान मैक्सिमम अब्जॉर्बेंसी गारमेंट्स (MAGs) नाम के एडल्ट डायपर का उपयोग करते हैं.
डायपर से हो सकती है मेडिकल समस्या
ये एक्टिविटी कई बार आठ घंटे तक चल सकती हैं, जिससे लंबे समय तक वेस्ट से बॉडी का कॉन्टैक्ट रहता है. कई बार इससे मेडिकल समस्या हो सकती है. जैसे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या.
लेकिन अब इन सबसे बचने का समाधान खोजा जा रहा है. वेइल कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज में मेसन लैब के शोधकर्ताओं ने एक नया सिस्टम बनाया है. इसमें पेशाब को पीने वाले पानी में बदला जा सकता है. इससे एस्ट्रोनॉट की कई हाइजीन से जुड़ी समस्या खत्म हो सकेगी.
लंबे मिशन के लिए नहीं है ठीक
वर्तमान में जिस मैक्सिमम अब्जॉर्बेंसी गारमेंट्स का इस्तेमाल होता है वो बहुत कम समय के लिए प्रभावी होते हैं. लंबे मिशन के लिए ये सही नहीं होते हैं. इसमें पेशाब और मल इकट्ठा होता रहता है, जिससे लंबे समय तक उपयोग करने से असुविधा हो सकती है. एस्ट्रोनॉट को घंटों तक अपने बॉडी वेस्ट के संपर्क में रहना पड़ता है, जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन मेसन लैब ने इन-सूट वेस्ट मैनेजमेंट बनाया है. इस सिस्टम में पेशाब इकट्ठा करने के लिए एक बाहरी पंप का उपयोग किया जाता है.
इसके बाद में पीने लायक पानी बनाने के लिए फॉरवर्ड ऑस्मोसिस (FO) और रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) के कॉम्बिनेशन का उपयोग करके इसे फिल्टर किया जाता है. यह स्पेससूट के अंदर ही एक सर्कुलर वाटर इकोनॉमी बना देता है.
पेशाब के लिए यूरिन कलेक्शन कप
वहीं, पेशाब को एक सिलिकॉन यूरिन कलेक्शन कप में इकट्ठा किया जाता है. ये शरीर के हिसाब से पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग डिजाइन किया गया है. एक ह्यूमिडिटी सेंसर पेशाब का पता लगाता है. साथ ही इसे तुरंत इकट्ठा करने के लिए एक वैक्यूम पंप शुरू करता है, स्किन से कॉन्टैक्ट का समय कम करता है और जलन या इंफेक्शन के जोखिम को कम करता है.
फिल्ट्रेशन का होता है पूरा प्रोसेस
फिल्ट्रेशन प्रोसेस में फॉरवर्ड ऑस्मोसिस (FO) और रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) का उपयोग किया जाता है. इनकी मदद से साफ पानी बनाया जाता है.
इस सिस्टम का टारगेट 85% पेशाब इकट्ठा करना और उसमें से 75% का इस्तेमाल पीने लायक पानी बनाना है. यह स्पेससूट की 10% से कम एनर्जी की खपत करता है. इसका मतलब है कि यह सूट की बिजली आपूर्ति पर बोझ नहीं डालता है.
स्पेससूट के पीछे किया जाएगा फिट
इस डिवाइस को स्पेससूट के पीछे लगे थैली में फिट होने के लिए डिजाइन किया गया है. हालांकि, यह सूट के वजन में लगभग 8 किलोग्राम और जोड़ देगा लेकिन सुरक्षा के लिहाज से देखें तो ये काफी फायदेमंद है.
नासा और दूसरी स्पेस एजेंसियां भविष्य के लिए चांद और मंगल ग्रह के मिशन की तैयारी कर रही हैं. ये एक तरह से गेम-चेंजर साबित हो सकता है.