एक दशक से भी ज्यादा समय से लकवाग्रस्त रहने के बाद गर्ट-जान ओस्कम अब चल सकते हैं. वे अपने दिमाग का इस्तेमाल फिर से चलने के लिए कर रहे हैं. हालांकि, यह मुमकिन हो पाया है एक नई और एडवांस टेक्नोलॉजी से. इसकी मदद से वे अपने ब्रेन और रीढ़ की हड्डी के साथ कनेक्शन जोड़ पा रहे हैं.
12 साल पहले हुआ था एक्सीडेंट
दरअसल, नीदरलैंड के मूल निवासी गर्ट-जान ओस्कम को 12 साल पहले चीन में रहते हुए एक मोटरसाइकिल दुर्घटना में चोट लग गई थी. जिससे उनकी गर्दन की रीढ़ की हड्डी क्षतिग्रस्त हो गई थी. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके कूल्हे से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त था और उनकी बांहें भी आधी लकवाग्रस्त थीं. लेकिन अब गर्ट जान चल सकते हैं. गर्ट-जान ओस्कम का इलाज स्विट्जरलैंड के एक अस्पताल में किया गया था.
कई यूनिवर्सिटी और संस्थान कर रहे हैं काम
अमेरिका में शोधकर्ता लकवाग्रस्त से पीड़ित लोगों की मदद के लिए इसी तरह की तकनीक पर काम कर रहे हैं. दरअसल, अमेरिका में कई शोध संस्थान, यूनिवर्सिटी और प्राइवेट कंपनियां ऐसे समाधान निकालने के लिए ब्रेन-स्पाइनल इंटरफेस के क्षेत्र में रिसर्च और ट्रायल्स कर रहे हैं. इसमें वे न्यूरोलॉजिकल स्थितियों वाले व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए काम कर रहे हैं. इन संस्थानों में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी शामिल है. इसके अलावा DARPA, और ब्रेनगेट कंपनी शामिल है.
ब्रेन और रीढ़ की हड्डी के बीच डिजिटल ब्रिज बनाया गया
गर्ट-जान ओस्कम की मदद करने वाले शोधकर्ताओं ने मई में मेडिकल जर्नल नेचर में एक रिसर्च पब्लिश की थी. इसमें उन्होंने उन इम्प्लांट्स के बारे में बात की थी जिसमें घायल हिस्सों को दरकिनार करते हुए ब्रेन और रीढ़ की हड्डी में एक डिजिटल ब्रिज बनाया जाता है. गर्ट-जान के केस में भी ठीक ऐसा ही किया गया था. गर्ट में इम्प्लांट लगाने वाले न्यूरोसाइंटिस्ट जॉक्लिने बलोच ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "शुरुआत में यह मेरे लिए बिल्कुल साइंस थ्योरी थी , लेकिन आज यह सच हो गया है."
गौरतलब है कि ब्रेन को रीढ़ की हड्डी से जोड़ने के संबंध में सबसे पहले 2016 में रिसर्च की गई थी. इसके तहत वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने एक लकवाग्रस्त बंदर को चलने में मदद की थी. इसके अलावा, एक दूसरे टेस्ट में लकवाग्रस्त हाथ वाले एक व्यक्ति को हाथ पर कंट्रोल पाने में मदद मिली थी.