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अल्ट्रासाउंड आधारित ये नई तकनीक हो सकती है Alzheimer के इलाज में मददगार, पढ़िए स्टडी

शोधकर्ताओं द्वारा चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि गामा एंट्रेनमेंट बी-एमिलाइड की परत जमने व टाउ प्रोटीन को जमा होने से रोक सकती है. ये दोनों ही अल्जाइमर के प्रतीक माने जाते हैं. शोधकर्ताओं ने बताया कि अल्ट्रासाउंड के 40 हर्ट्ज की मदद से गामा एंट्रेनमेंट को महसूस किया जा सकता है.

Alzheimer Alzheimer
हाइलाइट्स
  • अल्ट्रासाउंड आधारित ये तरीका काफी सुविधाजनक है

  • अल्ट्रासाउंड के 40 हर्ट्ज की मदद से गामा एंट्रेनमेंट को महसूस किया जा सकता है

पिछले कुछ सालों में दुनियाभर में अल्जाइमर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में दुनियाभर के वैज्ञानिक इस बीमारी का इलाज खोजने में लगे हुए हैं. इसी बीच वैज्ञानिकों ने एक ऐसी रिसर्च की है जिसमें इसके इलाज को लेकर एक उम्मीद जगी है. ये रिसर्च साउथ कोरिया के ग्वांगजू इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जीआईएसटी) के वैज्ञानिकों ने की है. अल्जाइमर के इलाज पर ये अध्ययन ट्रासंलेशन न्यूरोडिजेनरेशन में पब्लिश हुआ है.

इसमें शोधकर्ताओं ने यह  दिखाया है कि अल्जाइमर से निपटने के लिए अल्ट्रासाउंड आधारित गामा एंट्रेनमेंट मददगार हो सकता है. इस तकनीक में किसी व्यक्ति के ब्रेन वेव्स को 30 हर्ट्ज से ज्यादा किया जाता है, जिसे गामा वेव्स कहते हैं. 

क्या आया रिसर्च में सामने?

शोधकर्ताओं द्वारा चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि गामा एंट्रेनमेंट बी-एमिलाइड की परत जमने व टाउ प्रोटीन को जमा होने से रोक सकती है. ये दोनों ही अल्जाइमर के प्रतीक माने जाते हैं.  शोधकर्ताओं ने बताया कि अल्ट्रासाउंड के 40 हर्ट्ज की मदद से गामा एंट्रेनमेंट को महसूस किया जा सकता है.

जीआईएसटी में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर और अध्ययन के सह लेखक जेई ग्वान किम का कहना है कि दूसरी गामा एंट्रेनमेंट, जो साउंड या फ्लिकरिंग लाइट पर निर्भर करते हैं की तुलना में ये अल्ट्रासाउंड बिना किसी जख्म और दिमाग के सेंसरी सिस्टम (Sensory system) को नुकसान पहुंचाए ही प्रवेश कर सकता है

दूसरी बीमारियों का भी कर सकते हैं इलाज 

शोधकर्ताओं के अनुसार, इस अध्ययन के आशाजनक परिणाम आए हैं, बिना किसी साइड इफेक्ट के. साथ ही अल्जाइमर के अलावा दूसरी बीमारियों के इलाज में भी ये मदद कर सकता है. डॉ ताए किम कहते हैं, "हमारा ये प्रयोग अल्जाइमर की स्पीड को धीमा करके रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार कर सकता है, लेकिन यह पार्किंसंस बीमारी जैसे दूसरे न्यूरोडिजेनरेटिव बीमारियों के लिए एक नया समाधान भी पेश कर सकता है.